धनबाद न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत की होगी सीबीआइ जांच, मुख्यमंत्री ने की अनुशंसा
Dhanbad Judge Murder Case CM Hemant Soren Jharkhand News धनबाद में जज की हत्या की घटना हुई थी। इसके बाद झारखंड सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एसआइटी को मामला सौंपा था। आज सीएम ने सीबीआइ जांच की अनुशंसा की है।
रांची, राज्य ब्यूरो। धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत मामले की जांच सीबीआइ को सुपुर्द करने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अनुशंसा कर दी है। इसके पूर्व मुख्यमंत्री के ही निर्देश पर मामले की एसआइटी जांच चल रही थी लेकिन, अब सीबीआइ जांच होगी।
मार्निंग वॉक के दौरान हुई थी घटना
28 जुलाई की सुबह धनबाद में मार्निंग वॉक के दौरान एक ऑटो के धक्के से उनकी मौत का मामला सामने आया था। पुलिस ने मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए घटना में प्रयुक्त ऑटो को जब्त कर उसके चालक को गिरफ्तार किया था। मुख्यमंत्री की पहल पर मामले के त्वरित अनुसंधान और दोषियों की गिरफ्तारी के लिए एसआइटी का गठन किया गया था।
परिजनों ने सरकार के प्रयास पर जताया था संतोष
मालूम हो कि दिवंगत न्यायाधीश उत्तम आनंद के परिजनों ने एक दिन पहले मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री ने इस दुःखद घटना के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की थी तथा कहा था कि सरकार इस दुःख की घड़ी में उनके साथ है। उन्होंने परिजनों से कहा था कि मामले की जांच को लेकर राज्य सरकार गंभीर है। त्वरित गति से इस घटना का अनुसंधान पूरा कर परिजनों को न्याय मिले, यह राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
दिवंगत न्यायाधीश की पत्नी को दें सरकारी नौकरी : रघुवर दास
पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने कहा कि न्यायाधीश उत्तम आनंद की हत्या के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जितनी तत्परता दिखानी चाहिए थी, उन्होंने नहीं दिखाई। उन्होंने वह संवेदनशीलता नहीं दिखाई, जितनी स्टेन स्वामी की बीमारी से हुई मौत पर दिखाई थी। मुख्यमंत्री ने स्टेन स्वामी के घर जाकर कहा था कि उनके परिवार का एक सदस्य चला गया, जबकि जज साहब के घर जाना तक उन्होंने मुनासिब नहीं समझा। दिवंगत न्यायाधीश के परिजनों को मुख्यमंत्री अपने कार्यालय बुलाकर मिलते हैं, ये परिजन कौन थे, यह भी स्पष्ट नहीं है।
यह मुख्यमंत्री की संवेदनशील पर एक सवालिया निशान है। रघुवर दास ने कहा कि अच्छा होता कि मुख्यमंत्री उनके घर जाते। उनके पिता व परिजनों को ढांढस बंधाते। वहीं पर परिजनों के लिए नौकरी व अन्य सुविधाओं की घोषणा करते। दास ने कहा कि दिवंगत न्यायाधीश की पत्नी को उनकी योग्यता के अनुरूप सरकारी नौकरी अविलंब दी जानी चाहिए। इसमें विलंब की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। साथ ही उनके बच्चों की परवरिश और पढ़ाई-लिखाई का इंतजाम भी सरकार को अपने स्तर से करना चाहिए। जैसा कि शहीद लेफ्टीनेंट कर्नल संकल्प शुक्ला की पत्नी को हमारी सरकार ने सरकारी नौकरी व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई थी।