यहां बड़े बिगाड़ रहे छोटे को, बदनामी के डर से कोई नहीं करता शिकायत

रांची बाल सुधार गृह में अधिकतर बड़े किशोर बंदी हत्या और सामूहिक दुष्कर्म के जुर्म के आरोपित है। किशोर बंदी को बाल सुधार गृह से अलग प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखने का है प्रावधान।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Tue, 18 Feb 2020 04:23 PM (IST) Updated:Tue, 18 Feb 2020 04:23 PM (IST)
यहां बड़े बिगाड़ रहे छोटे को, बदनामी के डर से कोई नहीं करता शिकायत
यहां बड़े बिगाड़ रहे छोटे को, बदनामी के डर से कोई नहीं करता शिकायत

रांची, [नीलमणि चौधरी]। डुमरदगा स्थित बाल सुधार गृह में सुधरने की बजाय बड़ों की संगत में बाल बंदी बिगड़ रहे हैं। उन्हें नशे समेत अन्य बुराइयों की लत बड़े किशोर लगवा रहे हैं। यही नहीं कई बाल बंदियों के साथ अप्राकृतिक यौनाचार जैसे घृणित कार्य भी किये जाने की बात सामने आती रही है। बच्चे प्रबंधन से इसकी शिकायत भी करते हैं लेकिन बदनामी के डर से इन शिकायतों को अंदर ही दबा दिये जाने के आरोप लगते रहे हैं।

भय व शर्म के कारण बच्चे अपनी पीड़ा अभिभावकों को भी नहीं बता पाते हैं। हालात ये है कि इन बड़े युवकों के संपर्क में आकर सुधरने की बजाय बाल बंदी और अधिक बिगड़ रहे हैं। नियम के मुताबिक बाल सुधार गृह में 16 आयु वर्ग से नीचे के बाल कैदियों को रखा जाना है लेकिन यहां 16-18 आयु वर्ग के 30 किशोर बंदियों को रखा जा रहा है। इनमे से अधिकतर कैदी सामूहिक दुष्कर्म, दुष्कर्म और हत्या जैसे बेहद संगीन जुर्म में बंद हैं। जबकि नियम है कि 16-18 आयु वर्ग के किशोर बंदियों को प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखना है।

फैसला भारी पड़ा 

दो साल पहले प्लेस ऑफ सेफ्टी से भेजे गए बाल सुधार गृह

प्लेस ऑफ सेफ्टी यह न तो जेल में हो सकता है और न ही बाल सुधार गृह में हो सकता है। प्लेस ऑफ सेफ्टी बिल्कुल अलग होना चाहिए। प्लेस आफ सेफ्टी पहले अस्थायी तौर पर बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल, होटवार, रांची के ही एक हिस्से में बनाया गया था। 2018 में मानवाधिकारों संगठनों की शिकायत पर जेल के प्लेस ऑफ सेफ्टी में रह रहे किशोर बंदियों को बाल सुधार गृह स्थानांतरित कर दिया गया। उस समय किशोर बंदियों की संख्या पांच थी जो कि डेढ़ साल में छह गुना अधिक हो गई है।

अनदेखी

लाइब्रेरी बंद कर वहां भी रखा जा रहा है बंदियों को

बाल सुधार गृह में बच्चों के विकास व उनका ज्ञानवद्र्धन के लिए लाइब्रेरी की व्यवस्था की गई थी। जिसमें महापुरुषों की कहानी की किताबों के साथ अन्य अच्छी किताबें रखी जाती थी। बच्चों को इसे पढऩे के लिए कहा जाता था। जिससे उनमें अच्छे संस्कार विकसित हो सके। क्षमता से अधिक बंदियों के होने के कारण अब लाइब्रेरी बंद कर वहां भी बंदियों को रखा जाता है। 30 बंदियों में वे जिन्हें प्लेस ऑफ सेफ्टी में रखा जाना था उन्हें भी लाइब्रेरी में रखा गया है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बच्चों में यहां कितना सुधार होता होगा।

दोहरे हत्याकांड के आरोपित भी यहीं हैं बंद

पिछले साल रातू रोड कब्रिस्तान में दोहरे हत्याकांड में संलिप्त 17 वर्षीय नाबालिग को भी डुमरदगा बाल सुधार गृह में ही रखा गया है। इसके अलावा कई अन्य किशोर बंदी संगीन अपराध में ट्रायल फेस कर रहे हैं।

सुधरने के बजाय नशे की चपेट में आ रहे बाल बंदी

अपराध में लिप्त बच्चों को बाल सुधार गृह इसलिए भेजा जाता है ताकि उनके मस्तिष्क से आपराधिक भावनाएं समाप्त कर उन्हें सही रास्ते पर लाया जा सके। इसके ठीक उलट सुधार गृह में संगीन अपराध में लिप्त किशोरों के साथ बच्चे सुधरने के बजाय और बिगड़ रहे हैं। पाबंदियों के बावजूद सुधार गृह में धड़ल्ले से नशीला पदार्थ पहुंचता है और बच्चे भी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। वहीं 16 से 18 साल के किशोर बंदी की दादागिरी चलती है। वे छोटे बंदियों से अपनी सेवा करवाते हैं। बात नहीं मानने पर उनकी बुरी तरह पिटाई करते हंै। जो शार्गिद बन गया वह ठीक जो नहीं बना वह भुगते।

छापेमारी के दौरान मिले थे नशीला पदार्थ

केस स्टडी 1

17 जनवरी 2020

डुमरदगा स्थित बाल सुधार गृह में रांची पुलिस की टीम ने छापेमारी कर भारी मात्रा में गांजा, 22 मोबाइल, दर्जनों चार्जर, गुटखा, खैनी, सिगरेट, डुलेटर सहित अन्य आपत्तिजनक सामान बरामद किए गए। बड़े बाल बंदी गांजा समेत अन्य नशीली चीजों का सेवन खुद करने के साथ ही छोटे बंदियों को भी अपनी शार्गिदी में करवाते हैं।  पुलिस को जानकारी मिली कि बाल बंदी मोबाइल से लगातार बातचीत करते हैं। मोबाइल पर बातचीत कर पूरी तैयारी के बाद ही बाल बंदी फरार होते हैं।

पुलिस को चकमा देकर भाग जाते हैं बंदी

केस स्टडी 2

14 जनवरी 2020

डुमरदगा स्थित बाल सुधार गृह से 17 वर्षीय बाल बंदी शाम में सुरक्षाकर्मियों को चकमा देकर फरार हो गया। वह वॉलीबॉल की पुरानी नेट के सहारे भाग निकला। दशम फॉल थाने से चोरी के मामले में वह बाल सुधार गृह भेजा गया था। पुलिस के अनुसार बंदी ने वालीबॉल की नेट पर एक ईट बांधकर दीवार पर लगी कंटीली तार पर फेंका। इससे नेट वहां फंस गया। इसके बाद दीवार पर चढ़ा और दूसरी ओर कूदकर फरार हो गया। भागने की इस घटना के बाद वहां मौजूद अन्य किशोरों में भी इस तरह भागने को प्रेरित करते हैं।

केस स्टडी 3

01-04-2018

बाल सुधार गृह से चार बाल कैदी फरार हो गए। तेज बारिश और तूफान के कारण कुछ देर के लिए अंधेरा छाया हुआ था। बारिश के दौरान चारों बाल कैदियों ने वॉलीबॉल नेट को फाड़कर दीवार पर लटकाया। इसके बाद चारों भाग निकले। भागे बंदियों में रांची और खूंटी का रहने वाला शामिल था। दो की उम्र 16 से 18 के बीच थी। वहीं अपने साथ दो छोटे कैदियों को भी इस अपराध में शामिल कर भगा ले गया।

'प्लेस ऑफ सेफ्टी के लिए जमीन को चिह्नित कर लिया गया है। संबंधित क्षेत्र में चारदीवारी और भवन में निर्माण कार्य के बाद प्लेस ऑफ सेफ्टी को बाल सुधारगृह से अलग कर दिया जाएगा।' -सुमन सिंह, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, रांची।

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