Jharkhand: कांग्रेस की जन आक्रोश रैली के मंच पर 'लैला' डांस, ठुमके पर बवाल; देखें VIDEO

Jan Aakrosh Rally Dance कांग्रेस की जनाक्रोश रैली में खूबसूरत गीत-संगीत और नृत्य के साथ सामने आए आक्रोश से सभी हिले हुए हैं। हाथवालों ने एक प्रयोगभर किया चांडिल में तो डिमांड पूरे प्रदेश से आने लगी। तमाम क्रांति वीरों की रगों में खून का दौड़ान तेज हो गया है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 08:45 PM (IST) Updated:Mon, 22 Feb 2021 07:19 AM (IST)
Jharkhand: कांग्रेस की जन आक्रोश रैली के मंच पर 'लैला' डांस, ठुमके पर बवाल; देखें VIDEO
Jan Aakrosh Rally Dance सरायकेला में कांग्रेस की जन आक्रोश रैली में डांसर के ठुमके की चर्चा सरेआम है।

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। Jharkhand News, Jan Aakrosh Rally Dance, Video Viral सरायकेला में कांग्रेस की जन आक्रोश रैली में डांसर के ठुमके ने झारखंड की राजनीति को गर्म कर दिया है। भाजपा नेता कुणाल षाडंगी ने इस डांस का वीडियाे ट्वीट कर कांग्रेस पर करारा तंज कसा है। उन्‍होंने कहा कि किसानों के साथ कांग्रेस की इस तरह की हमदर्दी आखिर क्‍या बता रही है। राज्‍य ब्‍यूरो के संवाददाता के साथ यहां पढ़ें खरी-खरी...

थम नहीं रहा आक्रोश

जनाक्रोश अब आपे से बाहर है। स्वाभाविक है। इसे परोसा ही कुछ इस अंदाज में गया है कि तमाम क्रांति वीरों की रगों में खून का दौड़ान तेज हो गया है। खूबसूरत, गीत-संगीत और नृत्य के साथ सामने आए जनाक्रोश से सभी हिले हुए हैं। हाथ वालों ने एक प्रयोग भर किया चांडिल में तो डिमांड पूरे प्रदेश से आने लगी। नृत्यांगना के लैला-लैला से सभी हिले हुए हैं। डिमांड और सप्लाई के गैप का संकट सामने आन खड़ा है। सो इंटरनेट पर वीडियो दिखाकर ही डिमांड पूरी करने की कोशिश में लगे हैं सभी। खबर दिल्ली वालों को भी लग गई होगी कि आक्रोश अब थमने वाला नहीं है। लेकिन विरोधियों के पेट में दर्द हो रहा है। वे इतना भी नहीं समझते कि हाथ वाले अपने मंच से प्रतिभावान कलाकारों को मौका दे रहे हैं। इसमें गलत क्या है। अपनी सरकार में सबको रोजी-रोजगार का वादा किया था, अब निभा रहे हैं।

ये @INCIndia है, ये #RaGa के साथ सभी बड़े नेताओं की फोटो है, ये इन लोगों के #किसान हैं और ये #PawriHoRahiHai #Dont_Disturb_please pic.twitter.com/PM5XQuKa9W

— Kunal Sarangi (@KunalSarangi) February 20, 2021

रिश्तों की दुहाई

झारखंड की सियासत में फल-फूल साथ हों तो यह खूब फलती-फूलती है। चिटकें तो राज्य की ''''''''न पक्षÓ की लॉबी तो है ही। अभी उधर ही डेरा डाल रखा है कमल और केले ने। सबक मिला तो गिले-शिकवे भुला बड़े भाई और छोटे भाई का रिश्तों की डोर फिर जुड़ गई, लेकिन तनातनी कम नहीं हुई। स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताई जाती है। मधुपुर पर छोटा भाई फैल गया है, बड़े भाई ने अब तक संयम बरता हुआ है लेकिन बात बन नहीं रही है। प्रेशर पॉलिटिक्स का केले वालों को लंबा तजुर्बा है। बात बनी तो गंगा नहाएंगे, नहीं बनीं तो दिल्ली जाएंगे। कहते हैं कि हम तो छोटे भाई है, इतने से ही मान जाएंगे।

दो नवासी की पहेली

दो नवासी इन दिनों जुमला भी बना हुआ है और पहेली भी। ये कुछ तीन-तेरह टाइप का मामला है। हिंट यह है कि दो के आगे दशमलव लगा लें, बात काफी हद तक साफ हो जाती है। आप समझे न समझे खेती-खलिहानी के सरकारी गलियारों से गुजरने वाला हर आम और खास समझ जाएगा। पूरा महकमा इन दिनों दो नवासी की पहेली सुलझाने में व्यस्त हैं। माया की महिमा ही कुछ ऐसी है। दिक्कत यह है कि सुलझाने की कोशिश में यह गुत्थी और उलझती जाती है। आला जमात के मौखिक निर्देश पर बन नहीं रही बात। लिखा पढ़त करें तो खुद भी पहेली का हिस्सा बन जाएं हुजूर। विभाग का पुराना इतिहास की कुछ ऐसा है कि हवन करते हाथ जलते हैं। ऐसे में बिल की प्रति नेपाल हाउस से कांके रोड की यात्रा में ही अपना समय जाया कर रही है।

हिलोरे लेता लोकतंत्र

हम पहले ही कह चुके हैं, फिर कहेंगे लोकतंत्र तो हाथ वाले कुनबे में ही हिलोरे ले रहा है। बाकी सब जगह तो आदेश के गुलाम बैठे हैं और बर्ड डे विश कर एप्रेजल दुरुस्त कर रहे हैं। कुर्सी न मिलने पर कुर्सियां चलना ऐसा वाकया सिर्फ हाथ वाले कुनबे में देखने को मिल सकता है। इस कुबने की खास विशेषता है कि यहां रायता फैलता है और समय रहते समेट लिया जाता है। किसी को किसी से कोई गिला शिकवा नहीं रहता। ये तो गनीमत रही कि डाक्टर साहब आ गए, नहीं तो कुर्ता फटने तक की नौबत आन पड़ी थी। भले ही इनकी चिकित्सीय विधा को नजरअंदाज किया जाए लेकिन भाव कम नहीं हुआ है पार्टी में अब तक इनका।

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