स्‍कूल विवाद मामले में अधिवक्‍ता अभय मिश्रा के खिलाफ जारी वारंट पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक Ranchi News

Jharkhand High Court Ranchi Hindi News स्‍कूल विवाद मामले में आज सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने निचली अदालत से जारी वारंट पर रोक लगा दी। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार और प्रतिवादी से जवाब मांगा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 03:13 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 09:08 PM (IST)
स्‍कूल विवाद मामले में अधिवक्‍ता अभय मिश्रा के खिलाफ जारी वारंट पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक Ranchi News
Jharkhand High Court, Ranchi Hindi News अदालत ने राज्य सरकार और प्रतिवादी से जवाब मांगा है।

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में रांची के धुर्वा स्थित विवेकानंद विद्या मंदिर विवाद में अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा सहित अन्य के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट के खिलाफ दाखिल याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने इस मामले में निचली अदालत की ओर से जारी वारंट पर रोक लगा दी। अदालत ने राज्य सरकार और प्रतिवादी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में अगली सुनवाई चार अक्टूबर को होगी।

निचली अदालत की ओर से जारी वारंट के खिलाफ अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। अभय विवेकानंद विद्या मंदिर कमेटी के सचिव भी हैं। दरअसल, दो सितंबर को विवेकानंद विद्या मंदिर के फर्जी और जबरन काबिज कमेटी के सभी पदाधिकारियों के खिलाफ निचली अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। न्यायिक दंडाधिकारी अनुज कुमार की अदालत ने केस जांच पदाधिकारी के आवेदन पर अधिवक्ता अभय कुमार मिश्रा, काशीनाथ मुखर्जी, मलय कुमार नंदी, आदित्य कुमार बनर्जी एवं गौतम दास के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

सेवानिवृत्ति की राशि पर छह प्रतिशत ब्याज देने का आदेश

झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस डा. एसएन पाठक की अदालत ने सेवानिवृत्ति लाभ में पांच साल देरी करने पर पूरी राशि पर छह प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज देने का निर्देश दिया है। साथ ही मकान भत्ता रांची की दर पर देना होगा। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि सरकार के लचर रवैए से प्रार्थी को नुकसान हुआ। इसलिए सरकार को छह प्रतिशत ब्याज देना होगा। इस संबंध में जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता राधेश्याम पांडेय की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

प्रार्थी के अधिवक्ता शादाब बिन हक ने अदालत को बताया कि वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए इन्हें मार्च 2003 में बर्खास्त कर दिया गया। जब इन्होंने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, तो कोर्ट ने इनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को खारिज कर दिया। इसके बाद इन्हें वर्ष 2006 में दोबारा बहाल कर दिया गया। लेकिन उन्हें सेवानिवृत्ति लाभ देने में पांच साल की देरी कर दी। इसलिए उन्हें उक्त राशि पर ब्याज मिलना चाहिए। इस पर अदालत ने वादी को उक्त राशि पर छह प्रतिशत ब्याज देने का आदेश दिया है।

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