इंसान और हाथियों का टकराव रोकेगा एनाइडर, 180 मीटर दायरे में आने पर बजने लगेगा अलार्म Chaibasa News
Chaibasa News वन विभाग ने एक सार्थक प्रयास शुरू किया है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चाईबासा व सारंडा डिवीजन में मोशन सेंसर उपकरण लगाए जाएंगे। इससे क्षेत्र में हाथी आने पर एलईडी लाइट भी जलेगी और हाथी गांव से दूर हो जाएंगे।
चाईबासा, सुधीर पांडेय। झारखंड के कई वन क्षेत्रों में वर्षों से इंसान और हाथियों के बीच टकराव का सिलसिला जारी है। इसके कारण दोनों को क्षति होती रही है। कहीं पर हाथी फसलों को बर्बाद कर देते हैं तो कहीं इंसान उनकी जान ले लेते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए वन विभाग ने एनाइडर की मदद लेने की योजना बनाई है। एनाइडर एक तरह का अर्ली वार्निंग डिवाइस है।
इसमें मोशन सेंसर लगा हुआ है। इसका दायरा 180 मीटर होगा। जैसे ही हाथी या कोई अन्य वन्य जीव इसकी रेंज में आएगा, अलार्म बज उठेगा। इस डिवाइस में लगी एलईडी भी जल जाएगी। इस आवाज से जानवर भाग जाएंगे। इसकी आवाज मॉडिफाइड भी की जा सकती है। झारखंड में पहली बार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर टाटा स्टील की मदद से इसे सारंडा व चाईबासा वन क्षेत्र के गांवों में लगाने की तैयारी चल रही है।
फसल को बर्बाद होने से बचाया जा सकेगा
चाईबासा वन प्रमंडल पदाधिकारी सत्यम कुमार ने बताया कि चाईबासा वन प्रमंडल में तीन रेंज हाटगम्हरिया, चाईबासा और नोवामुंडी आते हैं। फिलहाल तीनों रेंज में हाथी से अति प्रभावित छह-छह गांवों को चिह्नित कर एनाइडर लगाने की प्रक्रिया चल रही है। कुल 18 एनाइडर पूरे क्षेत्र में लगाए जाएंगे। टाटा स्टील कंपनी की इस योजना को विभाग ने स्वीकृति प्रदान कर दी है। अक्टूबर-नवंबर में एनाइडर गांव के खेतों में लगा दिए जाएंगे। इससे इंसान और हाथी दोनों सुरक्षित रहेंगे।
दोनों को नुकसान से बचाने की कवायद
चाईबासा रेंज में मंझारी के पास ग्रामीणों ने हाथियों को रोकने के लिए खेतों के किनारे विद्युत प्रवाहित तार लगा रखा है। सप्ताह भर पहले करंट लगने से एक हाथी की मौत हो गई थी। इसी तरह जगन्नाथपुर क्षेत्र में हाथियों के झुंड ने एक सप्ताह में कई एकड़ फसल को बर्बाद कर दिया है। ऐसी घटनाएं रोज हो रही हैं। विभाग का मानना है कि एनाइडर लगाए जाने के बाद दोनों की रक्षा संभव हो सकेगी।
हाथी प्रभवित गांवों की निगरानी में मिलेगी मदद
सारंडा डीएफओ रजनीश कुमार कहते हैं कि हाथी कॉरिडोर सिमिलिपाल वन्यजीव अभयारण्य (मयूरभंज, ओडिशा) से लेकर (झारखंड-बंगाल) सिंहभूम क्षेत्र के बड़े पैच के साथ दलमा अभयारण्य तक फैला है, जिसमें सारंडा, चाईबासा और बीच में पडऩे वाले सरायकेला-खरसावां जिले के कुछ हिस्से शामिल हैं। एनाइडर इंफ्रारेड सेंसर आधारित उपकरण है।
इसकी तेज आवाज सुनकर हाथी रास्ता बदल लेंगे। साथ ही इसमें लगे कैमरे में वे कैद हो जाएंगे। एक अलर्ट मैसेज विभाग के पास पहुंच जाएगा। उत्तराखंड में ऐसी तकनीक का इस्तेमाल हुआ है, झारखंड में ऐसा पहली बार हो रहा है। 18 गांवों में तकरीबन 50 लाख रुपये खर्च इस प्रोजेक्ट पर आएगा। यह खर्च टाटा स्टील लांग प्रोडेक्ट कंपनी वहन करेगी।