एक ही किट से कोरोना के साथ मलेरिया और डेंगू की भी होगी जांच

कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को मलेरिया डेंगू चिकनगुनिया या अन्य वेक्टर जनित बीमारियां भी हो सकती हैं। इसी तरह मलेरिया डेंगू आदि के मरीजों को कोरोना भी हो सकता है। इसलिए कोरोना के साथ-साथ अन्य बीमारियों की भी जांच होनी चाहिए। भारतीय चिकित्सा शोध संस्थान (आइसीएमआर) एक ही किट से कोरोना के साथ-साथ इन बीमारियों की जांच पर काम कर रहा है। इससे फीवर पैनल की सभी बीमारियों की जांच एक साथ हो सकेगी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 12:21 AM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 12:21 AM (IST)
एक ही किट से कोरोना के साथ मलेरिया और डेंगू की भी होगी जांच
एक ही किट से कोरोना के साथ मलेरिया और डेंगू की भी होगी जांच

रांची : कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया या अन्य वेक्टर जनित बीमारियां भी हो सकती हैं। इसी तरह मलेरिया, डेंगू आदि के मरीजों को कोरोना भी हो सकता है। इसलिए कोरोना के साथ-साथ अन्य बीमारियों की भी जांच होनी चाहिए। भारतीय चिकित्सा शोध संस्थान (आइसीएमआर) एक ही किट से कोरोना के साथ-साथ इन बीमारियों की जांच पर काम कर रहा है। इससे फीवर पैनल की सभी बीमारियों की जांच एक साथ हो सकेगी। आइसीएमआर की सहयोगी संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पैथोलाजी, नई दिल्ली की पूर्व निदेशक डा. पूनम सलोत्रा ने यह जानकारी प्रोजेक्ट संचार और हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ (इंडिया रिसर्च सेंटर) द्वारा बुधवार को आयोजित वेबिनार में दी।

डा. सलोत्रा के अनुसार आइसीएमआर ने कोरोना के साथ-साथ अन्य वेक्टर जनित बीमारियों की पहचान तथा इलाज के लिए प्रोटोकाल तय किए हैं, जिससे मरीजों का कंबिनेशन ट्रीटमेंट हो रहा है। इस ट्रीटमेंट से कम समय में कम खर्च पर बेहतर इलाज हो रहा है, क्योंकि इसमें मरीजों के दवा छोड़ने के कारण ड्रग रेजिस्टेंस का खतरा नहीं रहता। आइसीएमआर के रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के निदेशक डा. रजनीकांत श्रीवास्तव के अनुसार मलेरिया, कालाजार, डेंगू व अन्य वेक्टर जनित बीमारियों के नियंत्रण पर कोरोना का प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पड़ा है। सकारात्मक इस लिहाज से कि कोरोना के कारण लोगों में स्वास्थ्य को लेकर काफी जागरूकता आई है। हाथ धोने, साफ-सफाई बरतने आदि जैसे बदलाव आम जनमानस में देखने को मिल रहा है। इसका अच्छा प्रभाव आगे अन्य संक्रामक एवं वेक्टर बोर्न डिजीज के नियंत्रण पर पड़ेगा। दूसरी तरफ कोरोना से निपटने में सरकार के अधिकांश रिसोर्स और मानव संसाधन लगाए गए, जिससे मलेरिया, कालाजार आदि के नियंत्रण को लेकर चलाए जानेवाले कार्यक्रम प्रभावित हुए हैं।

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कोरोना से भी बचाव कर सकता है बीसीजी का टीका

डा. रजनीकांत श्रीवास्तव ने एनआइआरटी, चेन्नई के एक हालिया शोध की जानकारी देते हुए कहा कि अबतक टीबी से बचाव के लिए दिया जा रहा बीसीजी का टीका कोरोना से भी बचाव कर सकता है। डा. श्रीवास्तव के अनुसार ऐसा संभव है कि बचपन में ही बीसीजी का टीका पड़ जाने के कारण भारत में कोरोना अन्य विकसित देशों की तरह घातक साबित नहीं हुआ। खान-पान के तरीके और फूड हैविट भी इसके कारण हो सकते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम आवश्यक सावधानी बरतकर कोरोना की दूसरे वेब आने से पहले ही इसे खत्म कर सकते हैं। सिर्फ नियमित रूप से मास्क पहनकर, शारीरिक दूरी का अनुपालन कर, हाथ धोकर ही हम ऐसा कर सकते हैं।

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विशेषज्ञों ने जो कहा

- कोरोना के कारण मलेरिया, डेंगू, कालाजार आदि के इलाज पर प्रभाव के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं।

- हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा लेने से भी बाद में मलेरिया के इलाज में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

- कोरोना से घबराकर लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं। इससे बचने के लिए नियमित व्यायाम, योगा तथा क्रिएटिव वर्क करें।

- एंटीबाडी बनने के तीन से पांच माह बाद कोई व्यक्ति दोबारा संक्रमित हो सकता है।

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