Jharkhand: विधानसभा चुनाव से पहले झामुमो को तोड़ने की हुई थी गहरी साजिश

Jharkhand Political Updates झामुमो के शीर्ष नेतृत्व के भरोसेमंद रह चुके रवि केजरीवाल भीतरखाने तोडफ़ोड़ की कोशिश कर रहे थे। पार्टी के 13 विधायकों पर उनकी नजर थी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 08:46 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 08:36 AM (IST)
Jharkhand: विधानसभा चुनाव से पहले झामुमो को तोड़ने की हुई थी गहरी साजिश
Jharkhand: विधानसभा चुनाव से पहले झामुमो को तोड़ने की हुई थी गहरी साजिश

रांची [प्रदीप सिंह]। मध्यप्रदेश व राजस्थान में मची राजनीतिक उथल-पुथल से पहले से ही झारखंड में भी हाल ही मेें सत्तासीन हुई पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के भीतर तोडफ़ोड़ की गहरी साजिश रची गई थी। साजिशकर्ताओं के निशाने पर झामुमो के 13 विधायक थे। पार्टी के भीतर सेंधमारी की साजिशों के भेद अब एक-एक कर खुलने लगे हैं। हाल ही में झामुमो से निकाले गए पार्टी के केंद्रीय कोषाध्यक्ष पर पार्टी ने इसी तरह की भीतरघात के आरोप लगाए हैं।

वहीं कुछ दिनों पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने भी कांग्रेस विधायकों को भाजपा की ओर से प्रलोभन दिए जाने का मामला उठाया था। ये उदाहरण बताते हैं कि झारखंड की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। भाजपा को पछाड़ कर राज्य की सत्ता पर काबिज होने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव से पहले ही पार्टी के कई विधायकों को एकसाथ दूसरे दल में ले जाने के लिए व्यापक साजिश रची जा चुकी थी।

चुनाव से पहले झामुमो की शीर्षस्थ केंद्रीय समिति के कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल ने ही इस साजिश को अंजाम तक पहुंचाने की कमान संभाली थी। केजरीवाल ने इसके तहत झामुमो के तत्कालीन 13 विधायकों से बारी-बारी से संपर्क किया था। बताया जाता है कि एक हद तक पांच विधायक उनके झांसे में आ भी गए थे, लेकिन समय रहते झामुमो नेतृत्व को साजिश की भनक लग गई और योजना परवान नहीं चढ़ पाई। झामुमो सूत्रों को अनुसार केजरीवाल ने विधायकों को बेहतर राजनीतिक भविष्य के सपने दिखाए थे।

यह भी बताया था कि वह भाजपा के किन नेताओं के सीधे संपर्क में है। जानकारी होने पर पार्टी के आलाकमान ने आनन-फानन में डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू की। इसमें उन्हें तत्काल सफलता भी मिली और दल छोडऩे को उतारू विधायकों ने अपना मन बदल लिया। केजरीवाल के अलावा दो सीटिंग विधायकों पौलुस सुरीन और शशिभूषण सामड का इसी वजह से चुनाव में टिकट भी कटा, क्योंकि वे आलाकमान के खिलाफ काफी मुखर थे।

वहीं, झामुमो ने राज्य की सत्ता संभालने के बाद पहले रवि केजरीवाल को पार्टी में शंट किया और बाद में पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।  इस कार्रवाई के बाद केजरीवाल ने अभी उपयोग किए जा रहे मोबाइल नंबर बंद कर रखे हैं। यह भी जानकारी मिली है कि वह झारखंड से बाहर शिफ्ट हो चुके हैं। एक विश्वस्त पदाधिकारी की इस हरकत से झामुमो का शीर्ष नेतृत्व सकते में है।

सहयोग कर रहे थे एक वरीय पदाधिकारी

झारखंड मुक्ति मोर्चा में तोडफ़ोड़ की मुहिम में लगे रवि केजरीवाल को पार्टी के एक केंद्रीय पदाधिकारी सक्रिय सहयोग कर रहे थे। उक्त पदाधिकारी को भी चिन्हित किया जा चुका है। महत्वपूर्ण पद पर अरसे से काबिज उस पदाधिकारी को भी अब पदमुक्त करने की तैयारी है।

दो विधायकों ने छोड़ी थी पार्टी

विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बहरागोड़ा से झामुमो के विधायक कुणाल षाडंगी और मांडू विधायक जेपी पटेल ने पार्टी छोड़ दी थी। रवि केजरीवाल ने बार-बार षाडंगी को इस बात का भरोसा दिलाया था कि झामुमो में उनका  राजनीतिक भविष्य सुरक्षित नहीं है। बताते हैं कि संगठन के भीतर कुणाल षाडंगी ने अपनी बातों को पहुंचाने की कोशिश की थी, लेकिन तब तक संवादहीनता चरम पर पहुंच चुकी थी।

केजरीवाल ने उन्हें भड़काने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी, जबकि इससे पहले तक षाडंगी के झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन से बेहतर ताल्लुकात थे। उधर लोकसभा चुनाव से पहले ही मांडू के विधायक जेपी पटेल ने भाजपा से निकटता की वजह से विरोध का झंडा बुलंद कर दिया था, जबकि दो पीढिय़ों से उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि झामुमो की थी। उनके पिता झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन के काफी करीबी थे।

chat bot
आपका साथी