Jharkhand: संवेदक को टर्मिनेट करने पर कोर्ट नाराज, कहा- सदर अस्पताल के काम में अडंगा डाल रही सरकार
झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में रांची सदर अस्पताल के मामले में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने संवेदक के खिलाफ निर्माण विभाग की कार्रवाई पर कड़ी नाराजगी जताई।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में रांची सदर अस्पताल के मामले में दाखिल अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने संवेदक के खिलाफ निर्माण विभाग की कार्रवाई पर कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार की कार्रवाई सदर अस्पताल के काम में अडंगा डालने जैसा है। क्योंकि जब संवेदक को टर्मिनेट कर दिया जाएगा, तो सरकार समय से इसका काम पूरा कैसे करेगी। अदालत ने संवेदक को हर सप्ताह काम की प्रगति रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले में अगली सुनवाई 29 जुलाई को होगी।
सुनवाई के दौरान संवेदक की ओर से कहा गया कि अब तक 85 प्रतिशत काम पूरा हुआ है। 31 सितंबर तक सदर अस्पताल में सभी उपकरण लगा दिए जाएंगे। लेकिन इस बीच सरकार ने उन्हें टर्मिनेशन का नोटिस भेजा है। इस पर अदालत ने भवन निर्माण सचिव को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया। भवन निर्माण विभगा के सचिव अदालत में हाजिर हुए तो अदालत ने सचिव से पूछा कि जब संवेदक को टर्मिनेट करने का नोटिस दिया है, तो क्या सरकार के पास कोई ऐसा प्लान है कि 31 सितंबर तक सारा काम पूरा हो जाएगा।
अदालत ने सदर अस्पताल का सारा काम पूरा कराने की कोशिश कर रही, तो इस बीच टर्मिनेट करने का नोटिस देकर सरकार काम में अडंगा क्यों डाल रही है। अदालत ने कहा कि जब इस मामले की हाई कोर्ट निगरानी कर रहा है, तो संवेदक को टर्मिनेट करने का नोटिस कैसे दिया गया। इस मामले में राज्य सरकार खुद अवमानना में है। अगर सराकर को ऐसा कदम उठाना था, तो वह दिसंबर 2018 में संवेदक के खिलाफ कार्रवाई करती। क्योंकि राज्य सरकार ने कोर्ट में इस बात का आश्वासन दिया था कि दिसंबर 2018 में रांची सदर अस्पताल में सारी सुविधाओं के साथ 500 बेड चालू कर दिया जाएगा। बता दें कि ज्योति कुमार की ओर से इस संबंध में अवमानना याचिका दाखिल की गई है।