बड़ी खबर: E-Pass के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका, ई-पास से निजता का हनन @ epassjharkhand.nic.in

E-Pass Jharkhand झारखंड में लाकडाउन के दौरान रविवार से बढ़ाई गई पाबंदियों के तहत वाहनों के परिचालन पर ई-पास को अनिवार्य किए जाने के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। अदालत से इस याचिका पर जल्द सुनवाई करने का आग्रह भी किया गया है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 08:05 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 08:07 PM (IST)
बड़ी खबर: E-Pass के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका, ई-पास से निजता का हनन @ epassjharkhand.nic.in
E-Pass Jharkhand: झारखंड में ई-पास को अनिवार्य करने के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है।

रांची, राज्य ब्यूरो। E-Pass Jharkhand राज्य में लाकडाउन ( स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह) के दौरान रविवार से बढ़ाई गई पाबंदियों के तहत शहर के अंदर भी वाहनों के परिचालन पर ई-पास को अनिवार्य किए जाने के खिलाफ झारखंड हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। अदालत से इस याचिका पर जल्द सुनवाई करने का आग्रह भी किया गया है। प्रार्थी राजन कुमार सिंह ने अपने अधिवक्ता अनूप अग्रवाल के जरिए उक्त याचिका हाई कोर्ट में दाखिल की है।

याचिका में कहा गया है कि सरकार ने 16 से 27 मई तक शहर के अंदर भी वाहनों के परिचालन के लिए ई-पास को अनिवार्य किया है। सरकार ने पास बनाने के लिए लोगों से वजह पूछा है। मतलब लोगों को अपनी हर गतिविधि की जानकारी देनी होगी। सरकार का यह नियम निजता के अधिकारी का उल्लंघन भी है। याचिका में कहा गया है कि स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान सरकार ने सिर्फ जरूरी सेवाएं ही जारी रखने का निर्णय लिया है।

जरूरी सेवा की दुकानें ही खोलने को कहा है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति बाहर निकलता है तो वह आवश्यक काम से ही निकलेगा। आपात स्थिति में यदि किसी को अचानक बाहर निकलना पड़े तो वह अपने दो पहिया वाहन तक का इस्तेमाल नहीं कर सकता, क्योंकि इसके लिए ई-पास की जरूरत होगी। ई-पास नहीं रहने पर लोगो को पुलिस की कार्रवाई का शिकार होना पड़ सकता है।

जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान लोगों की आवाजाही काफी कम है और बिना जरूरत के लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं। ऐसे में ई-पास जारी किए जाने के लिए जो जानकारी मांगी जा रही है उससे निजता का हनन होने की भी पूरी संभावना है, क्योंकि ई-पास लेने के लिए हर गतिविधि की जानकारी साझा करनी होगी।

झारखंड के ग्रामीण इलाकों में लाखों ऐसे लोग हैं जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है । ऐसे में वो ई-पास के लिए कैसे और कहां आवेदन करेंगे यह भी एक बड़ी परेशानी है। इसलिए ई-पास शर्त को गाइडलाइन से समाप्त करने की मांग की गई है।

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