Jharkhand Foundation Day: 21 साल का हुआ झारखंड... ऊंची छलांग लगाने की तैयारी में सरकार
Jharkhand Foundation Day धुंधले अतीत से निकलकर स्वर्णिम भविष्य की राह पर आगे बढ़ रहा झारखंड आज अपना 21वां स्थापना दिवस मना रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार पिछले दो दशकों में हुए बदलावों की जमीन से ऊंची छलांग लगाने की तैयारी में है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Foundation Day अलग झारखंड राज्य बने 21 वर्ष हो चुके हैं और इन 21 वर्षों में झारखंड के पास उपलब्धियों का बड़ा पिटारा भी है। आधारभूत संरचना के क्षेत्र में कई गुना विकास कर चुके झारखंड के विकास की यह कहानी अलग राज्य बनने के कुछ दिनों बाद ही शुरू हो गई थी जब चार अप्रैल 2001 में लातेहार जिले के गठन की घोषणा की गई। यह आधा दर्जन नए जिलों के गठन की शुरुआत थी और इसके बाद जामताड़ा (26 अप्रैल 2001), सिमडेगा (30 अप्रैल 2001), सरायकेला खरसावां (2001), रामगढ़ (12 सितंबर 2007) और खूंटी (12 सितंबर 2007) जिलों का गठन किया गया।
आधारभूत संरचनाओं के निर्माण की शुरुआत के साथ ही कई नई चीजें राज्य के खाते में जुड़ती गईं। खेल के क्षेत्र में नए कीर्तिमान बनने शुरू हुए तो क्रिकेट से लेकर हॉकी और तीरंदाजी तक में झारखंड ने अपनी वैश्विक पहचान बनाई। खान-खदान के लिए मशहूर झारखंड को पहचान नए उद्योगों से भी मिली तो अपनी सरपट दौड़ती सड़कों से भी। इस क्रम में शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनगिनत बदलाव देख चुके झारखंड के सामने अब आजादी के सौवें वर्ष में उपलब्धियों के साथ पहुंचने की चुनौती है। इसके लिए आधार तैयार है और अब सिर्फ ऊंची छलांग लगाने की कोशिश करनी होगी।
झारखंड को सौवें वर्ष में देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में खड़े होने के लिए राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक संपन्नता की जरूरत होगी। राजनीतिक स्थिरता का संकल्प लोगों ने भी लिया है और लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है तो आर्थिक संपन्नता का मार्ग कुछ कठिन है। प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के लिए अभी झारखंड को बहुत कुछ करने की जरूरत है। फिलहाल प्रति व्यक्ति सालाना आय 79873 रुपये है, जो पूर्व की अपेक्षा लगातार सुधार के ढर्रे पर है। सरकार ने भी इच्छाशक्ति दिखाई है।
राज्य की बड़ी उपलब्धियां
राज्य के समक्ष चुनौतियां स्वास्थ्य - आधारभूत संरचना का और अधिक विस्तार अपेक्षित, नए मेडिकल कालेज में नामांकन आरंभ करना, मेडिकल कौंसिल की अपेक्षाओं पर खरा उतरना। शिक्षा - प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा के स्तर पर संसाधनों की आवश्यकता, शिक्षकों को लेकर नीतिगत फैसले लेना भी आवश्यक। उद्योग - उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उद्योग नीति पर अमल, ताकि निवेशक राज्य की ओर आकर्षित हों। निर्यात की गतिविधियों को भी बढ़ावा आवश्यक। कुपोषण - कुपोषण एक बड़ी समस्या, लगभग तीस प्रतिशत बच्चे शिकार, एनिमिया से भी निपटना बड़ी चुनौती। साक्षरता - साक्षरता दर में अभी भी अन्य राज्यों से पीछे, फिलहाल 30 प्रतिशत लोग निरक्षर, महिलाओं की शिक्षा दर बढ़ाना भी आवश्यक। बिजली - योजनाओं पर लक्ष्य के अनुरूप कार्य, सुधारात्मक उपायों को लागू करने की दिशा में हो प्रयास, केंद्र की योजनाओं को पूरा करने के साथ-साथ बकाए का चुकाना भी बड़ी चुनौती। कृषि - परंपरागत कृषि के अलावा अन्य पैदावार पर भी फोकस आवश्यक, इसके लिए किसानों को जागरूक करना और जरूरी संसाधन उपलब्ध कराना आवश्यक। नियोजन - सरकारी रिक्तियों को भरने के लिए प्रयास आवश्यक, जेपीएससी, जेएसएससी समय पर ले परीक्षाएं, सभी रिक्तियां भरना चुनौती, स्व-रोजगार के उपायों में भी तेजी आवश्यक। नक्सल समस्या - नक्सली विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने में बाधा पहुंचाते हैं, इसपर पूरी तरह नकेल कसने के लिए सतत अभियान आवश्यक।