सरकार से खफा संयुक्त सचिव ने अपर सचिव पद की प्रोन्नति ठुकराई Ranchi News
Jharkhand. कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र भेजकर आपत्ति जताई है। कहा कि वेतन विसंगति दूर करने में सरकार दिलचस्पी नहीं ले रही है।
रांची, राज्य ब्यूरो। योजना सह वित्त विभाग में संयुक्त सचिव के पद पर कार्यरत अविनाश कुमार सिंह ने हाल ही में अपर सचिव पद पर मिली प्रोन्नति को ठुकरा दिया है। उन्होंने कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के अपर मुख्य सचिव को इस बाबत पत्र भेजा है। उन्होंने पत्र के माध्यम से सरकार की प्रोन्नति नीति को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने कहा है कि अपर सचिव पद की वेतन विसंगति दूर करने में सरकार जहां दिलचस्पी नहीं ले रही है, वहीं इस पद पर जान-बूझकर विलंब से प्रोन्नति दी जा रही है। उन्होंने इस बात पर भी नाराजगी जताई है कि झारखंड प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) में प्रोन्नति देने में जान-बूझ कर अघोषित नीति के तहत विलंब किया जाता है।
इससे इतर गैर प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों को इस पद पर प्रोन्नत करने में अधिक रुचि दिखाई जा रही है। लिहाजा छह दिसंबर के प्रभाव से अपर सचिव के पद पर मिली प्रोन्नति को स्वीकार करने में वे खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। बताते चलें कि प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों ने वेतन विसंगति दूर करते हुए 8900 (13 ए) का ग्रेड पे देने के साथ-साथ समय पर प्रोन्नति देने की मांग की थी। यह मांग तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा के समय से ही चल रही है।
इस मसले को लेकर झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ (झासा) ने आंदोलन भी किया था, परंतु सरकार के आश्वासन के बाद उसने अपना आंदोलन वापस ले लिया था। झासा ने बिहार समेत अन्य राज्यों में प्रभावी इस स्केल का प्रमाण भी दिया था। बहरहाल गैर प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों को वर्ष 2017 के लिए जहां प्रोन्नति दी जा चुकी है, वहीं वर्ष 2018 की भी फाइल बढ़ चुकी है।
झासा का यह भी आरोप था कि जब बात आइएएस अफसरों की प्रोन्नति की होती है तो महीनों पूर्व से ही इसकी कवायद शुरू हो जाती है, जबकि राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की प्रोन्नति मामले में लेटलतीफी की जाती है। इसका नतीजा है कि अनुमंडल पदाधिकारी स्तर के लगभग 200 और अपर समाहर्ता स्तर के तकरीबन 70 पद रिक्त हैं।
'सरकार के इस रवैये से प्रशासनिक सेवा संघ नाराज है। फिलहाल संघ राज्य में प्रभावी आचार संहिता और निर्वाचन कार्यों को लेकर अपने दायित्वों से बंधा है। नई सरकार के गठन के बाद उग्र आंदोलन होगा।' -आरके सिन्हा, अध्यक्ष, झारखंड राज्य प्रशासनिक सेवा संघ।