पड़ोसी राज्य बिहार के साथ झारखंड के गांवों में पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट, इस महीने इलेक्शन संभव

पड़ोसी राज्य बिहार में पंचायत चुनाव की सरगर्मी के बीच झारखंड के गांवों में सुगबुगाहट तेज हो गई है। कोरोना महामारी को देखते हुए झारखंड सरकार की ओर से पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल छह माह के लिए बढ़ाया है। इस संबंध में राजभवन को प्रस्ताव भेजा गया।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 01:19 PM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 01:19 PM (IST)
पड़ोसी राज्य बिहार के साथ झारखंड के गांवों में पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट, इस महीने इलेक्शन संभव
पड़ोसी राज्य बिहार के साथ झारखंड के गांवों में पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट। जागरण

रांची, डिजिटल डेस्क। पड़ोसी राज्य बिहार में पंचायत चुनाव की सरगर्मी के बीच झारखंड के गांवों में सुगबुगाहट तेज हो गई है। कोरोना महामारी को देखते हुए झारखंड सरकार की ओर से पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल छह माह के लिए बढ़ाया है। इस संबंध में राजभवन को प्रस्ताव भेजा गया। बताया जा रहा है कि अवधि विस्तार के बीच दिसंबर में चुनाव कराए जा सकते हैं। जुलाई में पंचायती राज संस्थानों का कार्यकाल समाप्त हो रहा था।

राज्य सरकार ने मंत्री परिषद के परामर्श से इसे छह माह का दूसरा कार्यकाल विस्तार दे दिया है। ज्ञात हो कि राज्य में ग्राम पंचायत के चुनाव वर्ष 2015 में हुए। प्रावधान के अनुसार पहली बैठक के बाद पंचायतों का पांच वर्ष का कार्यकाल 15 जनवरी 2021 को पूरा हो गया। कोरोना महामारी को देखते हुए इसे छह माह का विस्तार दिया गया। यह अवधि जुलाई में पूरी हो गई। दूसरा विस्तार जनवरी 2022 में पूरा होगा। राज्य सरकार को इससे पहले ही पंचायत चुनाव की घोषणा करनी होगी।

गांवों में राजनीति लेने लगी है करवट

पंचायत चुनाव की समय सीमा नजदीक आने के साथ ही गांवों में राजनीति करवट लेने लगी है। गांव के लोगों को अपने-अपने पक्ष में करने के लिए प्रत्याशी अलग-अलग तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं। कोरोना काल में लोगों को हुई परेशानियों के बीच कई प्रत्याशियों ने आगे आकर लोगों की मदद की। झारखंड में पंचायत चुनाव को लेकर हाल के वर्षों में जागरूकता बढ़ी है। कई जगहों पर पढ़े लिखे युवा इसके जरिए राजनीति में कदम रख रहे हैं।

लगी रहती हैं राजनीतिक दलों की नजरें

पंचायत चुनाव पर राजनीतिक दलों की निगाहें लगी रहती हैं। ग्रामीण इलाकों में अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए मुखिया, ग्राम प्रधान, पंचायत प्रतिनिधि की अहम भूमिका रहती है।

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