माल महाराज का, और मिर्जा खेले होली... पढ़ें पुलिस महकमे की अंदरुनी खबर DIAL 100

पुलिस महकमे में एक से एक काबिल अफसर अपना हुनर दिखा रहे हैं वहीं कुछ को अपना फन दिखाने के लिए उचित माैके का इंतजार है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 11:13 PM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 06:57 AM (IST)
माल महाराज का, और मिर्जा खेले होली... पढ़ें पुलिस महकमे की अंदरुनी खबर DIAL 100
माल महाराज का, और मिर्जा खेले होली... पढ़ें पुलिस महकमे की अंदरुनी खबर DIAL 100

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड में बढ़ते कोरोना संक्रमण और बिगड़ते हालात के बीच ब्‍यूरोक्रेसी पूरे रौ में है। पुलिस महकमे में एक से एक काबिल अफसर अपना हुनर दिखा रहे हैं, वहीं कुछ को अपना फन दिखाने के लिए उचित माैके का इंतजार है। रही-सही कसर मूल विभाग के अलावा मिली अतिरिक्‍त जिम्‍मेवारी से पूरी हो रही है। महकमे के मुखिया से लेकर दूसरे अफसर ऊपर तक आवाज पहुंचाने को बेताब दिख रहे हैं। राज्‍य ब्‍यूरो के संवाददाता दिलीप कुमार के साथ यहां पढ़ें पुलिस महकमे की अंदरुनी खबर डायल-100 में...

शौक बड़ी चीज है

साहब घर भी संभालते हैं और बिजली भी। लेकिन, खुद की बत्ती तब तक गुल रहती है, जब तक दो लिटिल-लिटिल चले न जाएं। शौक अब आदत में कुछ इस कदर तब्दील हो गया है कि दो-चार लगने के बाद ही आंख खुलती है और ऐसी खुलती है कि पेचीदा से पेचीदा फाइल में चट से गड़बड़ी पकड़ लेते हैं। काम में कतई कोताही नहीं बरतते। इनका काम बोलता है, तभी तो सरकार को इतना भरोसा है कि दो-दो अहम विभागों की जवाबदेही सौंप रखी गई है। दो-दो विभागों की जवाबदेही में कहीं मूल काम रह न जाए, इसका इन्हेंं खास ख्याल रहता है। यही वजह है कि माल इन दिनों अपने बैग में ही लेकर चलते हैं। कब जरूरत पड़ जाए, किससे कहेंगे? दिन-दोपहरी ही लगा ले रहे हैं, किसी खास ब्रांड में कोई रुचि नहीं है। बस हलक गीला होना चाहिए और शौक पूरा होना चाहिए।

जमीन नापा तो बर्बादी तय

खाकी वाले विभाग के एक बड़े साहब इन दिनों रौ में हैं। घाट-घाट का पानी पीकर जवान हुए हैं। विभाग के हर क्षेत्र को करीब से देखते-देखते अब नौकरी के अंतिम पड़ाव तक पहुंच गए हैं। नौकरी के उतार-चढ़ाव के दौरान हर परिस्थितियों को करीने से नाप चुके ये साहब अब उन्हें भी नापेंगे, जो इन दिनों विभाग का होकर जमीन नाप रहे हैं। ये साहब उन्हें खुली चेतावनी भी दे चुके हैं कि जमीन नापा तो बर्बाद कर दूंगा। ये साहब बाहर से जितने कड़क हैं, अंदर से उतने ही नरम भी। चेतावनी के बाद पुचकारते भी हैं। कहते हैं कि नौकरी में आते वक्त जो शपथ तुमने ली थी, उसपर कितना अमल किया। अपने अंदर झांको और दिल पर हाथ रख मनन करो कि उस शपथ को जीवन में कितना पूरा किया। इससे दिल भी साफ होगा और समाज में तुम्हारी इज्जत भी बढ़ेगी।

आतंकी विरासत

माल महाराज का, मिर्जा खेले होरी। यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी। ऐसा ही एक मिर्जा इन दिनों चर्चा में है। आतंकी राजा की कृपा क्या बरसी, वह तो राज कृपाल बन गया। कृपा ऐसी बरसी कि सड़क से लेकर भवन तक में सिर्फ एक ही नाम गूंजती रही, राज कृपाल। अपनी अंगुली पर सबको नचाने वाला, इन दिनों खुद ता ता, थैया कर रहा है। उसकी आतंकी विरासत की पोल जो खुलने लगी है। धन का आना गलत नहीं, लेकिन गलत तरीके से धन का आना भारी पड़ गया है। आतंकी राजा के आतंकी विरासत पर राज करने वाले राज कृपाल का ऐसा दुर्दिन भी आएगा, यह सोचा न था। वह इस कदर डर गए हैं कि अंबेडकर साहब की किताब की चौपाई पढ़कर अपनी समस्या का हल खोजने लगे हैं। उनके सिपह-सलाहकार, कानूनविद भी उन्हें बचाने के लिए उनकी परिक्रमा करने में लगे हैं। 

भ्रष्टाचार का शीर्षासन

मुखियाजी की एबीसीडी वाले पाठशाला में इन दिनों योगासन चल रहा है। मुखियाजी तो योगासन के माहिर खिलाड़ी पहले से थे, अब पकड़-पकड़कर योगा करा रहे हैं। उन्हें पहले से पता था कि किस योग से शरीर की कौन सी बीमारी दूर होगी, सो उन्होंने अपने कर्मवीरों को चुस्त-दुरुस्त बनाने की ठान ली। उनकी नजर भ्रष्टाचार का अन्न डकार बड़े-बड़े पेट लेकर चलने वाले कर्मवीरों पर पड़ चुकी है। अब तो वे इन कर्मवीरों को शीर्षासन करवाने लगे हैं, ताकि भ्रष्टाचार का पेट कम हो सके। मुखियाजी की पाठशाला में शीर्षासन करते-करते ऐसे कर्मवीरों के मुंह से झाग आने लगा है। भ्रष्टाचार का अन्न बाहर निकलने लगा है। लगे रहिए मुखियाजी। ऐसे लोगों से शीर्षासन करवाते रहिए। तब तक करवाइए, जब तक भ्रष्टाचार का अंतिम घूंट भी वह खुद बाहर न फेंक दे। आपकी पाठशाला बढिय़ा चल रही है, बेहतर परिणाम देकर रहेगी।

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