आंशिक लॉकडाउन पर बोले अर्थशास्त्री- रोज कमाने खाने वाले लोगों के लिए तत्काल भोजन का इंतजाम जरूरी
कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने मंगलवार को अहम घोषणा कर दी। आपदा प्रबंधन विभाग की अनुशंसा के आलोक में सरकार ने आगामी 22 अप्रैल की सुबह से 29 अप्रैल की सुबह तक आंशिक लाकडाउन घोषित किया गया।
रांची, जासं । कोरोना महामारी के लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार ने मंगलवार को अहम घोषणा कर दी। आपदा प्रबंधन विभाग की अनुशंसा के आलोक में सरकार ने आगामी 22 अप्रैल की सुबह से 29 अप्रैल की सुबह तक आंशिक लाकडाउन घोषित किया गया। इस दौरान आवश्यक सेवाओं को छूट प्रदान की गई है। समाज के बड़े वर्ग ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान के विशेषज्ञों ने कहा है कि मौजूदा दौर में सख्त फैसले लेने के अलावा सरकार के पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था। जिस तरह से राज्य में और विशेष रूप से राजधानी रांची में मामले बढ़ रहे थे। इन पर प्रभावी नियंत्रण जरूरी था। विशेषज्ञों ने अपील की है कि सरकार ने अपनी तरफ से नियम तय किए हैं। इसका अनुपालन समाज को करना और कराना होगा। इसमें राज्य के हर नागरिक को अपनी भूमिका का निर्वहन करना होगा।
कुछ ऐसी है विशेषज्ञों की राय
निश्चित रूप से राज्य सरकार ने परिस्थितियों का समग्र आंकलन कर सख्त निर्णय लिया है। ऐसे समय में सरकार को कल्याणकारी कार्यों को बढ़ावा देना होगा। लाकडाउन के निर्णय से सबसे ज्यादा प्रभावित ठेले-खोमचे वाले व्यापारी और दैनिक मजदूर होंगे। जिनकी मासिक आय आठ से दस हजार रुपये है। इस वर्ग काे तत्काल सहायता की आवश्यकता है। पिछले लाकडाउन के कारण छोटे दुकानदारों व व्यापारियों की स्थिति पहले से बदतर थी। दोबारा महामारी के कारण पैदा हुए हालात में इनके आगे जीवन-मरण का संकट पैदा हो गया है। सरकार को रोज कमाने खाने वाले लोगों के भोजन का इंतजाम तत्काल करना चाहिए।- प्रो.डा. रमेश शरण, अर्थशास्त्री
इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि वर्तमान समय में हालात बेहद भयावह हैं। सरकार ने सोच समझ कर निर्णय लिया है। लाकडाउन के समय में जरूरी है कि लोग अपने मन मस्तिष्क को सकारात्मक बनाए रखें। घर में रहें। इस अवधि में संगीत सुनें। बच्चों के साथ खेलें। हंसी-मनोरंजन वाले कार्यक्रम देखें। सकारात्मक बातें करें। आपके मन में किसी बीमारी का डर आपके दिमाग और आपके शरीर में उस बीमारी के लक्षण पैदा कर देता है। दिमाग इतना शक्तिशाली होता है कि वह किसी बीमारी के इलाज के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है और इसे घटा सकता है। बीमारी से डरें नहीं। सावधानी रखें। नियमों का शत प्रतिशत अनुपालन करें। -डॉ. जेपी मिश्रा, मनोविशेषज्ञ