International Family Day: परिवार की बगिया में सांसों को मिल रहा नया जीवन, कोरोना संकट में बना संजीवनी
International Family Day Koderma News परिवार ही हर किसी के लिए सबसे बड़ा संबल बना हुआ है। कोरोना काल में एक दूसरे को संभालने और मनोबल बढ़ाने में स्वजन मजबूती के साथ खड़े हैं। एकल परिवार से संयुक्त परिवार की ओर जाने का संदेश दिया है।
झुमरीतिलैया (कोडरमा), [अरविंद चौधरी]। International Family Day, Koderma News जिन्होंने पहले एकल परिवार को तरक्की का पैमाना मान लिया था, वे महामारी के दौरान परिवार का सहारा ढूंढ रहे हैं। जब जान पर बन आने का खतरा चारों ओर मंडरा रहा है तो हम एक दूसरे की साथ का सहारा खोज रहे हैं। यह मान रहे हैं कि परिवार साथ है तो हर मुश्किल आसान है। कोरोना महामारी के समय ने परिवार की महत्ता को एक बार फिर साबित किया है। संकल्प लेकर प्रेम और आत्मीयता से परिवार की नींव को मजबूत करने की जरूरत है।
आज जब कोरोना की दूसरी लहर हमें दुनिया के आधुनिक स्वरूप से विमुख कर अपनी जड़ों की ओर लौटने का संदेश दे रही है, तो परिवार ही हर किसी के लिए सबसे बड़ा संबल बना हुआ है। देश भर के 90 प्रतिशत से ज्यादा मरीज घर पर रहकर स्वस्थ हो रहे हैं। एक दूसरे को संभालने और मनोबल बढ़ाने में स्वजन मजबूती के साथ खड़े हैं। फलस्वरूप परिवार रूपी वटवृक्ष ने वैश्विक महामारी में सदस्यों को अपनेपन के पोषण का ऑक्सीजन देकर नया जीवन दिया है। प्रस्तुत है परिवार के महत्व पर लोगों की राय:-
संक्रमण में स्वजन का साथ बना संजीवनी
अपने तो अपने होते हैं। हमें हर हाल में इसे स्वीकारना चाहिए। ड्यूटी के दौरान मैं संक्रमित हुआ मैंने होम आइसोलेशन में रहकर इलाज का फैसला लिया। ऐसे में परिवार के सदस्य भी संक्रमित हुए। लेकिन एक-दूसरे के साथ से मुश्किल समय से बाहर आ पाया। बीमारी में दवा से बढ़कर अपनों और कार्यालय के साथियों का ख्याल, देखभाल, उनकी सुरक्षा मेरे लिए सबसे बड़ी इम्यूनिटी बनी। आपके परिवार में जितने ज्यादा सदस्य हैं, आप उतने सौभाग्यशाली हैं। -विशाल सिंह, लिपिक, जिला परिवहन कार्यालय, कोडरमा।
पारिवारिक एकजुटता से बढ़ता है मनोबल
जीवन की किसी भी समस्या में परिवार के साथ का ढाल हमारे मनोबल को सातवें आसमान पर ले जाता है, जिसका साथ पाकर हम हर मुश्किल से बाहर आते हैं। परिवार के बिना इंसान का कोई अस्तित्व नहीं होता। हमें परिवार की मर्यादा और महत्व को समझना होगा। लोगों के लिए आज महामारी में परिवार ने एक बार फिर जीवन रक्षक साबित होकर समाज को अपनी महत्ता साबित की है। कोरोना संकट ने हमें एकल परिवार से संयुक्त परिवार की ओर ले जाने का संदेश दिया है। इसे हम सब को स्वीकार करने की जरूरत है। संक्रमण से बचने के लिए सतर्क और जागरूक रहें। -अजय कुमार, क्षेत्रीय प्रबंधक, साईप्रेस फार्मा कंपनी, कोडरमा।
एक दूसरे को दें सुरक्षा का एहसास
महामारी में यदि हम अपनों से दूर हैं तो भी अनेक माध्यम से संपर्क कर कुशलता की जानकारी और सतर्कता के उपाय पर बातें कर अपनों को सुरक्षा के साथ अपने होने का एहसास देते रहना चाहिए। अपनों के ख्याल की इम्यूनिटी परिवार के सदस्यों को किसी भी संकट से दूर रखती है। इस समय परिवार के साथ-साथ दोस्तों के साथ भी संपर्क में रहने से अनेक महत्वपूर्ण सहयोग का आदान-प्रदान होता है। भारतीय संस्कृति में संयुक्त परिवार के कवच का महत्व सदियों तक रहेगा। -अर्चना वर्मन, गृहिणी, झांझरी मार्ग, झुमरीतिलैया।
संकट में सबसे बड़ा कवच परिवार
अकेले जीवन जी रहे संक्रमित हुए लोगों को कठिन दौर से गुजरना पड़ा है। ऐसे में कितनों को जान से हाथ धोना पड़ा। दूसरी तरफ परिवार के बीच रहकर इलाज करवाने वाले मरीज कठिन परिस्थिति को भी झेल कर स्वस्थ हो रहे हैं। भले ही शारीरिक रूप से परिवार के सदस्य अलग रहे हों लेकिन उनसे मिले आत्मीय पोषण ने संक्रमित हुए सदस्यों को एक नया जीवन दिया है। इस दौर ने संयुक्त परिवार की दृढ़ता और क्षमता को एक बार फिर साबित किया है। अब जरूरत है एक दूसरे को सहेजने की। ये संकट भी चला जाएगा। -रिमझिम रुखियार, प्रोफेसर, बीएड संकाय, जेजे कॉलेज।