Jharkhand Coronavirus News: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोविड प्रोटोकाल का हो सख्ती से पालन
झारखंड की गठबंधन सरकार ने कुछ छूट के साथ स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह को 10 जून तक बढ़ा दिया है। राज्य के 15 जिलों (कम संक्रमण दर वाले) में दोपहर दो बजे तक अब सभी दुकानें खुलेंगी। ज्यादा संक्रमण वाले नौ जिलों में पूर्व की तरह ही सख्ती अभी बरकरार रहेगी।
प्रदीप शुक्ला। कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप कम होने के बाद अब एक बार फिर राज्य के अनलाक होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन इसके साथ ही धुकधुकी भी बढ़ने लगी है कि आगे क्या होगा। यह डर स्वाभाविक ही है, क्योंकि अब तक के जो अनुभव हैं उससे यह कहने-मानने में किसी को गुरेज नहीं कि कोरना संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए बने तमाम नियम-कानूनों की जल्द ही फिर धज्जियां उड़ती दिख सकती हैं। फिलहाल झारखंड की गठबंधन सरकार ने कुछ छूट के साथ स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह को 10 जून तक बढ़ा दिया है। राज्य के 15 जिलों (कम संक्रमण दर वाले) में दोपहर दो बजे तक अब सभी दुकानें खुलेंगी। ज्यादा संक्रमण वाले नौ जिलों में पूर्व की तरह ही सख्ती अभी बरकरार रहेगी।
इस बीच आम जन से लेकर प्रशासनिक अफसरों तक के मन में यह सवाल उमड़-घुमड़ रहे हैं कि जब पूरा राज्य खुलेगा, तब क्या होगा? क्या गारंटी है फिर से तेजी से संक्रमण नहीं फैलेगा? हाट-बाजार सब खुले जाएंगे तब हालात पर नियंत्रण कैसे होगा? सरकार के सामने दोहरा संकट है। लोगों को कोरोना से तो बचाना है ही, सबकी रोजी-रोटी की चिंता भी करनी है। हर स्तर पर जारी मंथन के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक अनूठा प्रयोग करते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर इस संबंध में आम जनता से सुझाव मांगे। इस पर कई हजार लोगों ने अपने सुझाव भेजे हैं।
अनलाक के संबंध में सरकार ने फिलहाल तो निर्णय ले लिया है, लेकिन आने वाले समय में आम जन के तमाम ‘विचार’ कोरोना संक्रमण से लड़ाई में बहुत कारगर साबित हो सकते हैं। संभव है, सरकार पहले से ही इन विषयों पर सोच रही हो, फिर भी आम जन के सुझावों पर गौर किया जाना चाहिए। जो सुझाव आए, उनमें बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जिनका मानना है, अभी तक जिन्होंने टीका नहीं लिया या जिनको टीका नहीं लगाया जा सका है, उनके घरों से बाहर निकलने पर पूर्ण प्रतिबंध हो। हालांकि ऐसा फैसला ज्यादा कठोर साबित हो सकता है, क्योंकि अभी जरूरत के अनुसार वैक्सीन की उपलब्धता नहीं है। अगले एक-दो महीने बाद जब राज्य के पास पर्याप्त वैक्सीन होगी, तब इस सुझाव को आजमाया जा सकता है। दुकानें खोलने के लिए आड ईवेन सिद्धांत की वकालत की गई है। टीकाकरण की गति बढ़ाने के लिए भी नित नए सुझाव सामने आ रहे हैं। पंचायत मुखिया लगातार प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जो ग्रामीण टीका लेने से कतरा रहे हैं उन्हें सरकारी राशन न दिया जाए। कुछ गांवों में राशन डीलरों ने अपने स्तर पर ऐसे प्रयोग किए भी हैं और उसके बेहतर परिणाम सामने आए हैं। गुमला में जिला प्रशासन ने तय किया है कि मुफ्त बीज लेने आने वाले किसानों को पहले टीका लगवाना होगा।
बाबानगरी देवघर के उपायुक्त ने घोषणा की है कि सबसे पहले शत-प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य पूरा करने वाली 10 पंचायतों के 10 प्राथमिक स्कूलों को वह आधुनिक स्कूल के रूप में विकसित करवाएंगे। इसके लिए ढाई करोड़ की राशि खर्च की जाएगी। राज्य के तमाम विधायकों-सांसदों ने अपने-अपने क्षेत्र में सबसे ज्यादा टीकाकरण करवाने वाली पंचायतों में अपनी विकास निधि का बड़ा हिस्सा खर्च करने का वादा किया है। ग्रामीण कैसे प्रेरित हों, इसके लिए हर स्तर पर प्रयास हो रहे हैं। यह भी मांग उठ रही है कि केंद्र से लेकर राज्य तक की तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से पहले टीकाकरण करवाना अनिवार्य कर दिया जाए। बेशक, इस पर नई बहस शुरू हो सकती है, लेकिन अभी जो हालात हैं, उस पर गौर तो किया ही जाना चाहिए।
झारखंड आंदोलनकारियों को सौगात : अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में सक्रिय रहे आंदोलनकारियों को हेमंत सोरेन सरकार ने बड़ी सौगात दी है। सरकार ने तय किया है कि आंदोलन के दौरान छह महीने से अधिक समय तक जेल में रहने वालों को सात हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी। तीन महीने तक जेल में रहने वालों को साढ़े तीन हजार रुपये और तीन से छह महीने तक जेल में रहने वालों को पांच हजार रुपये पेंशन मिलेगी। आंदोलकारी की मौत होने की स्थिति में उनके आश्रितों को यह पेंशन मिलेगी। आंदोलन के दौरान जेल में अपनी जान गंवाने वालों या 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग हो चुके आंदोलनकारियों के आश्रितों की सरकारी नौकरी में सीधी भर्ती होगी। यह तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियां होंगी। इसके लिए पांच प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान किया जाएगा।
[स्थानीय संपादक, झारखंड]