कोरोना: झारखंड में बेकाबू हालात, काम करने को तैयार नहीं सरकारी कर्मचारी; आज से छुट्टी पर

झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने भले ही अभी तक लॉक डाउन की घोषणा नहीं की है लेकिन सरकारी कर्मचारी वर्तमान स्थिति में काम करने के लिए तैयार नहीं हैं। झारखंड राज्य सचिवालय सेवा संघ ने 23 अप्रैल तक सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा कर दी है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 10:29 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 07:54 AM (IST)
कोरोना: झारखंड में बेकाबू हालात, काम करने को तैयार नहीं सरकारी कर्मचारी; आज से छुट्टी पर
Jharkhand Covid Crisis: झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Covid Crisis झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने भले ही अभी तक लॉक डाउन की घोषणा नहीं की है, लेकिन सरकारी कर्मचारी वर्तमान स्थिति में काम करने के लिए तैयार नहीं हैं। यही कारण है कि झारखंड राज्य सचिवालय सेवा संघ ने 19 अप्रैल से 23 अप्रैल तक सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा कर दी है। रविवार को ऑनलाइन बैठक कर सचिवालय सेवा संघ ने सर्वसम्मति से सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय लिया और इसकी जानकारी सक्षम अधिकारियों को भी दे दी है। हालांकि, इमरजेंसी सेवा में लगे कर्मियों को लेकर निर्णय नहीं लिया गया है।

संक्रमितों को बेड मुहैया कराने में छूट रहे पसीने

राज्य सरकार ने अधिकारियों को प्राइवेट अस्पतालों से लेकर सरकारी व्यवस्था तक पर निगरानी रखने के लिए लगा तो दिया है लेकिन पहले दिन का अनुभव ना सिर्फ अधिकारियों के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी नकारात्मक रहा। लाख प्रयास के बावजूद अधिकारी किसी को बेड उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं दिखे। अहम कारण यह रहा कि रविवार होने के कारण अधिकांश निजी अस्पतालों में जांच रिपोर्ट नहीं आ सकी थी।

अधिकारियों ने कहा सोमवार को स्थिति होगी स्पष्ट, जिसे पूछो वही अपनी बेबसी बता रहा

सहायक बेड मैनेजमेंट नोडल अफसर का दायित्व संभाल रहे रविशंकर विद्यार्थी ने इस संदर्भ में बताया कि सोमवार तक अस्पतालों में रिक्त बेड की स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी। दूसरी ओर, सरकारी स्तर पर बेड बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। इसके बाद लोगों का इलाज संभव होगा। मुख्यमंत्री ने आदेश दिया था कि सभी जिलों में ऑक्सीजन युक्त 50 बेड और प्रमंडलों में 100 बेड का प्रबंध किया जाए। इसका अनुपालन के लिए सरकार ने कदम बढ़ा दिए हैं।

रात होते-होते स्थिति और भी खराब, तमाम पैरवी धरी की धरी रह जा रही

मरीजों को बेड उपलब्घ कराने के लिए चार निजी अस्पतालों का रिकॉर्ड रख रहे आवास बोर्ड के सचिव जॉर्ज कुमार बताते हैं कि चारों अस्पतालों में एक भी मरीज को रविवार को मुक्त नहीं किया गया है। इस परिस्थिति में किसी नए मरीज को बेड उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है। सोमवार को बेड और वेंटिलेटर को लेकर स्थिति स्पष्ट होगी।

यह कैसी मेडिकल इमरजेंसी जहां रविवार को ना डॉक्टर और ना रिपोर्ट

पूरे देश में मेडिकल इमरजेंसी है और इसके बावजूद व्यवस्था में शामिल कुछ लोगों को फर्क नहीं पड़ता। रविवार को लगभग एक दर्जन प्राइवेट अस्पतालों में बात करने के बाद जानकारी मिली कि वहां ओपीडी में डॉक्टर तो आते ही नहीं, रविवार को आरटीपीसीआर (कोरोना जांच) की रिपोर्ट भी नहीं आती। कई मरीज जो पॉजीटिव से निगेटिव हो गए हैं उन्हें सोमवार को ही पता चलता है और ऐसे में एक दिन अतिरिक्त अस्पताल में भी रहते हैं और किसी जरूरतमंद बीमार की मदद भी नहीं हो पाती।

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