झारखंड के हजारीबाग में तालाब की हो रही चोरी, जानिए क्या है पूरा मामला

हजारीबाग जिले के झरपो पंचायत में एक तालाब की चोरी हो गई है। दो विभागों ने एक ही खाता प्लाट नंबर पर दो तालाब बनवा दिए लेकिन प्लाट पर एक ही तालाब विद्यमान है। अब दोनों विभाग उस तालाब को अपना बता रहे हैं।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 02:39 PM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 02:39 PM (IST)
झारखंड के हजारीबाग में तालाब की हो रही चोरी, जानिए क्या है पूरा मामला
झारखंड के हजारीबाग में तालाब की हो रही चोरी, जानिए क्या है पूरा मामला। जागरण

टाटीझरिया (हजारीबाग), मिथिलेश पाठक। हजारीबाग जिले के झरपो पंचायत में एक तालाब की चोरी हो गई है। दो विभागों ने एक ही खाता प्लाट नंबर पर दो तालाब बनवा दिए, लेकिन प्लाट पर एक ही तालाब विद्यमान है। अब दोनों विभाग उस तालाब को अपना बता रहे हैं। हकीकत की बात करें तो पंचायत की मुखिया के पति उमेश प्रसाद ने एक तालाब बनाकर दो विभागों से दो योजनाओं के नाम पर राशि निकाल ली। उमेश प्रसाद पूर्व में टाटीझरिया प्रखंड के 20 सूत्री उपाध्यक्ष भी रहे हैं। वर्तमान में कोडरमा सांसद के टाटीझरिया प्रखंड से थाना के प्रतिनिधि हैं।

पूरी गड़बड़ी योजना बनाओ अभियान के तहत 2016-17 में सेल्फ आफ प्रोजेक्ट के तहत चयन की गई योजना में हुई, जिसकी प्रशासनिक स्वीकृति बीडीओ ने 2018-19 में दी थी। इस योजना के तहत झरपो में मनरेगा की कई योजनाओं का चयन किया गया था। इनमें एक योजना उमेश प्रसाद की जमीन पर डोभा (तालाब का छोटा स्वरूप) निर्माण का भी था। इस कार्य के लिए चार लाख 26 हजार 297 रुपये की स्वीकृत दी गई। इसमें चार लाख 18 हजार आठ रुपये खर्च कर योजना पूरा करा लिया गया।

खेल इसके बाद हुआ, जब उमेश प्रसाद ने उसी डोभा स्थल पर जलछाजन (भू-सर्वेक्षण सह संरक्षण विभाग) विभाग, हजारीबाग से 2018-19 में रिसाव तालाब (परकोलेशन टैंक) स्वीकृत करवा लिया। इस योजना की प्राक्कलित राशि 4 लाख 70 हजार रुपये थी। सरकारी मिलीभगत से मनरेगा योजना के डोभा को जलछाजन का तालाब दिखाकर फिर से राशि निकाल ली गई। इधर, यह खेल तब सामने आया, जब प्रखंड स्तर पर दोनों योजनाओं से संबद्ध खाता प्लाट एक पाया गया। बहरहाल, इस मामले में दोनों ही योजनाओं के दारोमदार अधिकारी इस मामले मेें कुछ भी खुलकर बोलने से बचने की कोशिश कर रहे हैं।

हमने उसी स्थान पर रिसाव तालाब बनवाया है, जहां पहले से कोई डोभा नहीं था।- अजय सिंह, जलछाजन विभाग के अधिकारी

हमारे यहां से यह योजना पहले स्वीकृत हुई थी और डोभा पहले बना है। बाद में कौन, क्या करता है यह उसकी जवाबदेही है।- राजमोहन वर्मा, बीपीओ, टाटीझरिया

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