कोरोना: रांची में सड़क पर चलते-चलते 3 लोग गिरे, तड़प-तड़पकर मौत; कोई उठाने नहीं आया
Jharkhand News Samachar झारखंड की राजधानी रांची में काेरोना वायरस का आतंक हर चेहरे पर दिखने लगा है। शहर में मंगलवार को एक के बाद तीन लोगों की सड़क पर गिरने के बाद तड़प-तड़पकर मौत हो गई। एक मरीज खांसते मर गया दूसरा बेहोश होकर गिरा तो उठा नहीं।
रांची,जासं। Jharkhand News Samachar रांची की सड़कों पर के बाद एक तीन लोग सड़क पर अचानक गिर गए। इनमें एक कि खांसते खांसते मौत हो गई। सबसे गंभीर बात है कि इन तीनों के सड़क पर गिरकर अचानक मौत हुई इस दौरान कोई भी उनकी मदद के लिए सामने नहीं आया। कोरोना के डर से किसी ने पानी देने या सामने आकर मदद करने की जहमत तक नहीं उठाई। आखिरकार पुलिस ने ही सभी को अस्पताल भेजा। रांची के पंडरा बाजार समिति के पास एक रिक्शा चालक अचानक बेसुध होकर गिर पड़ा। गिरने के बाद वह लंबे समय तक बेहोश रहा। लेकिन कोरोना के डर से उसकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया। लोग दूर से ही उसे देखते रहे, कुछ लोग तस्वीरें भी उतारते रहे। करीब आधा घंटा तक पड़े रहने के बाद इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस की टीम ने उसे अस्पताल भेजा।
इसी तरह डोरंडा बाजार के पास एक युवक अचानक गिरकर बेहोश हो गया गिरने के बाद वह बेहोश रहा इस दौरान उसकी मदद में कोई सामने नहीं आया बल्कि आसपास के लोगों ने कोरोना के नाम पर भागना भी शुरू कर दिया। आखिर में पुलिस उसे उठाकर अस्पताल भेजी। तीसरी घटना रांची के चडरी तालाब के पास की है जहां एक भीख मांगने वाला खांसते खांसते मर गया। वह मंगलवार की सुबह खास रहा था। तेज खांसी शुरू हुई और उसकी मौत हो गई।
कुछ देर बाद इसकी सूचना कोतवाली थाने की पुलिस को दी गई। कोतवाली थाने के पुलिस मौके पर पहुंची और उसके शव को उठाकर पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेजा। कोतवाली थाना प्रभारी शैलेश प्रसाद ने बताया कि जिसकी लाश मिली है वह आसपास भीख मांग कर अपना गुजारा करता था। उसके बारे में बताया गया है कि उसकी खांसी की बीमारी पुरानी थी। वह दवाई खरीद कर भी पीता था। हालांकि मौत का सही वजह भी सामने नहीं आया है पोस्टमार्टम रिपोर्ट से इसका खुलासा हो पाएगा।
बिना प्रशासन की अनुमति कोरोना संक्रमित शव का दाह संस्कार करने से रोका
रांची के बरियातू इलाके के रहने वाले एक कोरोना संक्रमित की मौत के बाद शव का दाह संस्कार करने से प्रशासन ने रोक दिया। बिना प्रशासन की अनुमति के दाह संस्कार किए जाने की वजह से प्रशासन ने इस पर रोक लगा दी। इसके बाद प्रशासन अपनी व्यवस्था के अनुसार दाह संस्कार के लिए भेजा। दरसल, बिरसा चौक के नारायणी नर्सिंग होम ने कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद शव को परिजनों को सौप दिया गया। परिजन शव ले जाकर घर अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। जब पुलिस को इसकी जानकारी मिली तो पुलिस को उक्त घर में भेज शव को परिजनों द्वारा जलाने से रोका गया। संबंधित शव बरियातू हाउसिंग कॉलोनी का बताया जा रहा।
मंत्री के सामने घंटेभर बाहर पड़ा रहा कोरोना मरीज, वार्ड तक ले जानेवाला कोई नहीं
कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले के साथ अस्पतालों की व्यवस्था का पोल खुल रहा है। मंगलवार को औचक निरीक्षण करने सदर अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता लाचार नजर आ रहे थे। मंत्री को भी सुनने वाला कोई नहीं था। दोपहर में बन्ना गुप्ता जैसे ही सदर अस्पताल के कोविड वार्ड की ओर बढ़े मुख्य गेट के सामने कार में एक मरीज कराहता हुआ मिला। पूछने पर पता चला कि युवक कोरोना संक्रमित है और आधे घंटे से अंदर ले जाने वालों का वाट जोह रहा है। इस पर बन्ना गुप्ता ने वहां मौजूद मजिस्ट्रेट को भर्ती कराने का हुक्म देकर आगे की स्थिति का जायजा लेने निकल गए।
आधे घंटे के बाद उनकी नजर फिर कार सवार मरीज पर पड़ी तो हैरान रह गए। मरीज अब भी वहां पड़ा है। यह देख बन्ना गुप्ता मजिस्ट्रेट पर भड़क गए। कहा, आधे घंटे हो गए अभी तक इसे ऊपर क्यों नहीं ले जाया गया। मजिस्ट्रेट असमर्थता जाहिर करते हुए कहा कि कोई सुनने वाला नहीं है किसको कहे। इसके बाद बन्ना गुप्ता ने सिविल सर्जन को फोन किया। हालांकि, तबतक मरीज के परिजन खुद अंदर से स्ट्रेचर लाकर मरीज को अंदर ले जाना चाहा लेकिन जब नहीं जा सका तो अंत में मरीज खुद पैदल तीसरा तल्ला तक गया।
दोपहर एक बजे 35 वर्षीय एक महिला कोरोना संक्रमित अपने पति को स्ट्र्रेचर पर कोविड वार्ड तक ले जाने का जद्दोजहद कर रही थी। अस्पताल का कोई भी कर्मचारी जद्दोजहद कर रही महिला का मदद करने सामने नहीं आया। हालांकि, स्थिति देखकर एक युवक सामने आया और महिला की मदद की। पूछने पर महिला ने बताया कि एक घंटे से बाहर खड़ी थी। कई कर्मियों से गुहार लगाया कि पति की हालात खराब हो रही है। उसे वार्ड में शिफ्ट किया जाए लेकिन कोई सुनने या मदद करने वाला नहीं था। इधर पति की तबीयत लगातार बिगड़ रही है ऐसे में मजबूरन अस्पताल से स्ट्रेचर लाकर अंदर ले जा रही हूं। कुछ ऐसी ही स्थिति अन्य मरीजों की रही। परिजन खुद वार्ड तक ले जा रहे थे।