Jharkhand के अस्पतालों से गिरते-पड़ते भाग रहे कोराना मरीज, डॉक्टर से दवा तक सारी व्यवस्था बदहाल ...
Jharkhand Corona Update रांची के सरकारी अस्पतालों से डाक्टरी परामर्श के बगैर गंभीर मरीज निकल जा रहे हैं। वहीं प्राइवेट अस्पतालों में जगह नहीं मिलने पर वे अपने घर और आसपास में संक्रमण फैला रहे हैं। अस्पताल से बिना बताए निकल गए मरीजों की जानकारी कहीं उपलब्ध नहीं है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Corona Update पूरे राज्य में कोरोना को लेकर स्थिति दिनोंदिन बदतर होती जा रही है और हालात इतने बदतर हैं कि इनकी अच्छे तरीके से देखभाल भी नहीं हो पा रही है। कारण स्पष्ट है कि सरकारी से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक में तय सीटों की संख्या से कहीं अधिक मरीज भर्ती हों चुके हैं। सरकारी अस्पतालों में न दवा का ठिकाना और न ही डॉक्टरों का। राजधानी रांची में भी मरीजों के सरकारी अस्पतालों से स्वयं निकलकर बाहर चले जाने के मामले सामने आए हैं। ऐसे मरीजों का कोई रिकॉर्ड अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। यह मरीज अपने आसपास के लोगों को संक्रमित कर रहे हैं। हालांकि ऐसा करना अपराध के दायरे में आता है और इसको रोकने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य महकमे की है। लेकिन, विभाग इसमें असफल है।
रांची के सदर अस्पताल और रिम्स से कई संक्रमित मरीज अपने-अपने घर लौट चुके हैं। इसमें से कई के पास ठीक होने का पुख्ता प्रमाण भी नहीं होता। यहां से निकलकर पहले तो ये मरीज प्राइवेट अस्पतालों में जगह खोजते हैं और फिर नहीं मिलने पर अपने ही घर में रहते हैं। ये मरीज कतई ऐसे नहीं हैं जिन्हें होम आइसोलेशन के लिए चिकित्सकों ने परामर्श दिया हो।
साहब के कारण ड्राइवर बीमार
प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने के दौरान एक सरकारी अधिकारी ने घर का रुख कर लिया और फिर यहां से रिम्स में पहुंचे। रिम्स से निकलकर उक्त अधिकारी बगल के ही प्राइवेट अस्पताल में गए और इस क्रम में तीन दिन अपने घर में बिताया। इसके बाद साहब तो ठीक हो गए लेकिन उनकी कार के ड्राइवर की हालत खराब हो गई है। वह संक्रमित हो गया है और उसकी स्थिति अभी ठीक नहीं है।
क्या है नियम
कोरोना संक्रमित मरीज अगर किसी भी कारण से अस्पताल नहीं पहुंचता है अथवा अस्पताल से बिना बताए निकल जाता है तो डाक्टरों की जिम्मेदारी होती है कि वह इसकी जानकारी पुलिस को दे और उस व्यक्ति को वापस अस्पताल में भर्ती कराया जाए। सरकार ने सभी अस्पतालों में इसी कारण से इंसीडेंट कमांडर की नियुक्ति की है लेकिन उनकी ओर से कोई रिपोर्ट नहीं भेजी जा रही है। ऐसे लोगों के खिलाफ महामारी फैलाने के आरोपों के तहत कार्रवाई भी की जा सकती है।