Caste Certificate: जाति प्रमाणपत्र से हट सकता है धर्म का कॉलम... सरकार ले सकती है बड़ा फैसला

Caste Certificate जाति प्रमाणपत्र को लेकर जल्‍द ही बड़ा फैसला सामने आ सकता है। संभव है कि अब इसमें धर्म का कॉलम न रहे। झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्मिक विभाग को जांचकर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। कई विधायकों ने इसे भेदभावपूर्ण और गलत बताया है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 11:46 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 05:26 AM (IST)
Caste Certificate: जाति प्रमाणपत्र से हट सकता है धर्म का कॉलम... सरकार ले सकती है बड़ा फैसला
Caste Certificate: जाति प्रमाणपत्र को लेकर जल्‍द ही बड़ा फैसला सामने आ सकता है।

रांची, [प्रदीप सिंह]। Caste Certificate जाति प्रमाणपत्र से धर्म का कालम हटाने को लेकर राज्य सरकार जल्द निर्णय ले सकती है। इस संबंध में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्मिक विभाग को जांचकर आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है। इससे संबंधित मांग जनजातीय परामर्शदात्री परिषद (टीएसी) की बीते 27 सितंबर को हुई बैठक में प्रमुखता से उठी। इसके पक्ष में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के विधायकों ने तर्क देते हुए कहा कि जाति प्रमाणपत्र से धर्म का कालम हटा लिया जाए।

कांग्रेस के विधायक और टीएसी के सदस्य नमन विक्सल कोनगाड़ी का तर्क था कि व्यक्ति की जाति कभी नहीं बदलती, लेकिन वह धर्म बदलने की स्वतंत्रता रखता है। जाति प्रमाणपत्र के प्रपत्र-4 के कालम को अप्रासंगिक बताते हुए उन्होंने इसे हटाने का अनुरोध किया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक और टीएसी के सदस्य चमरा लिंडा ने भी उनका साथ दिया। लिंडा के मुताबिक जाति प्रमाणपत्र में धर्म का कालम भेदभावपूर्ण रवैया को दर्शाता है, जिसे हटाना चाहिए। दीपक बिरूआ ने प्रमाणपत्र का प्रारूप 1950 के अनुरूप यथावत रखने की मांग उठाई। इसपर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्मिक विभाग को जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।

गैर आदिवासी पुरुष से शादी के बाद जाति प्रमाणपत्र की व्यवस्था हो स्पष्ट

टीएसी की बैठक में आदिवासियों के जाति प्रमाणपत्र की आजीवन मान्यता को लेकर सभी एकमत नहीं थे। झामुमो के विधायक और टीएसी के सदस्य भूषण तिर्की ने कहा कि जाति प्रमाणपत्र एक बार ही निर्गत करने के प्रावधान पर पुनर्विचार किया जाए, क्योंकि इससे गैर आदिवासी से विवाह के बाद भी जाति प्रमाणपत्र का लाभ लिया जा सकता है। जिससे अनुसूचित जनजातियों की स्थिति और बदतर हो सकती है। वहीं चमरा लिंडा का कहना था कि आदिवासी महिलाओं द्वारा गैर आदिवासी पुरुष से विवाह के बाद जाति प्रमाणपत्र की व्यवस्था स्पष्ट होनी चाहिए।

कार्यसूची में सबसे ऊपर रखे गए इस प्रस्ताव में कहा गया कि जाति प्रमाणपत्र बनाने में अनुसूचित जनजातियों को बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कार्मिक विभाग इस संबंध में अधिसूचना जारी करने पर विचार करे, जिससे जीवनकाल में एक बार अनुसूचित जनजातियों को जाति प्रमाणपत्र बनाना पड़े जो कि जीवन भर उपयोग में लाया जा सके। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस संबंध में निर्देश जारी करते हुए कहा कि प्रज्ञा केंद्रों के साथ-साथ आफलाइन भी प्रमाणपत्र जारी किया जाए। सभी उपायुक्त विशेष अभियान चलाकर सभी विद्यालयों में तीन माह के अंदर कक्षा एक में नामांकित छात्र-छात्राओं का जाति प्रमाणपत्र जारी करें।

लोहरा, भुईंहर, खुटकट्टी मुंडा, चिक बड़ाईक पर रिपोर्ट देगा टीआरआइ

टीएसी की बैठक में लोहरा, भुईंहर, खुटकट्टी मुंडा, चिक बड़ाईक को जनजातीय समुदाय में शामिल करने की मांग उठी। विधायक और टीएसी के सदस्य बंधु तिर्की ने कहा कि इसपर पूर्व में नीलकंठ सिंह मुंडा के नेतृत्व में एक कमेटी बनी थी, लेकिन निराकरण नहीं हो पाया। उन्होंने डा. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान से अध्ययन कराने का अनुरोध किया। इसे स्वीकार करते हुए निर्देश दिया गया है कि तीन माह के भीतर संस्थान राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपे।

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