Jharkhand Coronavirus Update: झारखंड में मिले कोरोना के 4 वेरिएंट, डबल म्यूटेंट के ही 3 रूप

Jharkhand Coronavirus Update COVID Variants 98 सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग में 41 में यूके स्ट्रेन 39 में डबल म्यूटेंट के तीन रूप मिले। यूके स्ट्रेन में संक्रमण अधिक डबल म्यूटेंट से अधिक मौत हो रही। विशेषज्ञाें ने कहा सरकार को जीनोम सिक्वेंसिंग बढ़ानी चाहिए।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 07:18 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 07:24 PM (IST)
Jharkhand Coronavirus Update: झारखंड में मिले कोरोना के 4 वेरिएंट, डबल म्यूटेंट के ही 3 रूप
Jharkhand Coronavirus Update, COVID Variants विशेषज्ञाें ने कहा, सरकार को जीनोम सिक्वेंसिंग बढ़ानी चाहिए।

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। Jharkhand Coronavirus Update, COVID Variants झारखंड में अबतक कोरोना के चार वेरिएंट मिल चुके हैं। यहां कोरोना के यूके स्ट्रेन (बी.1.1.7) के अलावा डबल म्यूटेंट (बी.1.617 वेरिएंट) के भी तीन अलग-अलग रूप मिले हैं। आरटी-पीसीआर में पॉजीटिव पाए गए सैंपल की भुवनेश्वर स्थिति रीजनल जीनोम सिक्वेंसिंग लेबोरेट्री में कराई गई जीनोम सिक्वेंसिंग में इसकी पुष्टि हुई है। कोरोना के अलग-अलग रूप मिलने से राज्य सरकार की चिंता बढ़ गई है। इसमें डबल म्यूटेंट को अधिक खतरनाक माना जा रहा है।

राज्य में शुरू में 39 सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई गई थी, जिनमें 13 सैंपल के वायरस खतरनाक पाए गए थे। नौ सैंपल में जहां यूके म्यूटेंट स्ट्रेन मिला था, वहीं चार सैंपल में ही डबल म्यूटेंट स्ट्रेन मिला था। राज्य सरकार ने अबतक 98 सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई है, जिनमें 41 सैंपल में यूके स्ट्रेन मिला, जबकि 25 सैंपल में बी.1.617 वेरिएंट, 12 सैंपल में बी.1.617-2 तथा दो सैंपल में बी.1.617-3 वेरिएंट मिला। इस तरह 41 फीसद सैंपल में यूके स्ट्रेन तथा 40 फीसद में डबल म्यूटेंट (बी.1.617) के तीन रूप मिले। विशेषज्ञों के अनुसार, यूके वेरिएंट उतना खतरनाक नहीं है।

इसमें संक्रमण अधिक होता है, लेकिन बी.1.617 वेरिंएट अधिक खतरनाक है। इसमें मौत भी अधिक हो रही है। झारखंड में भी हो रही अधिक मौत का यह वेरिएंट कारण हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने भी कोरोना वायरस के बी.1.617 वेरिएंट को चिंताजनक वेरिएंट की श्रेणी में रखा है। कोरोना के इस वेरिएंट के भी कम से कम 3 वेरिएंट हैं, जिनमें बी.1.617-1, बी.1.617-2 तथा बी.1.617-तीन शामिल हैं। इनमें तीनों वेरिएंट झारखंड में मिले हैं। बता दें कि जीनोम सिक्वेसिंग से काेरोना के स्वरूप का पता चलता है।

राज्य में जीनोम सिक्विेंसिंग की व्यवस्था नहीं

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) आटीपीसीआर में पॉजिटिव पाए गए सैंपल में कम से कम पांच फीसद सैंपल की जीनोम सिक्वेंसिंग की बात करता है, लेकिन राज्य में इसकी कोई व्यवस्था नहीं है। राज्य सरकार ने जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन के लिए आइसीएमआर को कई बार अनुरोध किया है। भुवनेश्वर में जीनोम सिक्वेंसिंग में अधिक समय लगने का हवाला देते हुए एक बार फिर इसके लिए अनुरोध किया गया है।

कहते हैं विशेषज्ञ

सभी वेरिएंट से सुरक्षा प्रदान करता है टीका : डाॅ. प्रदीप भट्टाचार्य, विभागाध्यक्ष, क्रिटिकल केयर यूनिट, रिम्स

-कोरोना के विभिन्न वेरिएंट की पहचान से मरीजों के उपचार में किस प्रकार लाभ मिलता है?

कोरोना के विभिन्न वेरिएंट के अलग-अलग लक्षण होते हैं। लक्षण के अनुसार वेरिएंट की पहचान होने से उपचार में सुविधा होती है। किस वेरिएंट में अधिक मृत्यु हो रही है, यह भी पता चलता है। इसपर रिसर्च होना चाहिए।

-झारखंड में मिला कौन सा वेरिएंट अधिक खतरनाक है?

यूके स्ट्रेन उतना खतरनाक नहीं है। इसमें संक्रमण अधिक होता है, लेकिन डबल म्यूटेंट अधिक खतरनाक होता है। इस वेरिएंट के कारण ही अधिक मौत हो रही है। 20 से 25 फीसद मौत का कारण यह वेरिएंट ही है।

-क्या सरकार को जीनोम सिक्वेंसिंग बढ़ानी चाहिए?

झारखंड में जीनोम सिक्वेंसिंग बढ़ानी चाहिए। इससे भी अधिक जरूरी शत-प्रतिशत टीकाकरण है। अब यह तो प्रमाणित हो चुका है कि वेरिएंट कोई भी हो, दोनों डोज का टीका लग चुका है तो कम से कम जान को खतरा नहीं होगा। टीका सौ प्रतिशत तो नहीं, 90 फीसद सुरक्षा तो जरूर प्रदान करेगा।

फैक्ट फाइल

-डबल म्यूटेंट जिसे वैज्ञानिक तौर पर बी.1.617 नाम दिया गया है, इसमें दो तरह के म्यूटेशंस (ई484क्यू और एल452आर) हैं। यह वायरस का वह रूप है, जिसके जीनोम में दो बार बदलाव हो चुका है। यह वेरिएंट ज्यादा संक्रामक माना जाता है।

-यूके वेरिएंट, जिसे वैज्ञानिक रूप से बी.1.1.7 नाम दिया गया है, वह पुराने वायरस से 40 से 70 फीसद अधिक तेजी से फैलता है।

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