JPSC Mains: हाई कोर्ट में सुनवाई टली, अब 25 को फैसला; CM ने कहा-युवाओं के हित में लेंगे निर्णय

Jharkhand High Court. झारखंड लोक सेवा आयोग की छठी मुख्‍य परीक्षा पर उच्‍च न्‍यायालय में बुधवार को एक बार फिर सुनवाई नहीं हो सकी।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Wed, 23 Jan 2019 11:51 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jan 2019 06:04 PM (IST)
JPSC Mains: हाई कोर्ट में सुनवाई टली, अब 25 को फैसला; CM ने कहा-युवाओं के हित में लेंगे निर्णय
JPSC Mains: हाई कोर्ट में सुनवाई टली, अब 25 को फैसला; CM ने कहा-युवाओं के हित में लेंगे निर्णय

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड लोक सेवा आयोग की छठी मुख्‍य परीक्षा पर बुधवार को भी फैसला नहीं आ सका। झारखंड हाई कोर्ट में एक बार फिर इस मामले में सुनवाई टल गई। अब 25 जनवरी को जेपीएससी मुख्‍य परीक्षा पर रोक लगाने के मामले की सुनवाई होगी। इससे पहले सोमवार को यह मामला संबंधित कोर्ट में नहीं सुना जा सका था। मंगलवार को सुनवाई पूरी नहीं हो पाई थी। जिस पर कोर्ट ने कहा कि बुधवार को इस मामले की सुनवाई होगी।

एक बार फिर बुधवार को इस मामले में सुनवाई टल गई है। उच्‍च न्‍यायालय अब जेपीएससी मुख्‍य परीक्षा के भविष्‍य पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।बता दें कि जेपीएससी मेंस पर पहले से ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं। विधानसभा में मंगलवार को सत्तापक्ष और विपक्षी सदस्‍यों ने भी मेंस परीक्षा पर रोक लगाने की जोरदार मांग उठाई थी।

सीएम बोले, युवाओं के हित में लेंगे निर्णय, विपक्ष-सत्ता पक्ष ने भी की परीक्षा पर रोक की मांग
विधानसभा में बीते मंगलवार को भी झारखंड लोक सेवा आयोग की छठी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का मामला खूब गरमाया। विपक्ष के कई विधायक 28 जनवरी से शुरू हो रही इस मुख्य परीक्षा पर तत्काल रोक लगाने की मांग कर रहे थे। सत्ता पक्ष के भी कई विधायकों ने इसका समर्थन किया। हालांकि सरकार ने मामला कोर्ट में होने की बात कहते हुए बचने का प्रयास किया। अंत में स्पीकर डाॅ दिनेश उरांव के हस्तक्षेप करने के बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इसपर मुख्य सचिव और कार्मिक सचिव के साथ बैठक कर युवाओं के हित में निर्णय लेने का आश्वासन सदन को दिया था।

दरअसल, इस परीक्षा पर रोक लगाने को लेकर विधायक कुणाल षाडंगी ने कार्य स्थगन प्रस्ताव लाया था। इसपर विधायक प्रदीप यादव ने इस परीक्षा में बिना फार्म भरनेवाले अभ्यर्थियों को प्रवेश पत्र जारी करने तथा आयोग के सचिव के पुत्र का परीक्षा में शामिल होने का मामला उठाते हुए अनियमितता की आशंका जताई। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने परीक्षा पर रोक लगाने का निर्देश सरकार को देने की मांग आसन से की। इसपर संसदीय कार्य मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि मंगलवार को ही झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई होनी है। कोर्ट के आदेश आने पर सरकार इसे दिखवा लेगी।

नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने इसे सरकार का बहाना बताते हुए स्पीकर से इसपर हस्तक्षेप की मांग करते रहे। स्पीकर ने संसदीय कार्य मंत्री को कार्मिक सचिव से बात कर सदन को तुरंत जवाब देने को कहा। मंत्री ने कार्मिक सचिव से बात करने के बाद सदन को बताया कि निर्धारित न्यूनतम माक्र्स लाने वाले सभी अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए चयन किया गया था। हाई कोर्ट द्वारा इसपर सहमति दिए जाने के बाद ही जेपीएससी ने रिजल्ट जारी किया। हाई कोर्ट द्वारा एक अन्य याचिका में आनेवाले आदेश के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। विधायकों के संतुष्ट नहीं होने पर स्पीकर ने इसपर सीएम को जवाब देने को कहा, जिसमें उन्होंने मुख्य सचिव और कार्मिक सचिव के साथ बैठक कर उचित निर्णय लेने की बात कही।

मामला न्यायालय में तो परीक्षा क्यों : संसदीय कार्य मंत्री के जवाब पर सवाल उठाते हुए भाजपा के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने ही सवाल उठा दिया उन्होंने कहा कि मामला जब कोर्ट में है तो आखिर मुख्य परीक्षा कैसे ली जा रही है। उन्होंने बाउरी कमेटी की रिपोर्ट सदन में रखने तथा उसपर चर्चा कराने की भी मांग की। उन्होंने पीटी में आरक्षण नहीं देने पर भी सवाल उठाया।

विधायिका की सर्वमान्यता पर चिंता : छठी सिविल सेवा मुख्य परीक्षा का मामला कोर्ट में होने के कारण सदन में कोई निर्णय नहीं होने पर विधायक शिवशंकर उरांव ने विधायिका की सर्वमान्यता पर चिंता करने की जरूरत बताई। कहा, न्यायिक अदालत और जनता की अदालत (विधानसभा) में कौन उच्च है, संविधान में उल्लेख है। सदन को जनता के लिए निर्णय लेना चाहिए। सरकार को बहाना नहीं समाधान ढूंढना चाहिए।

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