Hatia-Puri Tapaswani Express में अब आराम से यात्रा कर सकेंगे यात्री, रेलवे ने की नई व्‍यवस्‍था

Railway Update रेलवे (Railway) ने यात्रियों की सुविधा को देखते हुए वहीं ट्रेनों (Trains) में एलएचबी कोच (LHB Coach) की सुविधा उपलब्ध कराई है। इसी दिशा में हटिया-पुरी तपस्वनी ट्रेन (Hatia-Puri Tapaswani Train) में एलएचबी कोच लगाया है। जल्द ही अंडरग्राउंड केबलिंग का काम शुरू हो जाएगा।

By Sanjay KumarEdited By: Publish:Wed, 05 Jan 2022 07:03 AM (IST) Updated:Wed, 05 Jan 2022 10:19 AM (IST)
Hatia-Puri Tapaswani Express में अब आराम से यात्रा कर सकेंगे यात्री, रेलवे ने की नई व्‍यवस्‍था
Indian Railway : कोच लगने से लेकर इस ट्रेन के समय में बदलाव

रांची, जागरण संवाददाता। Indian Railway News : रेलवे (Railway) ने यात्रियों की सुविधा को देखते हुए ट्रेनों (Trains) में एलएचबी कोच (LHB Coach) की सुविधा उपलब्ध कराई है। इसी दिशा में हटिया-पुरी तपस्वनी ट्रेन (Hatia-Puri Tapaswani Train) में एलएचबी कोच लगाया है। वर्तमान में ट्रेन में आइसीएफ कोच (ICF Coach) की व्यवस्था है, जिसे हटाकर एलएचबी कोच लगाया जायेगा। इससे यात्रियों को आरामदायक यात्रा करने की सुविधा मिलेगी। यह सुविधा यात्रियों को छह जनवरी से मिलेगा। हटिया स्टेशन (Hatia Station) पर इसके लिए रांची रेल डिविजन (Ranchi Rail Division) द्वारा तैयारी की जा रही है।

रेलवे से एनओसी मिलने के बाद अब शुरू होगा अंडरग्राउंड केबलिंग का काम

रेलवे से एनओसी नहीं मिलने से रांची में अंडरग्राउंड केबलिंग का काम 6 माह से रुका हुआ था। रेलवे ने अब अंडरग्राउंड केबलिंग के लिए एनओसी दे दी है। इसके बाद अब जल्द ही अंडरग्राउंड केबलिंग का काम शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि राजधानी में 33 केवी लाइन के अंडरग्राउंड केबलिंग का काम चल रहा है। रेलवे के इलाके में भी अंडरग्राउंड केबल बिछाया जाना है। एनओसी नहीं मिल पाने की वजह से चार लाइन में अंडरग्राउंड केबल बिछाने का काम रुक गया था। जिन इलाकों में अंडरग्राउंड केबलिंग के लिए अनुमति दी गई है, उनमें हटिया और हटिया हरमू 33 केवी केबल लाइन है। साईं मंदिर पुनदाग में अभी रेलवे की तरफ से एनओसी देने की प्रक्रिया चल रही है। हटिया पुनदाग 33 केवी लाइन का काम नया सराय रेलवे क्रॉसिंग पर करना है। इसके अलावा, कई इलाकों में अंडर ग्राउंड केबलिंग का काम पूरा हो चुका है।

नेक्स्ट जनरेशन रेल डिमांड को पूरा करेगा मेकॉन का डिज़ाइन किया रेल चक्का फैक्ट्री

मेकॉन के डिजाइन किए रेल चक्का फैक्ट्री से शुरु हुआ उत्पादन- आत्मनिर्भर भारत के तहत करोड़ों रुपये की होगी बचत- हर वर्ष विदेश से 70 हजार रेल चक्कों को आयात करने की पड़ती है जरूरत- तेजस के साथ बुलेट ट्रेन के चक्के का होगा भारत में उत्पादन- मेकॉन ने फैक्ट्री की कान्सेप्ट प्रोजेक्ट, डिजाइन, इंजीनियरिंग और प्रोजेक्ट हैंडलिंग का किया है। काम- 27 एकड़ भूमि में 1683 करोड़ रूपये से बना है। कारखाना- एक लाख रेल पहिया उत्पादन की है क्षमता।

कारखाना अपने आप में विश्वस्तरीय

विकास के रास्ते पर आगे बढ़ते भारत की नेक्सट जेनेरेशन रेल जरूरतों को पूरा करने के लिए रायबरेली में रेल चक्का कारखाना की शुरूआत हो गयी है। मेकॉन के डिजाइन और इंजीनियरिंग सेवा से बना ये कारखाना अपने आप में विश्वस्तरीय है। यहां से अंतराष्ट्रीय मानकों पर खड़े उतरने वाले रेल चक्का का उत्पादन संभव होता। इस फैक्ट्री से तेजस, बुलेट ट्रेन के साथ अन्य हाइस्पीड ट्रेन के लिए चक्के का निर्माण संभव होगा। इस कारखाने का निर्माण 27 एकड़ भूमि में 1683 करोड़ रूपये से बना है। ये देश के एक ऐसे रेलखाना में शामिल है जहां आटोमैटिक इंटेलिजेंट रोबोर्ट से लैस है। इससे उत्पादन के निर्माण में ज्यादा से ज्यादा परफेक्शन मिलता है। रेल कारखाने में इस रोबोटिंक सुविधा का विकास भी मेकॉन के द्वारा किया गया है।

टेस्टिंग में पास हुआ पहले खेप का उत्पादन

रायबरेली के लालगंज में बने रेल कोच फैक्ट्री के पास स्थित इस रेल चक्का कारखाना से पहले खेत का उत्पादन शुरू हो गया है। पहली खेप में 51 रेल चक्का तैयार किया गया है। इसे लखनऊ स्थित भारतीय रेल की टेस्टिंग स्थान रिसर्च एंड डिजाइन स्टैंर्ड संस्थान के द्वारा क्वालिटी चेक कर मंजूरी दे दी गयी है। इस कारखाना से हर वर्ष हम एक लाख रेल चक्का का उत्पादन कर सकते हैं। भविष्य में इसके डिजाइन में मामूली बदलाव करके इसके उत्पादन को दो लाख रेल चक्का उत्पादन तक पहुंचाया जा सकता है। ये देश के पहले चक्का फैक्ट्री में से एक है जिसकी प्रोडक्शन लाइन पूरी तरह से रोबोटिंक है। इस रोबोटिंक प्लेटफार्म को मेकॉन के द्वारा विकसित किया है। इसकी फैक्ट्री की उत्पादन क्षमता दो लाख तक बढ़ाया जा सकता है।

करोड़ों रूपये की होगी बचत

वर्तमान में भारत में रेल जरूरतों को पूरा करने के लिए हर वर्ष विदेश से 70 हजार रेल चक्का का आयात करता है। इसके लिए हजारों करोड़ विदेशी मुद्रा खर्च करना पड़ता है। अब मेकॉन के रोबोटिंग तकनीक से विश्वस्तरीय रेल चक्के का उत्पादन संभव होगा। इसके साथ ही भारत जल्द की रेल चक्का आयात कंपनी से रेल चक्का निर्यात कंपनी बने की राह पर आगे बढ़ेगा। इस कारखाना का विकास आत्मनिर्भर भारत के सोच को बढ़ाने वाला है। अभी तक केवल दुर्गापूर स्टील प्लांट के द्वारा फोर्ज रेल चक्का(आधुनिक पैसेंजर रेल चक्का) का उत्पादन कर रहा था। मगर ये प्लांट काफी पूराना हो गया है। यहां से उत्पादन की तकनीक करीब 40 वर्ष पुरानी है।

क्या किया मेकॉन ने

मेकॉन ने वर्ष 2012 में भविष्य की जरूरतों को समझते भारत सरकार को बताया कि आने वाले भारत के विकास के लिए रेल विश्वस्तरीय रेल का संचालन जरूरी होगी। इसके बाद, कंपनी ने मार्केट सर्वे का काम किया। कंपनी ने कारखाना को बनाने के लिए अपनी डिजाइन, कंसेप्ट और प्रोजेक्ट हैंडलिंग का काम किया। मेकॉन के कारण ही इस कारखाना को इंटेलिजेंट रोबोटिक तकनीक प्राप्त हुआ है।अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी पर आधारित है रेल पहिया कारखानारेल पहिया कारखाना लालगंज पूरी तरह से अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी पर आधारित है। भारत में अभी तक दुर्गापुर बंगाल में रेल पहिया बनाए जाते थे जो भारतीय रेल की आपूर्ति के लिए बहुत कम था। यहां इंगड्स पद्धति पर पहियों का निर्माण किया जाता है। वहीं इस कारखाना में फोर्जिंग विधि से यानी प्रेस करके पहियों का निर्माण हो रहा है। जहां लोहे को दो चरणों में प्रेस करके पहिए का आकार दिया जाता है।

भारतीय रेल पहियों की दिशा में हो जाएगा आत्मनिर्भर

पहली प्रेस मशीन 9 हजार टन की तथा दूसरी 5 हजार टन की ताकत से लोहे को प्रेस करती है। उसके बाद पहियों को आग में तपा कर तैयार किया जाता है। इससे ये बहुत मजबूत हो जाती हैं। जो तेज गति और भार को संभालने में सक्षम है। भारत में अभी तक रेल पहिया चीन, ताइवान, चेकोस्लोवाकिया, जर्मनी, ब्राजील से आयात किया जाता था। इस कारखाने के पूर्ण रूप से उत्पादन होने पर भारतीय रेल पहियों की दिशा में आत्मनिर्भर हो जाएगा।

आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के लक्ष्य को आगे बढ़ाने की दिशा में एक कदम

मेकॉन मुख्य महाप्रबंधक (आरएम) नीरज कुमार ने कहा कि फोर्ज व्हील प्लांट से वाणिज्यिक उत्पादन आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के लक्ष्य को आगे बढ़ाने की दिशा में एक कदम है। वर्तमान में आयात किए जा रहे एलएचबी पहियों का उत्पादन इस संयंत्र में किया जाएगा। सलाहकार के रूप में मेकॉन ने दुनिया में उपलब्ध सर्वोत्तम तकनीक का चयन किया है और परियोजना प्रबंधन के रूप में परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा किया है। एफडब्ल्यूपी से उत्पादन मेकॉन और देश के लिए गर्व की बात है।

हावड़ा - रांची एक्स्प्रेस ट्रेन के समय में बदलाव

खड़गपुर रेल मंडल के खड़गपुर एवं हिजली स्टेशन के बीच सड़क ऊपरी पुल के निर्माण के लिए गार्डर लौंचिंग के लिए बुधवार को ट्रैफिक तथा पावर ब्लॉक लिया जाएगा। इसलिए ट्रेन संख्या 22891 हावड़ा - रांची एक्स्प्रेस ट्रेन हावड़ा से अपने निर्धारित समय 12:50 बजे के स्थान पर 14:20 बजे प्रस्थान करेगी |

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