दुष्कर्मियों को महज दो साल की सजा पर भड़का हाई कोर्ट, जानें-क्या है मामला

मामला साहिबगंज जिले के राजमहल अनुमंडल के रांगा थाना का है। इसी थाने में 1991 में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 07:47 PM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 07:58 PM (IST)
दुष्कर्मियों को महज दो साल की सजा पर भड़का हाई कोर्ट, जानें-क्या है मामला
दुष्कर्मियों को महज दो साल की सजा पर भड़का हाई कोर्ट, जानें-क्या है मामला

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत द्वारा दोषियों को दो साल की सजा सुनाए जाने को गंभीरता से लिया है। जस्टिस केपी देव की अदालत ने कड़ी नाराजगी जताते हुए मामले के सभी दोषियों का बेल बांड खारिज कर दिया और साहिबगंज के एसपी को 48 घंटे में दोषियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। अब मामले की सुनवाई तीन माह बाद होगी।

बिंदु हेंब्रम व अन्य को 2005 में निचली अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी। इन लोगों ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट के संज्ञान में आया कि आइपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म करने) के मामले में दोषियों को मात्र दो साल की सजा दी गई है, जो कानूनी प्रावधान एवं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत है। धारा-376 में न्यूनतम सात साल तथा अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।

कोर्ट ने इस मामले में कड़ी नाराजगी जताते हुए मौखिक रूप से कहा कि न्यायिक पदाधिकारी ने इस मामले में दोषियों को मात्र दो साल की सजा क्यों और कैसे दी? इसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि सरकार ने इस मामले में सजा की अवधि बढ़ाने के लिए अबतक अपील क्यों नहीं दाखिल की है। कोर्ट ने इस मामले में बिंदु हेंब्रम सहित चार अन्य के बेल बांड को खारिज कर दिया और सभी दोषियों को 48 घंटे के अंदर गिरफ्तार करने का निर्देश साहिबगंज के एसपी को दिया है।

जानें, क्या है मामला
यह मामला साहिबगंज जिले के राजमहल अनुमंडल के रांगा थाना का है। इसी थाने में 1991 में दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था। राजमहल की निचली अदालत ने सुनवाई के बाद 2005 में बिंदु हेंब्रम सहित चार अन्य को दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद इन सभी को निचली अदालत से ही जमानत मिल गई। दरअसल, कानूनी प्रावधान के अनुसार तीन साल या उससे कम की सजा मिलने पर निचली अदालत से सजायाफ्ता को जमानत मिल जाती है। इसको कंफर्म करने के लिए हाई कोर्ट में अपील दाखिल की जाती है।

chat bot
आपका साथी