Coronavirus in Jharkhand: झारखंड में बेकाबू हालात, कोरोना के लिए फंड ही फंड, लेकिन बदइंतजामी चरम पर

Coronavirus in Jharkhand झारखंड में कोरोना वायरस के खिलाफ तैयारियां करने के लिए फंड की कोई कमी नहीं लेकिन बदइंतजामी ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोल दी। जिलों की कार्यप्रणाली का हाल है कि डीएमफटी से हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की बजाए मास्क-सैनिटाइजर पर अधिक राशि खर्च किए गए हैं।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 05:00 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 05:04 AM (IST)
Coronavirus in Jharkhand: झारखंड में बेकाबू हालात, कोरोना के लिए फंड ही फंड, लेकिन बदइंतजामी चरम पर
Coronavirus in Jharkhand: कोरोना से लड़ाई में बदइंतजामी ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलकर रख दी।

रांची, राज्य ब्यूरो। Coronavirus in Jharkhand झारखंड में कोरोना वायरस के खिलाफ तैयारियां करने के लिए फंड की कोई कमी नहीं, लेकिन बदइंतजामी ने स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलकर रख दी। इतना ही नहीं, जिलों की कार्यप्रणाली का भी खुलासा हो गया। डीएमफटी (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड ट्रस्ट) से हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की बजाए मास्क व सैनिटाइजर जैसी चीजों पर अधिक राशि खर्च होने की बातें सामने आ रही हैं। अस्पतालों में बेड की कमी, ऑक्सीजन व वेंटिलेटर की कमी की शिकायतें जारी हैं।

पिछले साल कोविड-19 वायरस के झारखंड में आने के बाद से अब तक रोकथाम के लिए राज्य आपदा मोचन निधि से सबसे ज्यादा रुपये स्वास्थ्य विभाग को दिए गए। दो अरब, 99 करोड़, 57 लाख रुपये स्वास्थ्य विभाग को मिले तो मुख्यमंत्री दाल-भात केंद्र, विशेष दाल-भात केंद्र, प्रवासी मजदूरों के लिए सूखा राशन पैकेट आदि के मद में राज्य सरकार की आपदा प्रबंधन प्रभाग सभी जिला व संबंधित विभागों में गत वित्तीय वर्ष में कुल तीन अरब, 67 करोड़, 80 लाख 67 हजार 230 रुपये बांट चुका है। इसमें सर्वाधिक राशि स्वास्थ्य विभाग का है, जिससे वेंटिलेटर आदि की खरीदारी भी हुई थी। सूचना है कि मशीन तो खरीद ली गई, लेकिन उसे ऑपरेट करने के लिए टीम तैयार नहीं की गई। नतीजा यह हुआ कि जिलों में भेजी गई मशीन राजधानी में वापस मंगाई जा रही है, ताकि गंभीर मरीजों को उसका लाभ मिल सके।

सभी जिलों के लिए आरटीपीसीआर मशीनें भी नहीं

सरकार ने अधिकारियों को राशि व्यय करने की छूट दी लेकिन सभी जिलों के लिए कोरोना जांच के लिए आवश्यक आरटीपीसीआर मशीनें भी उपलब्ध नहीं हो सकी हैं। सरकार महज 17 मशीन खरीद पाई। 197 ट्रूनेट मशीनें, 176 क्वाट्रो मशीन की खरीदारी भी हुई लेकिन यह भी आवश्यकता के अनुरूप नहीं है। हालांकि इसी राशि से 30 लाख रैपिड एंटीजन किट की खरीदारी की गई। राज्य में 550 वेंटिलेटर की खरीदारी भी हुई। बताते चलें कि अभी तक राज्य में 62,54,279 सैंपल की जांच हुई है। जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की खरीदारी भी नहीं हो सकी। यह जांच अभी भी भुवनेश्वर के भरोसे चल रही है।

डीएमएफटी : एक भी कोरोना मरीज मिले तो खरीद सकते हैं वेंटिलेटर

केंद्र सरकार ने जिलों को डीएमएफटी फंड से स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने की अनुमति प्रदान की और इसके बाद राज्य सरकार से दिशानिर्देश भी जारी किया गया लेकिन हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार नहीं हो सका। जानकारी के अनुसार केंद्र से मिले निर्देश में स्पष्ट था कि जिले में अगर एक भी कोरोना संक्रमित मरीज हो तो वेंटिलेटर की खरीदारी इस फंड से की जा सकती थी। इसके अलावा मास्क और सैनिटाइजर एवं लोगों को खाना खिलाने के लिए राशि खर्च करने का प्रावधान किया गया था। सूत्रों के अनुसार जिलों में इस राशि से कहीं-कहीं खाना खिलाने और मास्क खरीदने का काम हुआ है। राशि का इस्तेमाल जिला प्रशासन नहीं कर पाया।

कोविशील्ड के 5.63 लाख तथा कोवैक्सीन के 1.97 लाख डोज ही बचे

राज्य में दो विशेष टीकाकरण अभियान सफल होने के बाद 17 अप्रैल से दूसरा टीकाकरण अभियान शुरू होगा। लेकिन राज्य में अब कोविशील्ड के 5,63,626 लाख तथा कोवैक्सीन के 1,97,160 लाख डोज ही बचे हैं। केंद्र ने हाल ही में राज्य को 20 लाख डोज की स्वीकृति दी थी। इनमें लगभग 12 लाख डोज ही राज्य को प्राप्त हाे सके हैं। इधर, गुरुवार को हुए टीकाकरण में कुल 37,439 लोगों का टीकाकरण हुआ।

गुरुवार को 30,054 लोगों को पहली तथा 7439 को दूसरी डोज का हुआ टीकाकरण

इनमें 30,054 लोगों को पहली तथा 7439 को दूसरी डोज का टीका लगा। 35,434 को कोविशील्ड तथा 2,050 को कोवैक्सीन का टीका लगाया गया। पहली डोज लेनेवालों में 86 हेल्थ केयर वर्कर्स, 509 फ्रंटलाइन वर्कर्स तथा 45 वर्ष आयु के 29,459 नागरिक शामिल हैं। इसी तरह, दूसरी डोज लेनेवालों में 398 हेल्थ केयर वर्कर्स, 1,238 फ्रंटलाइन वर्कर्स तथा 45 वर्ष से अधिक आयु के 5,803 सामान्य नागरिक शामिल हैं।

किस विभाग या जिला को कितनी मिली राशि रांची : 7,58,64,720 रुपये। गुमला : 1,80,20,000 रुपये। सिमडेगा : 1,96,08,000 रुपये। लोहरदगा : 2,16,08,000 रुपये। पूर्वी सिंहभूम : 3,05,56,000 रुपये। पश्चिमी सिंहभूम : 2,71,36,000 रुपये। सरायकेला-खरसांवा : 85,62,000 रुपये। पलामू : 2,31,51,000 रुपये। गढ़वा : 2,68,55,000 रुपये। लातेहार : 2,40,03,000 रुपये। हजारीबाग : 2,42,79,000 रुपये। चतरा : 1,45,02,000 रुपये। कोडरमा : 1,65,88,000 रुपये। गिरिडीह : 3,86,07,000 रुपये। धनबाद : 2,93,64,000 रुपये। बोकारो : 2,79,06,000 रुपये। दुमका : 1,84,49,000 रुपये। जामताड़ा : 2,23,17,660 रुपये। देवघर : 1,83,63,000 रुपये। गोड्डा : 3,52,45,000 रुपये। साहिबगंज : 1,14,90,000 रुपये। पाकुड़ : 1,36,37,000 रुपये। रामगढ़ : 2,03,27,000 रुपये। खूंटी : 2,45,33,850 रुपये। सूचना एवं जन संपर्क निदेशालय : तीन करोड़ रुपये। पुलिस मुख्यालय : 83 लाख रुपये। नगर विकास एवं आवास विभाग : 5,21,95,000 रुपये। आपदा प्रबंधन प्रभाग : 10 लाख रुपये। स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग : दो अरब, 99 करोड़, 56 लाख रुपये।

कुल : तीन अरब, 67 करोड़, 80 लाख, 67 हजार 230 रुपये। 

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