रामेश्‍वर उरांव का विरोध करेंगे झारखंड के शिक्षक, 14 को काला बिल्‍ला लगाकर करेंगे प्रदर्शन

Jharkhand School Teachers Rameshwar Oraon Jharkhand Congress शिक्षक संघ ने कहा है कि रामेश्‍वर उरांव ने शर्मनाक बयान दिया है। उन्हें तुरंत मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए। कहा कि सरकारी शिक्षकों ने हर मोर्चे पर काम किया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 09:40 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 01:46 PM (IST)
रामेश्‍वर उरांव का विरोध करेंगे झारखंड के शिक्षक, 14 को काला बिल्‍ला लगाकर करेंगे प्रदर्शन
Jharkhand School Teachers, Rameshwar Oraon, Jharkhand Congress शिक्षक संघ ने कहा है कि रामेश्‍वर उरांव ने शर्मनाक बयान दिया है।

रांची, जासं। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र चौबे ने कहा कि सरकारी स्कूलों के प्रति वित्त मंत्री डा. रामेश्वर उरांव के गैर जिम्मेदाराना और एकपक्षीय बयान के विरोध में प्रदेश के प्राथमिक व मध्य विद्यालयों के शिक्षक 14 सितंबर को राज्यव्यापी काला बिल्ला लगाकर विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का यह बयान शर्मनाक है। उन्हें तुरंत मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए, क्योंकि अपने ही तंत्र के बारे में बोलना कितना उचित है।

उन्होंने कहा कि मंत्री को यह पता नहीं कि राज्य के सरकारी शिक्षक इस कोरोना काल में पीडीएस दुकान से लेकर अस्पताल, बस स्टैंड, क्वारंटाइन सेंटर, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा, दवा दुकान, चेक नाका, आक्सीजन सेंटर, आनलाइन प्रशिक्षण, राशन कार्ड के लिए नए आवेदनों की जांच, कोविड जांच के लिए शिविरों व सड़क पर पुलिस के साथ मजिस्ट्रेट की भी भूमिका में रहे। मंत्री इस तरह के बयान से पहले जांच कर लें, उसके बाद ही यह बात बोलें।

मंत्री के बयान की निंदा करने वालों में असदुल्लाह, दीपक दत्ता, धीरज कुमार, सुनील कुमार, अनिल कुमार, बाल्मीकि कुमार, प्रवीण कुमार, संजय कुमार आदि भी शामिल हैं। मालूम हो कि शनिवार को निजी शिक्षकों के सम्मान समारोह में मंत्री ने कहा था कि जब वे एसपी थे, तो एक स्कूल के निरीक्षण के दौरान पता चला कि हेडमास्टर आते ही नहीं हैं।

कर्मचारियों से पूछा तो उन्हें बताया गया कि शिक्षक ठेकेदारी करते हैं। डीसी ने जब छानबीन कराई तो बात सच साबित हुई। राज्य के अधिकतर सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं, लेकिन जो हकीकत है, वह किसी से छिपा भी नहीं है। यदि प्राइवेट स्कूल नहीं होते, तो आज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मामले में देश और झारखंड काफी पिछड़ गया होता।

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