Jharkhand: शिक्षा सचिव का आदेश, गाइडलाइन का पालन करते हुए खुलें सभी स्कूल
Jharkhand School News झारखंड के शिक्षा सचिव ने कहा कि स्कूलों में सभी शिक्षक उपस्थित हों। शिक्षा सचिव ने स्कूलों को खोलने को लेकर सभी डीईओ डीएसई को निर्देश दिए। सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों से पूछा कि स्कूलों में नामांकन क्यों कम हुआ।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव राजेश शर्मा ने छह अगस्त से सभी स्कूलों को विभाग द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार खोलने के निर्देश दिए हैं। मंगलवार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई समीक्षा बैठक में उन्होंने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला शिक्षा अधीक्षकों से स्पष्ट रूप से कहा कि गाइडलाइन के अनुपालन में किसी प्रकार की कोताही होने पर संबंधित स्कूलों के शिक्षक के अलावा पदाधिकारी भी जिम्मेदार माने जाएंगे।
शिक्षा सचिव ने वर्ष 2019-20 की अपेक्षा वर्ष 2020-21 में नामांकन कम होने पर सवाल उठाते हुए उन जिलों को कारण बताने को कहा, जहां नामांकन में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है। बता दें कि राज्य के स्कूलों में 1.75 लाख नामांकन कम हुआ है। रांची, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, बोकारो, पश्चिमी सिंहभूम, रामगढ़, खूंटी, हजारीबाग में अधिक गिरावट दर्ज की गई है। उन्होंने यूडायस प्लस में आंकड़ों के शीघ्र सत्यापन के भी निर्देश दिए। सचिव ने दसवीं कक्षा में उत्तीर्ण सभी विद्यार्थियों का नामांकन सुनिश्चित कराने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने कक्षा एक से आठ तक के सभी बच्चों को शीघ्र यूनिफार्म तथा जूता-मोजा उपलब्ध कराने के निर्देश देते हुए कहा कि जब इन कक्षाओं के लिए स्कूल खुले तो सभी बच्चे नए यूनिफार्म तथा जूता-मोजा में ही होने चाहिए। उन्होंने स्कूलों से बाहर रह रहे सभी बच्चों की डाटा इंट्री करने तथा सामान्य जाति के सभी बच्चों को छात्रवृत्ति की राशि हस्तांतरित करने के लिए डाटा अपलोड करने के निर्देश दिए।
516 करोड़ में 410 करोड़ का मिला हिसाब
समग्र शिक्षा अभियान के 516 करोड़ रुपये का विभिन्न जिलों ने उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिया था। शिक्षा सचिव द्वारा बार-बार इसकी समीक्षा किए जाने के बाद इनमें से 410 करोड़ रुपये का हिसाब सभी जिलों द्वारा दे दिया गया है। समीक्षा में यह बात सामने आने के बाद सचिव ने शत-प्रतिशत राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र देने को कहा। साथ ही जीरो बैलेंस सिंगल खाता के तहत उन जिलों को राशि मुख्यालय को शीघ्र लौटाने को दिए गए, जो स्कूलों द्वारा वापस किए जाने के बाद जिलों में पड़ी हुई है।