Jharkhand Election Results 2019: अपनों ने ही डुबोई महागठबंधन की लुटिया

Jharkhand. लोकसभा चुनाव बीत गया। नई सरकार के गठन की प्रक्रिया दिल्ली में शुरू हो गई। लेकिन राजनीतिक दलों में जीत-हार की विवेचना जारी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 26 May 2019 12:19 PM (IST) Updated:Mon, 27 May 2019 02:03 PM (IST)
Jharkhand Election Results 2019: अपनों ने ही डुबोई महागठबंधन की लुटिया
Jharkhand Election Results 2019: अपनों ने ही डुबोई महागठबंधन की लुटिया

रांची, [आनंद मिश्र]। लोकसभा चुनाव बीत गया। नई सरकार के गठन की प्रक्रिया दिल्ली में शुरू हो गई। लेकिन राजनीतिक दलों में जीत-हार की विवेचना जारी है। झारखंड में तो इसकी और भी ज्यादा जरूरत पेश आ रही है, छह माह के भीतर विधानसभा चुनाव जो है। जो भी हो लेकिन यह तो तय है कि लोकसभा के परिणाम यदि विधानसभा में दोहराए गए तो महागठबंधन कहीं का न रहेगा।

लोकसभा चुनाव की जीत-हार का आकलन विधानसभावार करने में कुछ ऐसी ही तस्वीर उभरती है। स्पष्ट यह भी होता है कि महागठबंधन की लुटिया अपनों ने ही डुबोई। झारखंड में 14 में से 12 लोकसभा सीटों पर काबिज होने वाले एनडीए ने 63 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाई और महागठबंधन ने महज 18 सीटों पर। विपक्ष के मौजूदा 20 विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों में अप्रत्याशित रूप से एनडीए को बढ़त मिली।

इनमें ऐसे दिग्गज भी थे, जो अपने ही विधानसभा क्षेत्र में चुनाव हार गए तो कुछ ने अपनों की लुटिया डुबो दी। महागठबंधन के प्रत्याशी प्रदीप यादव गोड्डा से चुनाव हारे। वे पोड़ैयाहाट से विधायक हैं, जो इसी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। इस क्षेत्र में उन्हें भाजपा से कम वोट मिले। लोहरदगा से कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत ने आखिर तक मुकाबला किया। लेकिन उन्हें अपनी खुद की विधानसभा में भाजपा प्रत्याशी सुदर्शन भगत से कम वोट मिले।

यदि लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र से वे लीड ले लेते तो परिणाम पलट भी सकता था। गिरिडीह से महागठबंधन के झामुमो प्रत्याशी जगरनाथ महतो डुमरी में पीछे रहे, वे यहीं से विधायक हैं। दुमका में झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन जामा और नाला विधानसभा क्षेत्र में भाजपा से मात खा गए। जामा से उनकी बहू सीता सोरेन विधायक हैं तो नाला से झामुमो के ही रवींद्र नाथ महतो विधायक हैं।

झामुमो के तेज तर्रार विधायक कुणाल षाडंगी बहरागोड़ा में झामुमो प्रत्याशी चंपई सोरेन को बढ़त नहीं दिला सके। चंपई सोरेन लड़े तो जमशेदपुर संसदीय सीट से थे, लेकिन वे विधायक सरायकेला से हैं। यह विधानसभा क्षेत्र सिंहभूम के अंतर्गत आता है। गीता कोड़ा एकमात्र इसी विधानसभा क्षेत्र में पीछे रहीं। हालांकि उन्होंने जीत हासिल कर महागठबंधन की लाज रखी। मासस विधायक अरूप चटर्जी निरसा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं, लेकिन वे भी विपक्ष का रोल अदा नहीं कर सके।

महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी मनोज यादव चतरा संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े और काफी पीछे भी रहे। वे बरही से विधायक हैं लेकिन उनके विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को जमकर वोट पड़े, यहां कांग्रेस बहुत पीछे रही। मांडू के जयप्रकाश भाई पटेल ने बीच चुनाव में ही अपनी मंशा प्रकट कर दी थी। यहां भी भाजपा को ही बढ़त मिली। विपक्ष के ऐसे 20 विधायक हैं जिनके क्षेत्र में एनडीए को महागठबंधन से कहीं ज्यादा वोट मिले।

इनमें यदि भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही को हटा भी दिया जाए तो भी 19 विधानसभा क्षेत्रों में महागठबंधन प्रत्याशी को अपने विधायक होने का लाभ नहीं मिला। महागठबंधन ने लोकसभा चुनाव में महज 18 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त बनाते हुए सिर्फ दो लोकसभा सीटों पर कब्जा किया।

भाजपा के भी पांच विधायक अपने प्रत्याशी के काम नहीं आए

आंकड़ा भले ही महागठबंधन के विधायकों सरीखा न हो लेकिन सत्ता पक्ष के भी कुछ दिग्गज ऐसे हैं, जिनके विधानसभा क्षेत्र में भाजपा पीछे रह गई। विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव के सिसई विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को अधिक वोट मिले। इसी संसदीय क्षेत्र के गुमला विधानसभा में भी भाजपा प्रत्याशी सुदर्शन भगत पिछड़े।

खूंटी में मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के किसी काम नहीं आए। इसी संसदीय क्षेत्र में सिमडेगा विधानसभा में विधायक विमला प्रधान मुंडा की मदद नहीं कर सकी। यही वजह रही कि मुंडा मुश्किल से चुनाव जीते।

यहां महागठबंधन को नहीं मिला अपनों का साथ

विधानसभा क्षेत्र    विधायक (दल)     

जामा             सीता सोरेन  (झामुमो)      

जरमुंडी          बादल (कांग्रेस)           

नाला             रवींद्र नाथ महतो (झामुमो)   

पोड़ैयाहाट       प्रदीप यादव (झाविमो)     

बरही            मनोज यादव (कांग्रेस)    

बड़कागांव      निर्मला देवी (कांग्रेस)   

डुमरी           जगरनाथ महतो (झामुमो)   

गोमिया         बबीता देवी (झामुमो)       

निरसा          अरुप चटर्जी (मासस)     

बहरागोड़ा      कुणाल षाडंगी (झामुमो)  

सरायकेला      चंपई सोरेन (झामुमो)     

खरसावां       दशरथ गागरई (झामुमो)    

सिल्ली         सीमा देवी (झामुमो)           

बिशुनपुर       चमरा लिंडा (झामुमो)     

लोहरदगा      सुखदेव भगत (कांग्रेस)   

लातेहार       प्रकाश राम (झाविमो)        

पांकी         देवेंद्र कुमार सिंह (कांग्रेस)     

हुसैनाबाद     कुशवाहा शिवपूजन (बसपा)

भाजपा के ये दिग्गज भी पार्टी के काम नहीं आए

बोरियो       ताला मरांडी (भाजपा)

खूंटी      नीलकंठ सिंह मुंडा (भाजपा)

सिसई    दिनेश उरांव  (भाजपा)     

गुमला    शिवशंकर उरांव (भाजपा)

सिमडेगा    विमला प्रधान (भाजपा)

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