Role of Jharkhand In Making Constitution: संविधान के निर्माण में झारखंड की भी रही है अहम भूमिका

Role of Jharkhand In Making Constitution भारतीय संविधान के निर्माण में झारखंड की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यहां से जयपाल सिंह मुंडा बोनीफेस लकड़ा देवेंद्र नाथ सामंत बाबू रामनारायण सिंह व कृष्ण बल्लभ सहाययदुवंश सहाय और अमिय कुमार घोष देवघर के विनोदानंद झा की भूमिका रही है।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 03:22 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 03:22 PM (IST)
Role of Jharkhand In Making Constitution: संविधान के निर्माण में झारखंड की भी रही है अहम भूमिका
भारतीय संविधान के निर्माण में झारखंड की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

रांची{संजय कृष्ण}। आज भारतीय संविधान दिवस है। हर साल हम 26 नवंबर को मनाते हैं। इसकी शुरुआत 2015 से हुई। उस वर्ष संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर के जन्म का 125वां साल था। इसी उपलक्ष्य में इसकी शुरुआत हुई। लेकिन 26 नवंबर का महत्व इससे इतर भी है। 26 नवंबर, 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा इस संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था। 26 नवंबर का दिन संविधान के महत्व का प्रसार करने लिए चुना गया था। इसलिए इस तिथि का विशेष महत्व है। इसलिए हम हर 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाते हैं।

भारतीय संविधान के निर्माण में झारखंड की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यहां से करीब आठ लोग इस सभा में बतौर सदस्य शामिल थे। इनके नाम हैं, खूंटी के जयपाल सिंह मुंडा, लोहरदगा के बोनीफेस लकड़ा, पश्चिमी सिंहभूम के देवेंद्र नाथ सामंत, हजारीबाग के बाबू रामनारायण सिंह व कृष्ण बल्लभ सहाय, पलामू के यदुवंश सहाय और अमिय कुमार घोष, देवघर के विनोदानंद झा। मूूल संविधान की प्रति के अंत में इनके भी हस्ताक्षर हैं। तब जयपाल सिंह, अपने नाम के साथ मुंडा नहीं लिखते थे, इसलिए संविधान की प्रति में जयपाल सिंह नाम से ही इनके हस्ताक्षर हैं।

जयपाल सिंह ने जनजातीय समाज के हक-अधिकारों के लिए संविधान सभा में आवाज उठाई। आदिवासी इलाकों पांचवीं-छठवीं और नौंवी अनुसूची लागू होने के पीछे जयपाल सिंह का ही योगदान है। यदुवंश सहाय ने भी पांचवीं अनुसूची को लेकर अपनी बात रखी थी। जब संविधान सभा में पांचवीं अनुसूची को लेकर बहस चल रही थी, तब यदुवंश सहाय ने अपनी बात रखी थी।

तत्कालीन बिहार के सदस्य

उस समय तत्कालीन बिहार से इनके अलावा अनुग्रह नारायण सिन्हा, बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला, भागवत प्रसाद, ब्रजेश्वर प्रसाद, चंडिका राम, लालकृष्ण टी. शाह, डुबकी नारायण सिन्हा, गुप्तनाथ सिंह, जगत नारायण लाल, जगजीवन राम, दरभंगा के कामेश्वर सिंह, कमलेश्वरी प्रसाद यादव, महेश प्रसाद सिन्हा, कृष्ण वल्लभ सहाय, रघुनंदन प्रसाद, राजेन्द्र प्रसाद, रामेश्वर प्रसाद सिन्हा, सच्चिदानन्द सिन्हा, शारंगधर सिन्हा, सत्यनारायण सिन्हा, पी. लालकृष्ण सेन, श्रीकृष्ण सिंह, श्री नारायण महता, श्यामनन्दन सहाय, हुसैन इमाम, सैयद जफर इमाम, लतिफुर रहमान, मोहम्मद ताहिर, तजमुल हुसैन, चौधरी आबिद हुसैन, हरगोविन्द मिश्र भी इसके सदस्य थे

राज्य पुस्तकालय में है संविधान की प्रिंटेड कॉपी

शहीद चौक स्थित राज्य पुस्तकालय में संविधान की मूल प्रति की प्रिंटेंड कॉपी है। अंतिम पेज पर सभी के हस्ताक्षर हैं। हर पेज पर डिजाइन है। ऊपर चित्रों से सजा है। सबसे पहले भारत का प्रतीक चिह्न। इसके बाद हर अध्याय की शुरुआत के ऊपर भारतीय संस्कृति-दर्शन से जुड़ी तस्वीरें हैं। प्राचीन से लेकर अर्वाचीन तक। बुद्ध, गांधी, सुभाष भी हैं। नटराज, हड़प्पा का सांड़ भी। मुगल शासक भी है। हर धर्म को इसमें समान आदर और प्रतिनिधित्व दिया गया है। रंगीन और श्याम-श्वेत चित्र से यह संविधान की कापी सजी है। संविधान के अंत में नौ पृष्ठों पर सभा के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। इन हस्ताक्षरों में झारखंड की विभूतियों को भी पहचान सकते हैं। 12 इंच बाई 16 इंच के साइज में यह प्रति है।

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