हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार से कहा, राज्‍य के सरकारी अस्पतालों में दी जा रहीं सुविधाओं का दें ब्‍यौरा

जमशेदपुर के एमजीम अस्‍पताल में एक महिला की इलाज के दौरान मौत के मामले में लापरवाही के आरोपों पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया है। इसमें राज्‍य सरकार से सरकारी अस्‍पतालों में दी जाने वाली सुविधाओं का ब्‍यौरा मांगा गया है।

By Brajesh MishraEdited By: Publish:Thu, 02 Sep 2021 08:37 PM (IST) Updated:Thu, 02 Sep 2021 08:37 PM (IST)
हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार से कहा, राज्‍य के सरकारी अस्पतालों में दी जा रहीं सुविधाओं का दें ब्‍यौरा
एमजीएम जमशेदपुर में महिला की इलाज के अभाव में हुए मौत मामले में झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।

 रांची,राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में जमशेदपुर के एमजीएम आग से जली महिला की इलाज के अभाव में हुए मौत मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत में आनलाइन पेश हुए स्वास्थ्य सचिव से राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों की वर्तमान स्थिति की रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने स्वास्थ्य सचिव पूछा है कि राज्य के सरकारी अस्पतालों को कितना अनुदान मिलता है। इन अस्पतालों में क्या-क्या सुविधाएं हैं। अस्पतालों में कितने चिकित्सक हैं और कितने पद रिक्त हैं। इस मामले में चार सप्ताह बाद सुनवाई होगी। इस दौरान अदालत ने एमजीएम अस्पताल में इलाज के अभाव में फरवरी में एक महिला की मौत की जांच करने का निर्देश दिया है और चार सप्ताह में रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है। सरकार पूछा है कि महिला कब भर्ती हुई थी। कब से उसका इलाज शुरु किया गया। क्या इलाज समुचित तरीके से किया गया या नहीं। इस मामले में स्वत: संज्ञान लेकर कोर्ट सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान राज्य के स्वास्थ्य सचिव और एमजीएम के निदेशक भी कोर्ट में मौजूद थे।

एमजीएम अस्पताल में इस साल फरवरी में एक महिला जली हुई हालत में लाई गई थी। लेकिन उसका इलाज समय पर नहीं हुआ और उसकी मौत हो गई। इस संबंध में अधिवक्ता अनूप अग्रवाल ने हाई कोर्ट को पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया था कि महिला 14 फरवरी को अस्पताल में भर्ती हुई थी और 17 फरवरी से इलाज शुरू हुआ था। 18 फरवरी को उसकी मौत हो गई। पूर्व में इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने झालसा से मामले की जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा था। झालसा ने अपनी रिपोर्ट में लापरवाही बरतने की बात कही है।

सरकार की ओर से बताया गया कि एमजीएम के बर्न वार्ड में 20 बेड हैं। जिस दिन महिला को अस्पताल लाया गया, उस दिन बर्न के 24 केस थे। बेड खाली नहीं रहने के कारण उसे तत्काल बर्न वार्ड में भर्ती नहीं कराया जा सका। इस पर अदालत ने सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। दरअसल, जमशेदपुर के आदित्यपुर की रहने वाली एक महिला को उसके पति ने आग लगाकर जला दिया और फरार हो गया। कुछ लोगों ने उसे एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल ने सिर्फ एक बेड देकर इलाज की खानापूर्ति कर दी। 90 फीसदी से अधिक जली इस महिला को बर्न वार्ड में भर्ती नहीं किया गया। इस कारण महिला की मौत हो गई।

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