गुरु जी टेंशन में, 30 वर्ष की सेवा में 36 दिन करनी होगी वीडियो देखने की ड्यूटी; लिखा भावुक पत्र

Jharkhand Education System स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए झारखंड में ई विद्या वाहिनी लागू। शिक्षकों की गोपनीय जानकारी की सुरक्षा को लेकर पहले ही सवाल उठ चुके हैं। अटेंडेंस के लिए निर्धारित समय को लेकर अलग ही परेशानी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 06:00 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 12:20 PM (IST)
गुरु जी टेंशन में, 30 वर्ष की सेवा में 36 दिन करनी होगी वीडियो देखने की ड्यूटी; लिखा भावुक पत्र
अटेंडेंस के लिए निर्धारित समय को लेकर अलग परेशानी है।

रांची, [ब्रजेश मिश्र]। झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर लागू की गई ई-विद्या वाहिनी योजना से शिक्षक तनाव में हैं। एक शिक्षक ने विभाग के निदेशक के नाम भावुक पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि शिक्षकों के लिए तय सेवा नियमावली में यह नहीं बताया गया कि औसतन 30 वर्ष की नौकरी के दौरान 36 दिन की ड्यूटी वीडियो देखकर पूरी करनी होगी। शिक्षक का दावा है कि अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए एक दिन में कम से कम दो बार ई-विद्या वाहिनी एप को खोलना पड़ता है। हर बार इसे खोलने पर 31 सेंकेंड का वीडियो संदेश सुनाया जाता है।

हर दिन शिक्षक का एक मिनट का समय यह संदेश सुनने में गुजरता है। माह में औसतन आधे घंटे समय वीडियो देखने में खर्च हो रहा। पूरे वर्ष में करीब छह घंटे के हिसाब से 30 वर्ष में न्यूनतम 180 घंटे खर्च होंगे। स्कूल के लिए निर्धारित सेवा अवधि के अनुसार प्रतिदिन शिक्षक पांच घंटे विद्यालय में देते हैं। इस हिसाब से 36 दिन का समय इस पर खर्च हो रहा है। यह अपनी तरह का घोषित प्रशिक्षण है। इसके बदले न तो कोई प्रमाणपत्र मिलेगा और न ही प्रमोशन का रास्ता निकलेगा।

पूर्व सीएम का ही प्रसारित हो रहा है संदेश

हैरान करने वाला पहलु यह है कि राज्य में नई सरकार के गठन के एक वर्ष पूरे होने के बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री का संदेश प्रसारित हो रहा है। इसमें वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देश के साथ-साथ झारखंड को डिजिटल बनाने की मुहिम में आगे बढ़ने का आग्रह कर रहे हैं। शिक्षक ने विभाग को भेजे गए पत्र की प्रति डाक के जरिए दैनिक जागरण को उपलब्ध कराई है।

हाजिरी बना रहे स्कूल कैंपस में, दिख रहे 300 मीटर दूर

राज्य में स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने का हवाला देकर पूर्व की सरकार की ओर से लागू की गई यह शिक्षकों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द है। शिक्षक ने अपने पत्र में यह भी बताया है कि कोरोना महामारी के दौरान पंचिंग सिस्टम बंद होने के बाद इसी माध्यम के जरिए शिक्षक अपनी हाजिरी बना रहे हैं। परेशानी यह है कि स्कूल कैंपस में बैठकर हाजिरी बनाने वाले शिक्षकों को इस सिस्टम में कैंपस से 300 मीटर दूर दिखाया जा रहा है। इसको लेकर शिक्षक पूरे दिन तनाव में रहते हैं। शिक्षकों से जुड़ी गोपनीय सूचना को यह प्रणाली सुरक्षित रखने में पहले ही असमर्थ रही है। सामान पासवर्ड के कारण शिक्षक एक दूसरे की गोपनीय जानकारियां तक देख लेते हैं।

जमीनी हकीकत में सच्चाई सही

केस वन

कोरोना महामारी के कारण बायोमेट्रिक हाजिरी बनाने की प्रक्रिया बंद हो गई। रांची शहर के उच्च विद्यालय में पदस्थापित एक शिक्षिका नियमित रूप से अपनी हाजिरी ई-विद्या वाहिनी के जरिए बनाती हैं। एप को कम से कम दिन में दो बार खोलना पड़ रहा है। इसमें 30 सेकेंड तक पूर्व मुख्यमंत्री का संदेश दिखता है। शिक्षक चाहकर भी इस सुने बगैर आगे नहीं बढ़ सकते। लिहाजा हर दिन इस पर एक मिनट खर्च होता है। शिक्षिका ने विभागीय अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया। इसके बावजूद स्थिति यथावत बनी हुई है।

केस टू

जमशेदपुर के एक विद्यालय में पदस्थापित शिक्षिका ने बताया कि वह विद्यालय कैंपस में प्रवेश करने के बाद अपनी हाजिरी बनाती हैं। सिस्टम में हर दिन वह 300 मीटर दूर दिखता है। इस बारे में कई बार विभागीय स्तर पर शिकायत की। समस्या दूर नहीं हुई। सिस्टम का पासवर्ड एक समान होने के कारण एक विद्यालय में काम करने वाले सभी शिक्षक एक दूसरे की गोपनीय सूचनाएं देख लेते हैं। इसमें बैंक अकाउंट नंबर तक शामिल है। विभाग की ओर से भरोसा दिया गया था कि समस्या का समाधान किया जाएगा। स्थिति यथावत बनी हुई है।

ई-विद्यावाहिनी से नहीं जुड़ पाएं हैं कई स्कूल

ई-विद्यावाहिनी से कई स्कूल नहीं जुड़ पाएं हैं। जो जुड़े भी हैं वहां शिक्षक स्कूल में उपस्थिति दर्ज करते हैं तो वह स्कूल से बाहर दिखाया जाता है। कुल मिलाकर शिक्षक उपस्थित रहते भी हैं तो अनुपस्थित हो जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इस आधार पर वेतन रोकने की बात होती है। इस संबंध में गुरुवार को परियोजना व माध्यमिक शिक्षा निदेशक से मिलेंगे। -यशवंत विजय, संयुक्त सचिव, झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ।

मामला संज्ञान में आने के बाद इस बारे में संबंधित एजेंसी से जानकारी प्राप्त की गई है। शिक्षकों की ओर से किया जा रहा दावा पूरी तरह से गलत है। स्कूल को-ऑर्डिनेट और अन्य को-ऑर्डिनेट में अंतर होने के कारण केवल एक अथवा दो फीसद शिक्षकों के अटेंडेंस में ऐसी परेशानी आ रही होगी। स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वह इस प्रणाली को अपडेट करें। जहां तक ई-विद्या वाहिनी में गोपनीयता भंग होने का सवाल है। इसमें कामन पासवर्ड नहीं है। शिक्षक चाहें तो अपना पासवर्ड बदल सकते हैं। यह प्रणाली पूरी तरह सुरक्षित है। -जटाशंकर चौधरी, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग।

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