Jharkhand Lockdown: पहचान दिखाइए, उलझिए नहीं... बहस करेंगे तो सोंट देगी पुलिस...
Jharkhand Lockdown झारखंड में लाॅकडाउन को और भी सख्ती से लागू करने का फैसला सरकार ने लिया है। कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए 22 अप्रैल से 13 मई तक जारी लाॅकडाउन को दो सप्ताह के लिए और भी सख्ती से लागू कर दिया गया है। पुलिस मुस्तैद है।
रांची, जासं। Jharkhand Lockdown पहचान दिखाइए, उलझिए नहीं... ज्यादा बहस करेंगे तो सोंट देगी पुलिस... झारखंड में लॉकडाउन को एक बार फिर से 2 सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है। ई-पास भी अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में अब निजी वाहन बिना पास के नहीं चल सकेंगे। वहीं पुलिस भी अब पहले के मुकाबले अधिक सख्ती से पेश आएगी। झारखंड में कोविड-19 अपना पांव तेजी से पसार रहा है। इसे देखते हुए प्रदेश में जारी आंशिक लाकडाउन को और भी सख्ती से लागू करने का फैसला सरकार ने लिया है। कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए झारखंड में 22 अप्रैल से 13 मई तक जारी लाकडाउन को दो सप्ताह के लिए और भी सख्ती से लागू कर दिया गया है। सब्जी, फल, किराना, अनाज, दूध और दूध उत्पाद, पशुओं के चारे और खाने वाले उत्पाद जैसे मिठाई की खुदरा और थोक विक्रेताओं के साथ फुटपाथ की दुकानें पहले की तरह दोपहर 2 बजे तक ही खुली रहेंगी।
जरूरी सेवाएं बहाल रहेंगी
वहीं, पेट्रोल पंप, एलपीजी व सीएनजी आउटलेट्स, डाक व टेलीफोन सेवा, कोरियर सर्विस, सिक्योरिटी सेवा आदि भी पहले की तरह बहाल रहेंगी। हालांकि, इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा यह घोषणा की गई है कि 16 मई से झारखंड में अन्य राज्यों की बसें प्रवेश नहीं करेंगी और न ही यहां की बसें अन्य राज्यों में जाएंगी। को अंतरराज्यीय बसों के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर भी चलने वाली बसों का परिचालन भी बंद रहेगा। फिलहाल इस घोषणा को 27 मई तक के लिए लागू किया गया है।
अधिकांश व्यवसायी लाकडाउन के पक्ष में
इधर, राज्य में लाकडाउन जारी रहने से स्थानीय व्यवसायियों की हालत खराब होती जा रही है। हालांकि इसके बावजूद अधिकांश व्यवसायी लाकडाउन के पक्ष में नजर आए। बताते चलें कि राज्य के साथ-साथ राजधानी रांची में भी केवल आवश्यक उत्पादों से संबंधित दुकानों को ही खुली रखने की अनुमति दी गई है और वह भी दोपहर 2 बजे तक ही। इसके अलावा शापिंग माल, कपड़े, फुटवियर की दुकानें, होटल आदि पूरी तरह से बंद हैं। इससे इन व्यवसाय से जुड़े लोगों को खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है। इधर, आनलाइन फूड सप्लाई की अनुमति मिलने से कुछ राहत अवश्य है। गुरुवार को खादगढ़ा, स्टेशन रोड, सिमरीटोली, कांटाटोली आदि इलाके में आटो-टेंपू आदि सार्वजनिक वाहन तो सड़कों पर दौड़ते दिखे। लेकिन उनमें यात्रियों की संख्या कम ही रही।
कम संख्या में बाजार पहुंच रहे लोग
बाजारों के अलावा सड़कों पर लोगों की भीड़ भी सामान्य दिनों के मुकाबले कम दिखी। कांटाटोली इलाके में सब्जी-किराना आदि की दुकानों में कहीं-कहीं लोग शारीरिक दूरी का पालन करते दिखे। तो किसी दुकान में लोगों की भीड़ बिना सामाजिक दूरी का पालन करते हुए खरीदारी करते रही। हालांकि अच्छी बात यह रही कि अधिकांश लोगों ने मास्क पहना हुआ था। इधर कुछ फल व्यवसायियों की शिकायत थी कि ग्राहकी पहले जैसी नहीं रही। इक्का-दुक्का ग्राहक ही फल खरीदने आते हैं। इससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि इसके वाबजूद अधिकांश लोग लाकडाउन के पक्ष में ही नजर आए। लोगों का कहना रहा कि भले ही लाकडाउन की वजह से हालात पहले जैसे नहीं हैं। व्यवसाय पर असर पड़ा है। आर्थिक स्थिति पहले जैसे नहीं रही, लेकिन फिर भी वे सरकार के इस फैसले के साथ हैं, क्योंकि इस महामारी के चेन को तोड़ने के लिए वैक्सीनेशन के साथ लाकडाउन ही एकमात्र विकल्प है। अगर भीड़ नहीं होगी, तो संक्रमण की संभावना कम ही रहेगी। इससे इस रोग पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकेगा।
राजधानी के अधिकतर होटल बंद
स्टेशन रोड इलाके में स्थित एक जनरल स्टोर के संचालक राजेंद्र सिंह ने कहा कि इस इलाके में होटलों की संख्या अधिक है। लिहाजा हम जैसे जनरल स्टोर चलाने वालों का व्यवसाय मुख्य तौर पर इन होटलों में ठहरने वाले लोगों पर ही निर्भर है। विगत 22 अप्रैल से लागू स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह की वजह से यहां सभी होटल बंद हैं। इससे उनके कारोबार पर भी असर पड़ा है। दोपहर 2 बजे तक दुकानें खुली रहती हैं और उतने समय में भी दो-चार लोग ही सामान खरीदने के लिए आते हैं। हालांकि राजेंद्र सिंह राज्य सरकार द्वारा लागू किए लाकडाउन से पूरी तरह सहमत हैं। उनका कहना है कि अगर कोरोना से जीतना है, तो कुछ नियमों का सख्ती से पालन करना भी जरूरी है, नहीं तो सब समाप्त हो जाएगा।
सतर्कता के साथ सख्ती जरूरी
वहीं इसी रोड पर स्थित एक ट्रैवल एजेंसी संचालक अंगद सिंह का भी यही मानना है कि कोरोना से लड़ने के लिए सतर्कता के साथ सख्ती भी जरूरी है। हालांकि उन्होंने कहा कि पिछले साल जब कोरोना की वजह से लाकडाउन लागू किया गया था तो ट्रैवल व्यवसाय पर भारी असर पड़ा था। क्योंकि हवाई यात्रा के साथ-साथ रेल यात्रा एवं सडक परिवहन पर भी पूरी तरह से पाबंदी लग गई थी। उसके बाद जब कुछ ढिलाई के बाद इन परिसेवाओं को शुरू किया गया, तो कुछ राहत जरूर मिली, लेकिन व्यवसाय पहले जैसा नहीं रहा और अब 22 अप्रैल से एक बार फिर लाकडाउन लागू होने से लोग कोरोना की वजह से बेवजह यात्रा करने से कतरा रहे हैं। इससे व्यवसाय में 70-80 फीसदी की गिरावट आई है।
ऑनलाइन फूड सप्लाई से राहत
स्टेशन रोड पर ही होटल व्यवसाय से जुडे प्रवीण सिन्हा ने कहा कि जब से दोबारा लाकडाउन लागू हुआ है। तक से उनका होटल भी बंद पड़ा है। एक भी कमरा बुक नहीं है। हालात खराब ही कहे जा सकते हैं। वहीं एक अन्य होटल के प्रबंधक शुभ्रजीत मित्रा ने कहा कि परिस्थिति तो खराब है। लाकडाउन की वजह से होटल बंद है। फिलहाल आनलाइन फूड सप्लाई जारी है। इससे कुछ राहत है। यहां होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों ने कहा कि स्टेशन रोड इलाके में 20-25 होटल होंगे, लेकिन अब मुश्किल से 7-8 होटलों का ही परिचालन हो रहा है। लेकिन लाकडाउन के चलते इन दिनों कर्मचारियों के अलावा कोई नहीं आ रहा है। बताया गया कि होटल व्यवसाय में 80-90 फीसदी गिरावट आई है। हालांकि कोरोना से लड़ने के लिए लाकडाउन लगाना भी जरूरी है। इसके अलावा और कोई विकल्प भी सरकार के सामने नहीं है।
टैक्सी-ऑटो को नहीं मिल रहे यात्री
फल व्यवसायी पिंकी डे ने कहा कि पहले जहां एक दिन में 20 किलो केले बिक जाते थे। वहीं अब 10 किलो केला बेचना भी मुश्किल हो गया है। अन्य फलों का भी यही हाल है। दोपहर दो बजे तक ही दुकान खोलने की अनुमति है। उस दौरान गिनती के ग्राहक ही फल खरीदने को आते हैं। कोरोना ने सब बर्बाद करके रख दिया है। टेंपो चालक मो. नसीम ने कहा कि लाकडाउन के चलते अब टेंपो में यात्रा करने वाले लोगों की संख्या भी कम हो गई है। कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि कुछ तो शारीरिक दूरी की वजह से तो वहीं कुछ लोग किराया बढ़ाए जाने के कारण टेंपो से यात्रा नहीं कर रहे हैं। कोराना आने से के पहले एक टेंपो में चार-पांच लोगों को बैठाया जाता था। लेकिन अब लाकडाउन लागू होने के बाद दो-तीन लोगों को ही बैठाना पड़ता है।