Jharkhand: कोरोना से मौत के बाद शव के अंतिम संस्कार में गाइडलाइन का हो पालन

झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में कोरोना से मौत होने के बाद स्वजनों द्वारा शव का अंतिम संस्कार किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि शव को स्वजनों को सौंपने की बात कही गई थी।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 12:48 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 12:48 PM (IST)
Jharkhand: कोरोना से मौत के बाद शव के अंतिम संस्कार में गाइडलाइन का हो पालन
कोरोना से मौत के बाद शव के अंतिम संस्कार में गाइडलाइन का हो पालन। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ में कोरोना से मौत होने के बाद स्वजनों द्वारा शव का अंतिम संस्कार किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने कहा कि जब सरकार की ओर से जारी गाइड लाइन में शव को स्वजनों को सौंपने की बात कही गई थी, तो इसका अनुपालन क्यों नहीं किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि यह बात सही है कि कोरोना से मौत होने बाद शव को स्वजनों को सौंपने से संक्रमण फैल सकता है। लेकिन कुछ लोगों को ही अंतिम संस्कार में शामिल किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि या तो सरकार अपनी गाइडलाइन का पालन कराए या इसमें संशोधन करे। इसके साथ ही अदालत ने याचिका निष्पादित कर दी।

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने कहा कि कोरोना से मौत होने के बाद अंतिम संस्कार में स्वजनों को शामिल नहीं किया जा रहा है। अस्पताल की ओर से शव जिला प्रशासन को सौंप दिया जाता है। जिला प्रशासन अपने से ही अंतिम संस्कार कर देता है। उनकी ओर से अदालत में सरकार की गाइड लाइन भी पेश की गई। इसमें परिजनों को शव सौंपने का प्रविधान है। जबकि उपायुक्त की ओर से दाखिल शपथपत्र में उन्होंने स्वीकार किया है कि प्रशासन शव अपने कब्जे में लेकर अंतिम संस्कार करा रहा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार की गाइड लाइन और उपायुक्त के शपथपत्र में विरोधाभास है। ऐसे में सरकार के गाइडलाइन के अनुसार ही शव का अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए। इसकी नीति सरकार ने बनाई है और सरकार इसमें संशोधन भी कर सकती है।

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