BIG News: निजी विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए बड़ी खबर... सरकार ले सकती है बड़ा फैसला

BIG News निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए बड़ी खबर है। सरकार राज्य में तेजी से बन रहे निजी विश्वविद्यालयों के गठन में मानकों को बनाए रखने के लिए जल्‍द ही नियामक विधेयक ला सकती है। इस बारे में विधानसभा की प्रत्यायुक्त विधान समिति ने गहन चर्चा की।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 12:47 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 12:48 AM (IST)
BIG News: निजी विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए बड़ी खबर... सरकार ले सकती है बड़ा फैसला
BIG News: निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों के लिए बड़ी खबर है।

रांची, राज्य ब्यूरो। BIG News, Important News राज्य में तेजी से बन रहे निजी विश्वविद्यालयों के गठन में मानकों को बनाए रखने के लिए विधेयक बनाने की जरूरत है। सोमवार को राज्य विधानसभा की प्रत्यायुक्त विधान समिति की बैठक में कमेटी में इसपर जोर दिया। बैठक के दौरान शिक्षा से जुड़े मसलों की समीक्षा की गई। बैठक की अध्यक्षता विधायक विनोद कुमार सिंह ने की। इसमें समिति के सदस्य बंधु तिर्की और सुखराम उरांव उपस्थित थे।

जानकारी मांगी गई कि राज्य में नए विश्वविद्यालयों का गठन किन नियमों के तहत किया जा रहा है। जिन निजी विश्वविद्यालयों को मंजूरी दी गई है, उनके पास कितना जमीन और भवन है। इसके लिए नीति और नियमावली है। निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना में नियमावली का अनुपालन हो रहा है या नहीं। विनोद कुमार सिंह ने बताया कि 2014 से पहले निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना संबंधी कोई संकल्प सरकार की ओर से जारी नहीं किया गया था, लेकिन इसके बाद संकल्प जारी किया गया।

बैठक में विश्वविद्यालय विश्वविद्यालयों की प्रोन्नति नियमावली पर भी विमर्श हुआ। पाया गया कि 2008 के बाद विश्वविद्यालयों में प्रोन्नति नियमावली नहीं बनाई गई। 12 वर्ष बीत जाने के बावजूद असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसरों की प्रोन्नति नहीं हो रही है। समिति को जानकारी दी गई कि इन विश्वविद्यालयों में प्रोन्नति के लिये कोई नियमावली ही नहीं बनी है। इसी के कारण से प्रोन्नति नहीं हो पा रही है।

प्रोन्नति के अभाव में अच्छे शिक्षकों का मिलना मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा 2002 में शिक्षक बहाली पद के लिए विज्ञापन की विसंगति पर भी चर्चा हुई। समिति को जानकारी दी गई है कि इसके आधार पर वर्ष 2003 और 2004 में नियुक्ति हुई थी। 2003 की नियुक्ति में पुरानी पेंशन व्यस्था लागू है जबकि 2004 में नियुक्ति में इसका प्रविधान नहीं है। एक ही विज्ञापन के जरिए हुई बहाली में दो मापदंड कैसे अपनाया गया। इन तमाम विषयों पर समिति अगली बैठक में विस्तार से विमर्श करेगी।

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