Jharkhand Scholarship Scam: छात्रवृत्ति घोटाले में गजब की लीपापोती... 10 माह बाद भी एसीबी के हाथ खाली...

Jharkhand Scholarship Scam झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर शुरू हुई छात्रवृत्ति घोटाले की जांच लटक गई है। लाखों के घोटाले में जांच का आलम यह है कि जिस रिपोर्ट को 15 दिनों में सरकार को सौंपना था वह 10 महीने के बाद भी आगे नहीं बढ़ सकी।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 12:48 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 12:49 AM (IST)
Jharkhand Scholarship Scam: छात्रवृत्ति घोटाले में गजब की लीपापोती... 10 माह बाद भी एसीबी के हाथ खाली...
Jharkhand Scholarship Scam: झारखंड छात्रवृत्ति घोटाले में एसीबी को 10 महीने बाद भी रिपोर्ट नहीं मिली।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Scholarship Scam झारखंड में छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को दस महीने के बाद भी अधिकतर जिलों ने अपनी रिपोर्ट नहीं दी है। नतीजा यह हुआ कि जिस रिपोर्ट को 15 दिनों के भीतर राज्य सरकार को सौंपने का निर्देश था, उसकी जांच दस महीने के बाद भी आगे नहीं बढ़ सकी।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर गत वर्ष 15 दिसंबर को एसीबी ने छात्रवृत्ति घोटाले में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी। राज्य सरकार ने एसीबी से पीई दर्ज करने के 15 दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट मांगी थी। पीई दर्ज करने के बाद एसीबी ने सभी जिलों के उपायुक्तों को पत्राचार कर छात्रवृत्ति घोटाले से संबंधित पूरी रिपोर्ट 31 दिसंबर,2020 तक उपलब्ध कराने को कहा था।

कुछ जिलों ने जो रिपोर्ट दी, उससे एसीबी संतुष्ट नहीं हुआ और एक फार्मेट तय कर पांच बिंदुओं पर पूरी रिपोर्ट मांगी ताकि यह पता चल सके कि छात्रवृत्ति घोटाला किस तरह हुआ और इसके दोषी कौन हैं। पूरा घोटाला कितने का है। रिपोर्ट नहीं मिलने पर एसीबी ने एक बार फिर सभी संबंधित जिलों से पत्राचार किया है और रिपोर्ट शीघ्र उपलब्ध कराने को कहा है। कुछ ही जिलों ने रिपोर्ट दी है। अब भी कइयों की रिपोर्ट एसीबी में पहुंची ही नहीं है।

क्या है पूरा मामला

छात्रवृत्ति घोटाला केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय से संचालित विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं के कार्यान्वयन में हुई अनियमितता और सरकारी राशि के गबन का मामला है। घोटाले का यह मामला लगभग सभी जिलों में है, इसलिए जिलों में दर्ज केस के आधार पर दो-तीन जिलों पर एसीबी के एक इंस्पेक्टर को सहायक जांच कर्ता बनाया गया था। राज्य के लगभग सभी जिलों से छात्रवृत्ति घोटाले की सूचनाएं मिलती रही हैं। लगातार शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ही एसीबी को जांच का आदेश दिया था।

एसीबी प्री मैट्रिक स्कॉलरशिप, पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप और मेरिट सह मिंस स्कॉलरशिप में हुई अनियमितता की जांच कर रहा है। अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजनाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितता व राशि गबन के मामले सामने आ चुके हैं। उपायुक्तों की जांच में इस बात का खुलासा हो चुका है कि दलालों ने स्कूल प्रबंधन की मिलीभगत से एनएसपी पोर्टल पर स्कूल के लॉगिन और पासवर्ड लेकर यह खेल किया।

पता चला कि दलालों ने पहले योग्य छात्रों से छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कराया और फिर डीबीटी के माध्यम से छात्रों के बैंक खाते में छात्रवृत्ति की राशि हस्तांतरित होने के बाद छात्रों के फिंगर प्रिंट या ई-पॉस मशीन के माध्यम से छात्रवृत्ति की राशि की निकासी कर ली। इसमें आधी या इससे कम राशि छात्रों को दी गई और शेष का फर्जीवाड़ा कर लिया गया। बिना अहर्ता वाले छात्रों के नाम पर भी खेल हुआ है। 

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