Padma Shri Award 2021: झारखंड की 'छुटनी देवी को पद्मश्री सम्‍मान', जानिए इस 'शेरनी' की दिलचस्‍प कहानी

Padma Shri Award 2021 झारखंड की छुटनी देवी को पद्मश्री सम्‍मान से नवाजा गया है। इस महिला को कभी डायन कह कर घर-गांव से निकाल दिया गया था। 62 साल की छुटनी महतो को घर वालों ने डायन के नाम पर न प्रताडि़त कर घर से बेदखल कर दिया था।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 04:04 AM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 06:10 AM (IST)
Padma Shri Award 2021: झारखंड की 'छुटनी देवी को पद्मश्री सम्‍मान', जानिए इस 'शेरनी' की दिलचस्‍प कहानी
Padma Shri Award 2021: झारखंड की छुटनी देवी को पद्मश्री सम्‍मान से नवाजा गया है।

सरायकेला, [प्रमोद सिंह]। Padma Shri Award 2021, Chutni Devi, Padma Awards 2021 झारखंड की छुटनी देवी को पद्मश्री सम्‍मान से नवाजा गया है। इस महिला को कभी डायन कह कर घर-गांव से निकाल दिया गया था। 62 साल की छुटनी महतो के नाम के आगे अब भारत का श्रेष्ठ सम्मान पद्मश्री जुड़ गया है। एक समय ऐसा भी था कि घर वालों ने डायन के नाम पर न सिर्फ उसे प्रताडि़त किया, बल्कि घर से बेदखल भी कर दिया था। आठ माह के बच्चे के साथ पेड़ के नीचे रहीं। तब पति ने भी साथ छोड़ दिया था। आज वह अपनी जैसी असंख्य महिलाओं की ताकत बन गई है। छुटनी महतो सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड की बिरबांस पंचायत के भोलाडीह गांव में रहती हैं। गांव में ही एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) के सौजन्य से संचालित पुनर्वास केंद्र चलाती है। वह बतौर आशा की निदेशक (सरायकेला इकाई) यहां कार्यरत है।

छुटनी कहती हैं कि शादी के 16 साल बाद 1995 में एक तांत्रिक के कहने पर उसे गांव ने डायन मान लिया था। इसके बाद उसे मल खिलाने की कोशिश की थी। पेड़ से बांधकर पिटाई की गई। जब लोग उसकी हत्या की योजना बना रहे थे, पति को छोड़कर चारों बच्चों के साथ गांव छोड़कर चली गई। इसके बाद आठ महीने तक जंगल में रहीं। गांव वालों के खिलाफ केस करने गईं, पर पुलिस ने भी मदद नहीं की। लेकिन अब कोई किसी महिला को डायन बताकर प्रताडि़त नहीं कर सकता। उन्होंने अपनी जैसी पीडि़त 70 महिलाओं का एक संगठन बनाया है, जो इस कलंक  के खिलाफ लड़ रहा है।

 छुटनी कहती हैं कि जैसे ही ऐसे मामले की सूचना मिलती है, उनकी टीम मौके पर पहुंच जाती है। आरोपितों और अंधविश्वास फैलाने वाले तांत्रिकों पर प्राथमिकी दर्ज कराती है। वह पीडि़ता को अपने साथ ले आती हैं। कानूनी कार्रवाई के बाद सशर्त घर वापसी कराती हैं। अबतक 100 से अधिक महिलाओं की घर वापसी करा चुकी हंै। उनका संगठन आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में भी लड़ाई लड़ता है। वह कहती हैं कि मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान प्रताडि़त महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान लाना रहा है। आज गांव वाले किसी महिला को डायन कहने से पहले 10 बार सोचते हैं।

ऐसे डायन घोषित कर दी गईं छुटनी

छुटनी की शादी धनंजय महतो के साथ हुई थी। जब उनकी भाभी गर्भवती हुईं तब छुटनी ने कहा कि बेटा होगा, लेकिन बेटी हुई। एक दिन वह बीमार हो गई। स्वजन ने डायन का आरोप लगाकर छुटनी को प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। अशिक्षित छुटनी महतो को गांव वालों ने प्रताडि़त करते हुए मल-मूत्र पिलाया। पेड़ से बांधकर पीटा और अर्धनग्न कर गांव की गलियों में घसीटा। छुटनी भागकर मायके चली गई। अब वह दूसरी कमजोर व बेसहारा महिलाओं का सहारा बन गई हैं। किसी भी महिला के  प्रताडि़त होने की खबर मिलते ही अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ वहां पर पहुंच जाती हैं। लोगों को पहले समझाती हैं। नहीं मानने पर जेल भिजवाती हैं।

पीएमओ से फोन आया तो छुटनी बोली, अभी टाइम नहीं है, एक घंटे बाद फोन करना

छुटनी ने बताया कि पद्मश्री क्या होता है, मुझे नहीं मालूम, लेकिन कोई बड़ा चीज तो जरूर है, तभी मुझे लगातार फोन आ रहा है। छुटनी ने बताया कि उन्हें सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से फोन आया। बोला कि आपको पद्मश्री मिलेगा। छुटनी ने कहा कि अभी टाइम नहीं है, एक घंटे बाद फोन करना। छुटनी ने बताया कि दोबारा दोपहर 12.15 बजे फोन आया। फोन करने वाले ने बताया कि आपका नाम और फोटो सभी अखबार और टीवी में आएगा। तभी से गांव के लोग काफी खुश हैं। बाहर से भी लगातार फोन आ रहा है, इसलिए लग रहा है कि यह जरूर कोई बड़ी चीज है।

मरते दम तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा

छुटनी कहती हैं कि डायन के नाम पर मैंने गहरा जख्म झेला है। चार बच्चों को लेकर घर छोडऩा पड़ा। यदि मैं डायन होती तो उन अत्याचारियों को खत्म कर देती, पर ऐसा कुछ होता नहीं है। ओझा के कहने पर ग्रामीणों ने ऐसा जुल्म किया, जिसकी कल्पना सभ्य समाज नहीं कर सकता है। पुलिस-प्रशासन भी ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता है। मैं उस असभ्य समाज से लोहा ले रही हूं, जहां नारी को सम्मान नहीं मिलता। मरते दम तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा। 

अर्जुन मुंडा, रघुवर दास ने दी बधाई

छुटनी देवी को पद्मश्री पुरस्कार मिलने पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और झारखंड के पूर्व मुख्‍यमंत्री रघुवर दास ने बधाई दी है। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि महिला उत्पीडऩ, डायन प्रताडऩा और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ उनका संघर्ष इतिहास में दर्ज हो चुका है। छुटनी को बहुत बहुत बधाई। दोनों नेताओं ने ट्विटर पर भी छुटनी देवी को पद्मश्री से नवाजे जाने पर बधाई संदेश लिखे।

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