JPSC के लिए याचिका वापस लेना आसान नहीं, अधिकारियों की नौकरी जानी तय !
झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका को वापस लेने का निर्णय लिया गया है। लेकिन अब सब कुछ झारखंड हाई कोर्ट पर निर्भर करता है। क्योंकि इस मामले में सुनवाई के बाद ही जेपीएससी की याचिका वापस हो सकती है।
रांची, राज्य ब्यूरो । झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से एकल पीठ के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका को वापस लेने का निर्णय लिया गया है। लेकिन अब सब कुछ झारखंड हाई कोर्ट पर निर्भर करता है। क्योंकि इस मामले में सुनवाई के बाद ही जेपीएससी की याचिका वापस हो सकती है। ऐसे में जेपीएससी के लिए आसान नहीं होगा कोर्ट को याचिका वापस लेने की वजह से संतुष्ट करना। अदालत इस पर कई सवाल और टिप्पणी भी कर सकती है। हालांकि अभी तक इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अपील नहीं दाखिल किए जाने से सवाल उठ रहे थे कि केवल इस मामले में जेपीएससी ही खंडपीठ में अपील क्यों किया है।
बहरहाल अब सबकुछ स्पष्ट हो गया है कि राज्य सरकार इस मामले में एकल पीठ के आदेश पर अमल करने को तैयार है और कोर्ट के निर्देशानुसार संशोधित रिजल्ट भी प्रकाशित किया जाए। ऐसा करने पर करीब सौ से ज्यादा चयनित अभ्यर्थियों को नौकरी से बाहर होना पड़ेगा। इसके बाद इसको लेकर हाई कोर्ट में नौकरी से निकाले गए अभ्यर्थियों की ओर से याचिकाएं दाखिल की जाएंगी और यह मामला लंबा खिंचे जाने की पूरी संभावना है।
बता दें कि इस मामले में सात जून को एकल पीठ ने जेपीएससी की ओर से छठवीं परीक्षा के बाद जारी मेरिट लिस्ट को रद कर दिया था। अदालत ने माना कि जेपीएससी की ओर विज्ञापन जारी करने के बाद उसमें किसी प्रकार का बदलाव करने का अधिकार नहीं है। वहीं, विज्ञापन की शर्तों के तहत पेपर वन (हिंदी और अंग्रेजी) में क्वालिफाइंग मार्क्स को कुल प्राप्तांक में जोड़ा जाना भी सही नहीं थी। इसी आधार पर कोर्ट ने मेरिट लिस्ट को रद करते हुए संशोधित रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया था। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि इस मामले में दोषी जेपीएससी के पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। लेकिन जेपीएससी ने अपने बचाव में एकल पीठ के आदेश के खिलाफ 31 जुलाई को खंडपीठ में याचिका दाखिल कर दी।