ऑक्‍सीजन मामले में आत्‍मनिर्भर बना झारखंड, खुद की जरूरत पूरी कर दूसरे राज्‍यों को कर रहा सप्‍लाई

Hemant Government Jharkhand News Oxygen Hospital कोरोना वायरस की दूसरी लहर में समय रहते ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी हुई। झारखंड सरकार अब ऑक्सीजन बैंक बनाएगी। संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 07:50 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 07:53 PM (IST)
ऑक्‍सीजन मामले में आत्‍मनिर्भर बना झारखंड, खुद की जरूरत पूरी कर दूसरे राज्‍यों को कर रहा सप्‍लाई
Hemant Government, Jharkhand News, Oxygen Hospital संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया।

रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड राज्य ने तेजी से बढ़े कोरोना संक्रमित मरीजों की जीवन रक्षा के लिए समय रहते ऑक्सीजन की आवश्यकता को पूरा करने का हर संभव प्रयास किया और सीमित संसाधनों के बावजूद इसमें सफल भी रहे। इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री ने दो दिन पूर्व ही रामगढ़ के मांडू स्थित डीएवी स्कूल, घाटोटांड़ में ऑक्सीजन युक्त 80 बेड के कोविड केयर सेंटर का उद्घाटन किया, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी जरूरतमंदों को किसी तरह की परेशानी न हो। सरकार सभी जिलों में ऑक्सीजन बैंक बनाने और जिलों के सदर अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की दिशा में भी काम शुरू कर चुकी है। ऑक्सीजन की उपलब्धता के मामले में राज्य अब आत्मनिर्भर हो गया है।

दूसरी लहर ज्यादा चिंताजनक

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहले के मुकाबले ज्यादा खतरनाक रही। नेशनल क्लीनिकल रजिस्ट्री के अनुसार पहली लहर में लोगों में सांस की तकलीफ 41.7 प्रतिशत थी, जो दूसरी लहर में बढ़कर 47.5 प्रतिशत हो गई। यह एक चिंताजनक स्थिति रही। सांस की तकलीफ बढ़ने पर मेडिकल ऑक्सीजन की मांग भी बढ़ने लगी लेकिन, समय रहते इसका हल निकाल लिया गया।

ऑक्सीजन टास्क फोर्स का गठन

संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए ऑक्सीजन टास्क फोर्स का गठन किया गया। टास्क फोर्स द्वारा राज्य में ऑक्सीजन का उत्पादन कैसे बढ़े, ऑक्सीजन सिलेंडर व जरूरी उपकरणों की उपलब्धता और अस्पतालों तक निर्बाध आपूर्ति कैसे हो, इस पर योजना बनाकर काम किया गया। अप्रैल 2021 तक राज्य में 12 ऑक्सीजन रिफिलिंग यूनिट थी। ये यूनिट प्रतिदिन 6000 से 7000 सिलेंडर को रिफिल करने की क्षमता रखती थी। राज्य में कार्यरत पांच ऑक्सीजन निर्माताओं द्वारा 315 टन ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा था। 22 अप्रैल तक इस क्षमता को बढ़ाकर 570 टन प्रतिदिन किया गया।

इसके बाद भी राज्य में ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता को और बढ़ाने का काम जारी रहा। परिणाम यह रहा कि झारखंड अब दिल्ली, उत्तरप्रदेश समेत अन्य राज्यों को पहले से अधिक ऑक्सीजन सप्लाई कर रहा है। 22 अप्रैल 2021 तक राज्य में 80 से 100 टन ऑक्सीजन रोजाना की मांग थी, जबकि राज्य में उत्पादन उससे कहीं ज्यादा हो रहा था। लेकिन, ऑक्सीजन सिलेंडर और संबंधित उपकरणों की कमी की वजह से शुरू में ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में कुछ दिक्कत हुई। इसके बाद राज्य में उपलब्ध इंडस्ट्रियल सिलेंडरों को भी मेडिकल सिलेंडरों के रूप में परिवर्तित किया गया।

ऑक्सीजन बेड की संख्या बढ़ी

अप्रैल माह में पूरे राज्य में 1824 नए ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड उपलब्ध कराए गए। उस समय यह प्रयास किया गया कि सभी जिलों में कम से कम 50 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड जरूर उपलब्ध हो। एक बार यह काम हो जाने के बाद बेड की संख्या में लगातार इजाफा किया गया।

संजीवनी वाहन की शुरुआत

ऑक्सीजन उपलब्धता को अस्पतालों में सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री ने संजीवनी वाहन की शुरुआत की। संजीवनी वाहनों की शुरुआत होने से काफी फायदा हुआ। इन वाहनों में 24 घंटे ऑक्सीजन सिलेंडर लदे होते हैं। फिलहाल यह सुविधा राजधानी रांची के अस्पतालों के लिए की गई है। रांची के जिस अस्पताल में ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है, इन वाहनों के द्वारा तत्काल वहां ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। अब रांची और धनबाद के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी नहीं हो रही।

ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड की संख्या में इजाफा

मई के पहले हफ्ते में राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के मल्टी लेबल पार्किंग में नए कोविड केयर सेंटर की शुरुआत हुई। इसमें 327 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड हैं। इससे काफी राहत मिली है। सदर अस्पताल की व्यवस्था की देखरेख के लिए राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों को लगाया गया। इससे मरीजों को ऑक्सीजन बेड या इलाज में काफी मदद मिली है।

हेल्पलाइन की शुरुआत

संक्रमण के शुरुआती दौर में मरीजों और उनके परिजनों को अस्पतालों के चक्कर लगाकर खुद ही जानकारी लेनी पड़ रही थी। उससे उन्हें काफी परेशानी हो रही थी। मरीजों की परेशानी को देखते हुए सरकार ने हेल्पलाइन नंबर 104 जारी किया। हेल्पलाइन से अस्पतालों में बेड की स्थिति और ऑक्सीजन की उपलब्धता सहित तमाम जरूरी जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि इन तमाम प्रयासों के पीछे मुख्यमंत्री का बड़ा योगदान रहा। वे लगातार मामले की जानकारी लेते रहे। जो खामियां थी, उसे दुरुस्त किया गया और इसी का परिणाम है कि झारखंड में कोविड के मामले कम हो रहे हैं।

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