Arms Smuggling : झारखंड पुलिस ने जब्त की गोलियां और उठाकर ले गए बीएसएफ वाले
हथियार तस्करी। अब कारतूस वापसी के लिए बीएसएफ को पत्र लिखेगा एटीएस। हथियार-कारतूस सप्लाई में गिरफ्तार बीएसएफ के हवलदार के पास से जब्त हुए थे 8304 कारतूस। बीएसएफ भी कर रही है अपने स्तर से पूरे मामले की जांच गिरफ्तार हवलदार हो सकता है बर्खास्त।
रांची, (दिलीप कुमार) : हथियार और कारतूस तस्करी में लिप्त अद्र्धसैनिक बलों के जवानों की पिछले महीने हुई गिरफ्तारी के मामले में झारखंड पुलिस को जहां लगातार नए इनपुट मिल रहे हैैं, वहीं मामले में नए मोड़ भी आ रहे हैं। अब पुलिस की ओर से जब्त किए गए कारतूस को बीएसएफ के अधिकारियों द्वारा ले जाने से झारखंड एटीएस परेशान है।
जब्त कारतूस झारखंड पुलिस का साक्ष्य है, जिसे न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना अनिवार्य है। ऐसी स्थिति में झारखंड पुलिस की एटीएस ने इस संदर्भ में बीएसएफ से पत्राचार करने का निर्णय लिया है, ताकि जब्त कारतूस को वापस लाया जा सके। एटीएस अधिकारियों के अनुसार जब्त साक्ष्य को अदालत में प्रस्तुत किए जाने के बाद अगर बीएसएफ उसे लेना चाहे तो न्यायालय की अनुमति के बाद जब्त कारतूस को जिम्मेनामा पर बीएसएफ को सौंपा जा सकता है। यह एक कानूनी प्रक्रिया है।
एटीएस ने एक पखवारा पहले 8304 कारतूस किया था जब्त
झारखंड पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने एक पखवारे पहले पंजाब के फिरोजपुर स्थित सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 116 बटालियन के कैंप से गिरफ्तार हवलदार कार्तिक बेहरा की निशानदेही पर 8304 कारतूस जब्त किया था। सीमा सुरक्षा बल (बीएसफ) के अधिकारी इस जब्त कारतूस को अपने साथ लेकर चले गए हैं। बीएसएफ के मुताबिक, इस मामले की आंतरिक जांच की जा रही है।
बताया जा रहा है कि हथियार-कारतूस की सप्लाई में गिरफ्तार बीएसएफ के हवलदार कार्तिक बेहरा पर आरोपों की पुष्टि हो जाती है तो उसपर बर्खास्तगी की कार्रवाई होगी। बीएसएफ हवलदार कार्तिक बेहरा गिरफ्तारी के वक्त बीएसएफ के फिरोजपुर कैंप का कोत प्रभारी (हथियार व कारतूस की देखरेख का प्रभारी) था। उसकी गिरफ्तारी के बाद बीएसएफ कैंप परिसर से ही 8304 कारतूस, दर्जनों खाली खोखे, डेटोनेटर, मैगजीन व अन्य सामान बरामद हुए थे।
हथियार-कारतूस तस्करी में अब तक नौ आरोपित हो चुके हैं गिरफ्तार
केंद्रीय अद्र्धसैनिक बलों के कारतूस नक्सलियों-अपराधियों तक पहुंचने की सूचना पर झारखंड एटीएस ने देश के पांच राज्यों में एक साथ छापेमारी की थी। इस तस्करी में अब तक नौ आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इनमें सीआरपीएफ के जम्मू-कश्मीर के पुलवामा स्थित कैंप का भगोड़ा जवान अविनाश कुमार उर्फ चुन्नू शर्मा, बीएसएफ के पंजाब के फिरोजपुर स्थित 116 बटालियन से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुका जवान अरुण कुमार सिंंह, इसी कैंप का कोत प्रभारी पद्मपुर सरायकेला-खरसांवा का निवासी हवलदार कार्तिक बेहरा, मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के खखनार, पचौरी निवासी कुमार गुरलाल ओचवारे, शिवलाल धवल सिंंह चौहान, हिरला गुमान सिंंह ओचवारे, बिहार के पटना सलीमपुर निवासी ऋषि कुमार, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड के सिमरी गांव निवासी पंकज कुमार सिंंह और भोजपुर जिले के कारथ तरारी गांव निवासी कामेंद्र सिंंह शामिल हैं।
एनआइए केस को कर सकती है टेकओवर
हथियार-कारतूस तस्करी के इस अंतरराज्यीय गिरोह के खुलासे से संबंधित मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) टेकओवर कर सकती है। झारखंड पुलिस को इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय से दिशा-निर्देश नहीं मिला है। एनआइए का लिखित आग्रह आने के बाद झारखंड पुलिस उक्त केस को एनआइए को सौंप देगी।