सियासत का पुराना खेल... मुंह में राम बगल में छुरी... पढ़ें राजनीति की अंदरुनी खबर

Laltest Political Updates Jharkhand हुजूर कब क्या कर जाएं साथ वालों को भी पता नहीं चलता। मुंह में राम राम रहता है और बगल में छुरी दबाए फिरते हैं। सामने वाले ने भी भाप ली है इनकी नीयत सो इसका संकेत देने में भला पीछे क्यों रहें।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 04:34 AM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 05:44 PM (IST)
सियासत का पुराना खेल... मुंह में राम बगल में छुरी... पढ़ें राजनीति की अंदरुनी खबर
Laltest Political Updates Jharkhand हुजूर के मुंह में राम, राम रहता है और बगल में छुरी दबाए फिरते हैं।

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। Laltest Political Updates Jharkhand झारखंड विधानसभा का बजट सत्र आरंभ हो गया है। 26 फरवरी से शुरू हुए बजट सत्र के पहले दिन राज्‍यपाल के अभिभाषण के साथ राजनीति भी अपने रंग में आ गई है। सत्‍ता पक्ष जहां जवाब देने को पूरी तैयारी करके बैठा है, वहीं विपक्ष सरकार को चौतरफा घेरने की ताक में जुटा है। 3 मार्च को झारखंड बजट पेश किया जा रहा है। झारखंड की राजनीति को नजदीकी से भांपता हुआ हमारा विशेष कॉलम... राज्‍य ब्‍यूरो के प्रभारी प्रदीप सिंह के साथ यहां पढ़ें सत्ता के गलियारे से...

बना रहे माहौल

जानलेवा बीमारी का प्रबंधन करते-करते हुजूर की ऐसी भद्द पिटी कि पूछो मत। न यहां के रहें न वहां के। अभी तो गिनती के साल ही हुए हैं, लेकिन यहां-वहां अपनी करनी से ऐसा कर लिया कि अब नाम लेने के साथ ही इनका गुणगान करने लगे हैं सभी लोग। वैसे ठीक भी है। इसी नाम के चक्कर में तो कई बदनाम हैं। आसपास वाले बताते हैं कि साहब ऐसे गांधीवादी हैं कि कोई मौका छोड़ते नहीं। छोटा हो या बड़ा कुछ भी चलेगा, लेकिन रंगीन कागज के बिना तो टस से मस नहीं होते। इसके अलावा भी कलियुग के कई सारे शौक पाल रखे हैं हुजूर ने। इनकी कारस्तानी की फाइल हो रही है परत दर परत मोटी। एक ने तो हुजूर से रोज-रोज की किचकिच से छुटकारा पाने के लिए खुद को अलग कर लिया, लेकिन दूसरे ने बदला लेने की कर ली है तैयारी।

कोयले पर किचकिच

सारे फसाद की वजह है कोयला। जितना इसका रंग काला, उतना ही इसमें हाथ डालने वालों को कालिख का खतरा, लेकिन इसी कालिख में न जाने कितने पल रहे झारखंड में। इसी के फेर में सबकुछ हो रहा है। कोई इधर है तो कोई उधर। कोई किसी का पुतला जलवा रहा है तो कोई ऊपर पहुंचा रहा है शिकायत। बड़ी पंचायत के दो धुरंधर भी भिड़ गए हैं इसी खेल में। एक पुराने खिलाड़ी हैं। खुद को तीसमार खां कहते फिरते हैं, लेकिन उनके हिस्से की सीट पर दूसरा मार गया मैदान। बस, इसी के बाद दोनों एक-दूसरे के लिए कोई मौका नहीं छोड़ते। इस लड़ाई में कई छुटभैये भी देख रहे अपने लिए चांस। वैसे भी वानर की किचकिच में बिल्ली मौका मार ही ले जाती है हमेशा। इस दफा भी कुछ ऐसा हुआ तो नरभसाइएगा नहीं।

बन गई लिस्ट

ऐतिहासिक पार्टी के दफ्तर में हल्ला-गुल्ला कोई नई बात नहीं। एक मौका ऐसा भी आया था, जब गोलियों की ठांय-ठांय हुई थी यहां। साहब कहते हैं कि जिंदा जमात में यह जायज है। वैसे भी आने वाले दिनों में ऐसी हरकतें रोजमर्रा की घटनाओं में तब्दील हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा किसी को। बड़ी मशक्कत से हो गई है लिस्ट तैयार। बस अंतिम मुहर लगने का है इंतजार। इसके बाद अलग-अलग राग ऐसा बजेगा कि फ्यूजन म्यूजिक का भ्रम पैदा करेगा। एक और पुराने कप्तान ने भी जमा लिया है आशियाना। एक साथ इतने मोर्चे खुले हैं कि पूछो मत। सारे एक से बढ़कर एक धुरंधर। सारा फेर है कुर्सी पर कब्जा बनाए रखने का, जो तेजी से खिसकने को है आतुर। हुजूर भी लग गए हैं बचाने में और शुभचिंतकों की टोली ने फैला दिया है रायता। बच गए तो आगे की तैयारी में लगेंगे, लेकिन सबको पता है कि आसार अच्छे लगते नहीं।

बढ़ गई धड़कन

हुजूर के जबरदस्त मास्टर स्ट्रोक ने सबको पीछे धकेल दिया है। कब क्या कर जाएं, साथ वालों को भी पता नहीं चलता। यही वजह है कि मुंह में राम, राम रहता है और बगल में छुरी दबाए फिरते हैं। सामने वाले ने भी भाप ली है इनकी नीयत, सो आगे की तैयारी और उससे ज्यादा इसका संकेत देने में भला पीछे क्यों रहें। पहेली बुझाने के चक्कर में हुजूर चले गए कमल खेमे में और खूब गले मिले। जब ज्यादा ही वक्त गुजर गया तो सामने शुरू हो गई खुसरफुसर। कुछ ने कान भी लगाने की कोशिश की। पूछा भी कि मुलाकात हुई क्या बात हुई। कईयों के कान अभी भी खड़े हैं। हिसाब-किताब लगा रहे हैं कि फेरबदल की नौबत आई तो वे किस पाले में आएंगे। हुजूर कूदफांद में माहिर हैं और गच्चा देने में उस्ताद। मजे की बात यह है कि सबको इसका आभास है। 

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