साइबर हमले से बचने के लिए जानकारी और उपाय जरूरी
अमेरिकी दूतावास की सहायता से साइबर सुरक्षा पर आयोजित हुआ कार्यक्रम
जासं, रांची: अमेरिकी वाणिज्य दूतावास कोलकाता और कट्स इंटरनेशनल भारत के सूक्ष्म, मध्यम और छोटे व्यवसायों के लिए साइबर खतरों को कम करने के लिए रांची में कार्यशाला का आयोजन किया गया। एमएसएमई-डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एमएसएमई-डीआई), रांची और सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिग (सी-डैक) के सहयोग से रांची में एमएसएमई के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया। आयोजन में साइबर सुरक्षा, खतरों की पहचान करने, और उनका मुकाबला करने, और अधिक साइबर-लचीला बनने के बारे में ज्ञान और व्यावहारिक प्रशिक्षण पर चर्चा की गयी। कार्यशाला में रांची की विभिन्न एमएसएमई इकाइयों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
विश्व स्तर पर बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ, अधिक से अधिक व्यवसाय धीरे-धीरे व्यवसाय करने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म की ओर बढ़ रहे हैं। साइबर अपराधों में लगातार वृद्धि हुई है। मैलवेयर, फिशिंग, रैंसमवेयर आदि के माध्यम से साइबर हमले आम हो गए हैं। कैसपर्सकी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, एमएसएमई में खतरों की समझ की कमी और एमएसएमई में साइबर सुरक्षा के महत्व के कारण लगभग 48 प्रतिशत एमएसएमई ने डेटा उल्लंघनों का सामना किया है। अमेरिकन सेंटर कोलकाता के निदेशक एड्रियन प्रैट ने कहा कि अमेरिकी वाणिज्य दूतावास कोलकाता के लिए साइबर सुरक्षा पर कार्यशालाओं की एक श्रृंखला आयोजित की जा रही है। यह परियोजना इस क्षेत्र को ई-व्यवसायों के लिए साइबर अपराधों के बढ़ते खतरे से निपटने में मदद करेगी। क्योंकि कई कंपनियां महामारी के दौरान ऑनलाइन हो गई हैं। कट्स इंटरनेशनल के नीति विश्लेषक अर्नब गांगुली ने कार्यशाला में कोविड-19 महामारी के कारण डिजिटल तकनीकों को अपनाने में तेजी आई है, और कई एमएसएमई साइबर हमलों से निपटने के लिए आवश्यक समझ और सुरक्षा उपायों के बिना ऑनलाइन हो गए, जिससे वे असुरक्षित हो गए। एमएसएमई मंत्रालय भारत सरकार के निदेशक एस के साहू ने कहा कि जहां कोविड-19 महामारी ने एमएसएमई के लिए काफी चुनौतियां पैदा की हैं। वहीं इसने एमएसएमई के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपने व्यवसाय का विस्तार करने का अवसर भी पैदा किया है। हालांकि, एमएसएमई के लिए साइबर सुरक्षा गंभीर चिता का विषय बना हुआ है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई की कमजोरियां कई कारकों से उपजी हैं, जैसे - साइबर सुरक्षा जोखिमों की समझ की कमी, साइबर सुरक्षा के लिए कम प्राथमिकता, साइबर सुरक्षा के लिए सीमित पूंजी आवंटन, आदि। कार्यशाला में सी-डैक पटना के निदेशक और केंद्र प्रमुख आदित्य कुमार सिन्हा ने बताया कि सीमित जागरूकता और साइबर स्वच्छता के कारण साइबर अपराधों में भारी वृद्धि हुई है। एसएमई के साइबर स्पेस की भेद्यता को देखते हुए जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। सी-डैक पटना का लक्ष्य एक राष्ट्रीय संसाधन केंद्र के रूप में काम करना है। ताकि साइबर सुरक्षा के मुद्दों को हल किया जा सके, सुरक्षित, मानक-आधारित प्रौद्योगिकियों और समाधानों के निर्माण, तैनाती और उपयोग में तेजी लाई जा सके।