झारखंड के बीएड कालेजों पर कसेगा शिकंजा, हर साल देनी होगी परफारमेंस अप्रेजल रिपोर्ट

Jharkhand B.Ed Colleges Education News दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद सभी संस्थानों को लागू करने के निर्देश हैं। रिपोर्ट में उपलब्ध संरचनाएं आमद व खर्च आदि के संबंध में सभी जानकारी देनी होगी। अगले साल 29 जनवरी तक सभी संस्थानों को रिपोर्ट आनलाइन भरनी होगी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 08:47 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 08:56 PM (IST)
झारखंड के बीएड कालेजों पर कसेगा शिकंजा, हर साल देनी होगी परफारमेंस अप्रेजल रिपोर्ट
Jharkhand B.Ed Colleges, Education News दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद सभी संस्थानों को लागू करने के निर्देश हैं।

रांची, राज्य ब्यूरो। शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स करने की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में नामांकन में ठगे जाने की समस्या नहीं रहेगी। शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में उपलब्ध संरचनाओं, शिक्षकों एवं उसकी उपलब्धियों की जानकारी उन्हें मिल सकेगी। शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा हर साल भरी जाने वाली परफारमेंस अप्रेजल रिपोर्ट में यह ब्योरा उपलब्ध रहेगा। शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों एवं संस्थानों के नियमन का अधिकार रखने वाली राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने इसे अनिवार्य कर दिया है।

एनसीटीई ने दिल्ली हाई कोर्ट का देश आने के बाद शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए सभी शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को एनसीटीई के पोर्टल पर आनलाइन परफारमेंस अप्रेजल रिपोर्ट भरने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसके लिए 29 जनवरी 2022 तक की समय सीमा तय की गई है। परिषद ने राज्य के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भी पत्र भेजकर इसे सख्ती से अनुपालन कराने के लिए कहा है। यह रिपोर्ट सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों को भरनी होगी। इसमें संस्थानों को जमीन के निबंधन से लेकर भवन निर्माण की योजना, आमद और खर्च का ब्योरा भी भरना होगा।

कहा जा रहा है कि इससे अध्यापन और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर निगरानी, पारदर्शिता और गुणवत्ता व सेवा की आपूर्ति में सुधार होगा। बता दें कि शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के एसोसिएशन ने एनसीटीई द्वारा परफारमेंस अप्रेजल रिपोर्ट भरना अनिवार्य किए जाने तथा इसके लिए निजी संस्थानों से 15 हजार रुपये शुल्क निर्धारित किए जाने की दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। अदालत ने इस मामले की सुनवाई के बाद एनसीटीई के आदेश को बरकरार रखा।

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