झारखंड का जालियांवाला बाग है खूंटी जिले का डोंबारी बुरु

आजादी के आंदोलन में वर्तमान के झारखंड में भी जालियांबाला बाग जैसी घटना घट चुकी है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Jan 2021 05:14 AM (IST) Updated:Sat, 09 Jan 2021 05:14 AM (IST)
झारखंड का जालियांवाला बाग है खूंटी जिले का डोंबारी बुरु
झारखंड का जालियांवाला बाग है खूंटी जिले का डोंबारी बुरु

दिलीप कुमार, खूंटी : आजादी के आंदोलन में वर्तमान के झारखंड में भी जालियांबाला बाग जैसी घटना घट चुकी है। जालियांबाला बाग की घटना से 20 वर्ष पूर्व घटी घटना में सैकड़ों आदिवासियों को अंग्रेज सिपाहियों ने चारों ओर से घेरकर भून दिया था। ये स्थान है खूंटी जिले के मुरहू प्रखंड क्षेत्र का डोंबारी बुरु। आज से 122 साल पहले नौ जनवरी 1899 को अंग्रेजों ने डोंबारी बुरु में निर्दोष लोगों को चारों तरफ से घेर कर गोलियों से भून दिया था। डोंबारी बुरु में भगवान बिरसा मुंडा अपने 12 अनुयाइयों के साथ सभा कर रहे थे। सभा में आस-पास के दर्जनों गांव के लोग भी शामिल थे। इनमें महिलाएं और बच्चे भी थे। बिरसा मुंडा अंग्रेजों के खिलाफ लोगों में उलगुलान की बिगुल फूंक रहे थे। अंग्रेज को बिरसा की इस सभा की खबर हुई। अंग्रेज सैनिक वहां धमके और डोंबारी पहाड़ को चारों तरफ से घेर लिया और अंग्रेज सैनिक मुंडा लोगों पर कहर बनकर टूट पड़े। बिना कोई सूचना के अंग्रेज सैनिकों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। बिरसा मुंडा भी अपने समर्थकों के साथ पारंपरिक हथियारों के दम पर अंग्रेजों का जमकर सामना किया। इस संघर्ष में सैकड़ों लोग शहीद हो गए। हालांकि, बिरसा मुंडा अंग्रेजों को चकमा देकर वहां से निकलने में सफल रहे। उक्त स्थल पर किए गए पत्थलगड़ी में मात्र छह लोगों का ही नाम दर्ज है। इनमें गुटुहातु के हाथीराम मुंडा, हाड़ी मुंडा, बरटोली के सिगराय मुंडा, बंकन मुंडा की पत्नी, मझिया मुंडा की पत्नी और डुंडंग मुंडा की पत्नी शामिल हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि उस संघर्ष में लगभग चार लोग मारे गए थे। लोग डोंबारी बुरु को झारखंड का जालियांबाला बाग कहते हैं। इस घटना के बाद हर साल यहां नौ जनवरी को मारे गए लोगों की याद में शहादत दिवस मनाया जाता है।

डोंबारी बुरु को तारणहार का है इंतजार

राज्यसभा के सदस्य रहे अंतरराष्ट्रीय स्तर के भाषाविद, समाजशास्त्री, आदिवासी बुद्धिजीवी व साहित्यकार स्वर्गीय डॉ. रामदयाल मुंडा ने डोंबारी बुरु में एक स्तंभ का निर्माण कराया था। 110 फुट ऊंचा यह स्तंभ आज भी सैकड़ों लोगों के शहादत की कहानी बयां करती है। वर्ष 1986-87 में बनाए गए विशाल स्तंभ उलगुलान के इतिहास को अपने अंदर समेटे हुए आज भी विकास की बाट जोह रहा है। स्तंभ की सीढ़ी व फर्स पर लगे पत्थर टूट चुके हैं। सीढि़यों के किनारे बनाए गए रेलिग भी कई जगह टूट चुकी है। सैकड़ों लोगों के शहादत की कहानी बयां करने वाली इस ऐतिहासिक स्तंभ को अब किसी तारणहार का इंतजार है जो झारखंड की धरती पर शुरू हुए आजादी के उलगुलान के गवाह को संवार कर भावी पीढ़ी के लिए सजाकर रखेगा।

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विशु मुंडा ने दान में दी जमीन

डोंबारी बुरु को संवारने के लिए गांव के विशु मुंडा ने डोंबारी बुरु के नीचे 80 डीमसील जमीन 1990 में दान में दी। पद्मश्री डॉ. रामदयाल मुंडा के साथ प्रशासनिक अधिकारी जेबी तुबिद ने विशु को आश्वस्थ किया था कि जमीन के बदले उसे मुआवजा और नौकरी दी जाएगी। विशु मंडा बताते हैं कि जमीन तो दे दी। जमीन पर धरती आबा की आदमकद प्रतिमा स्थापित हुई, आखड़ा बना, विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा के विधायक निधि से आकर्षक मंच का भी निर्माण किया गया। 15 लाख की लागत से डोंबारी पहाड़ तक पीसीसी सड़क का निर्माण भी कराया गया, लेकिन उन्हें ना मुआवजा मिला और ना नौकरी। इसके बावजूद वे खुश हैं कि धरती आबा के नाम पर कुछ बना। उन्होंने कहा कि सरकार को इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर राज्य के भावी पीढ़ी के लिए ज्ञानवर्धक स्थल का रूप देना चाहिए।

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जुटेंगे हजारों लोग, केंद्रीय मंत्री भी होंगे शामिल

बिरसा मुंडा के शहीदों की याद में शनिवार को खूंटी के डोंबारी बुरु स्थित शहीद स्थल पर शनिवार को हजारों लोग जुटेंगे। शहीद दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रम व मेला आयोजन किया गया है। दोपहर बाद शुरू होने वाला यह कार्यक्रम देर रात तक चलेगा। इसमें आसपास के गांवों के लोग विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। हर साल नौ जनवरी को डोंबारी बुरु में मेला जैसा नजारा रहता है। डोंबारी बुरु में लगने वाले शहीद स्मरण मेला सह सांस्कृतिक कार्यक्रम में शनिवार को बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा शिरकत करेंगे। इसके पूर्व केंद्रीय मंत्री बिरसा सरस्वती शिशु मंदिर सालेहातु में विद्यालय प्रांगण की चहारदीवारी निर्माण कार्य का शिलान्यास करेंगे। साथ ही सुबह 11 बजे स्थानीय कार्यकर्ताओं एवं ग्रामीणों के साथ बैठक करेंगे। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा दिन के 1.30 बजे डोंबारी बुरु शहीद स्थल पहुंचेंगे।

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