Jharkhand: मनरेगा मजदूरों को अब रोज मिलेंगे 225 रुपये, हेमंत सरकार का बड़ा फैसला...
झारखंड देश का पहला राज्य है जिसने आगामी वित्तीय वर्ष से मनरेगा अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी दर को बढ़ाकर रूपये 225/- प्रति मानव दिवस करने का निर्णय मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया। अब मनरेगा के तहत कार्य करने वाले श्रमिकों को 194 की जगह 225 रुपये मिलेंगे।
रांची, जेएनएन। Jharkhand News संभवतः झारखण्ड देश का पहला राज्य है, जिसने आगामी वित्तीय वर्ष से मनरेगा अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी दर को बढ़ाकर रूपये 225/- प्रति मानव दिवस करने का निर्णय मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया। अब मनरेगा के तहत कार्य करने वाले श्रमिकों को 194 की जगह 225 रुपये मिलेंगे। मनरेगा में बेहतर काम करते हुए झारखंड ने पहले ही पूर्व के सारे मानव दिवस के लक्ष्य को प्राप्त किया है।
मनरेगा योजना अंतर्गत श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी दर में बढ़ोतरी करने हेतु राज्य योजना से अतिरिक्त व्यय की स्वीकृति एवं तदनुरूप बजटीय उपबंध करने की स्वीकृति मंत्रिपरिषद की बैठक में दी गई। मनरेगा की मजदूरी दर 194 से बढ़ कर 225 रुपये हुई।— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) February 25, 2021
सरकार कोरोना काल में जरूरतमंदों के लिये मनरेगा को रोजगार का एक उत्तम माध्यम बनाया था। मालूम हो कि, मनरेगा योजना प्रारम्भ होने के पश्चात पहली बार झारखण्ड में आठ करोड़ मानव दिवस सृजन का लक्ष्य को पुनरीक्षित करते हुए 11.50 करोड़ मानव दिवस किया गया है। इसके विरूद्ध अब तक 10 करोड़ 11 लाख मानव दिवस का सृजन किया जा चुका है।
राज्य सरकार ने जल संरक्षण के क्षेत्र में ‘नीलाम्बर-पीताम्बर जल समृद्धि योजना’ के तहत अब तक लगभग 2 लाख हेक्टेयर जमीन पर ट्रेंच एवं मेड बंदी का काम पूरा कर लिया है। बिरसा हरित ग्राम योजना के जरिये 26 हजार एकड़ भूमि में फलदार पौधे लगाये जा चुके हैं।
आंदोलनकारी मोर्चा ने आयोग के गठन के निर्णय के लिए सीएम का जताया आभार
झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा राज्य कैबिनेट में आंदोलनकारी आयोग के पुनर्गठन, पेंशन में वृद्धि तथा नौकरियों में आरक्षण की स्वीकृति के निर्णय का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति आभार जताया है। मोर्चा के केंद्रीय संयोजक मुमताज अहमद खान ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने हजारों आंदोलनकारियों की भावनाओं का सम्मान किया है। मोर्चा के केंद्रीय संयोजक प्रवीण प्रभाकर ने कहा कि चूंकि मुख्यमंत्री ने आयोग के गठन समेत अन्य मुद्दों पर मोर्चा की मांग के अनुरूप निर्णय ले लिया है इसलिए अब आंदोलन का औचित्य नहीं रह जाता।