Illegal Coal Transportation: जानिए... किसने झारखंड में कोयला की अवैध ढुलाई पर जांच की बात उठाई
Illegal Coal Transportation झारखंड में खनिज(Minerals in Jharkhand) की अवैध ढुलाई(Illegal Transportation) को लेकर आरोप-प्रत्यारोप तेज हो सकता है।केंद्रीय जांच ब्यूरो(Central Bureau) और राज्य सरकार(State Government) से इस बात की जांच कराने मांग उठी है कि बीते दो सालों में शिवपुर साइडिंग से कितना अवैध कोयले की ढुलाई हुई है।
रांची(प्रदीप सिंह)। Illegal Coal Transportation: झारखंड में खनिज(Minerals in Jharkhand) की अवैध ढुलाई(Illegal Transportation) को लेकर आरोप-प्रत्यारोप तेज हो सकता है। खनन में हो रही अनियमितता को लेकर मुखर रहे विधायक सरयू राय ने इस बार आम्रपाली के सीसीएल खदान से हो रही अवैध कोयला ढुलाई(Illegal Coal Transportation) की जांच की मांग उठाई है। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो(Central Bureau) और राज्य सरकार(State Government) से कहा है कि इस बात की जांच कराएं कि बीते दो सालों में शिवपुर साइडिंग से कितना अवैध कोयले की ढुलाई हुई है।
उनका कहना है कि आम्रपाली केंद्र सरकार के अधीन सीसीएल(CCL) की खदान है। चालान राज्य को खान विभाग देता है और बगैर मिलीगभगत के वैध चालान के बिना लाखों टन कोयले की अवैध ढुलाई खदान से साइडिंग तक नहीं हो सकती। रेलवे को भी यह बताना चाहिए कितना अवैध कोयला शिवपुर साइडिंग(Shivpur Siding) से गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन(CM Hemant Soren) से मांग की है कि वे इस मामले में कार्रवाई करें। खदान के लीज क्षेत्र से बाहर कोयला परिवहन के लिये माईनिंग(Mining) चालान आवश्यक है, लेकिन सीसीएल की आम्रपाली खदान से रोज सैकड़ों टन कोयला बिना वैध चालान के शिवपुर रेल साईडिंग पर जा रहा है, जो लीज़ क्षेत्र से बाहर है। इससे राज्य को राजस्व का रोज करोड़ो का नुकसान हो रहा है।
कोयले की अवैध ढुलाई आम बात:
झारखंड को कोयला खनन इलाकों में आपसी मिलीभगत से कोयले का अवैध खनन और ढुलाई आम बात है। अक्सर इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चलता है। हाल ही में इस सिंडिकेट से जुड़े एक प्रभावशाली व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। कोयले के काले धंधे पर वर्चस्व के लिए अक्सर खूनखराबा भी होता है। कई सफेदपोश भी इससे जुड़े हैं। वरीय पुलिस पदाधिकारियों पर भी इसके छींटे पड़े हैं। कुछ माह पूर्व इस सिलसिले में कुछ वरीय पदाधिकारियों को राज्य सरकार ने हटाया था। इसका सीधा असर राजस्व के साथ-साथ पर्यावरण पर पड़ता है।
शाह ब्रदर्स को खनन पट्टा देने पर भी उठाया था सवाल:
सरयू राय ने लौह अयस्क के खनन पट्टे में हो रही गड़बड़ी को भी उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि लौह अयस्क खनन करने वाली कंपनी शाह ब्रदर्श को फिर से रद खनन पट्टा से खनन की अनुमति दी गई। बिना किसी सक्षम पदाधिकारी के आदेश के पश्चिमी सिंहभूम जिले के जिला खनन पदाधिकारी ने खनन पट्टा रद हो चुके खदान से लौह अयस्क भंडार को बेचने के लिए चालान दे दिया और वहां के सारंडा वन प्रमंडल के वन पदाधिकारी ने भी इस लौह अयस्क के परिवहन के लिए अपने स्तर से परमिट जारी कर दिया। उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी की थी।