Seasonal Diseases: बदलते मौसम के साथ वायरल, डेंगू, चिकनगुनिया की चपेट में आ रहे लोग; ऐसे करें बचाव
Seasonal Diseases Jharkhand Hindi News Health Update मास्क व सैनिटाइजर का उपयोग करना बंद ना करें। अभी बच्चे संक्रामक रोगों की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं। इंफ्लूएंजा का वैक्सीन लेकर इन सीजिनल बीमारियों से बचा जा सकता है।
रांची, जासं। इस बारिश के मौसम में वायरल फीवर से अधिकतर लोग बीमार पड़ रहे हैं। बदलते मौसम में सर्दी-खांसी के साथ हाई फीवर सबसे बड़ी समस्या बन रही है। इधर रिम्स के मेडिसिन यूनिट में वायरल फीवर वाले करीब 60 फीसदी मरीज भर्ती हैं। इनका इलाज चल रहा है। साथ ही ट्रॉमा सेंटर में भी कुल 30 मरीजों में से आधे मरीज वायरल फीवर के ही भर्ती हैं। बच्चा वार्ड में मरीजों से भर चुका है, यहां भी अधिकतर बच्चे वायरल फीवर के ही हैं। अभी सामान्य मरीजों की संख्या अस्पतालों में अधिक है, जबकि कोरोना मरीजों की संख्या अभी अस्पतालों में नहीं है।
वायरल फीवर और जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) के अलावा अभी डेंगू और चिकनगुनिया के भी मरीज मिले हैं। जिले में अभी तक तीन जेई मरीजों का इलाज चल रहा है। जबकि 40 चिकनगुनिया और नौ डेंगू के मरीज शामिल हैं। इन सभी मरीजों के मिलने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों को इसके रोकथाम के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि मरीजों की जांच कर उपचार की व्यवस्था और जरूरत पड़ने पर उपलब्ध टीके की भी उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए।
ओपीडी में भी बढ़ रहे हैं मरीज
ओपीडी में भी मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसे लेकर पारस अस्पताल की डाक्टर माया बताती हैं कि इस मौसम में संक्रमण से बचने के लिए इंफ्लूएंजा वायरस का वैक्सीन लिया जा सकता है। इसे लेने के लिए कोई उम्र की बाध्यता नहीं है। लेकिन जिन्हें क्रोनिकल डिजिज हुए हैं, उन्हें इसे लेने के लिए बचना चाहिए। यह टीका हर साल लगवानी पड़ती है। इससे एक साल तक बचाव होता है।
गंभीर बीमारियों से जूझ रहे व्यक्ति को यह टीका ज्यादातर लगाया जाता है। लेकिन छह माह से अधिक उम्र का कोई भी यह टीका लगवा सकता है। डा. माया के मुताबिक यदि किसी को सर्दी, खांसी, बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, दस्त आदि की शिकायत हो, तो यह सीजनल फ्लू हो सकता है। हालांकि कोविड का लक्षण भी ऐसा ही होता है, इसलिए डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। खुद से दवा नहीं करें। इसमें निमोनिया होने की भी आशंका होती है।
मौसम बदलने पर होता है यह फ्लू
डाक्टरों के मुताबिक मौसम बदलने पर मौसमी या सीजनल फ्लू होता है। जैसे, गर्मी से बरसात होने पर या ठंड होने पर होता है। ठंड बढ़ने पर भी यह फ्लू होता है। यह फ्लू ज्यादातर इंफ्लूएंजा वायरस की वजह से होता है। लेकिन कभी-कभी दूसरे वायरस की वजह से भी हो सकता है। इस मौसम में बीमारी होने का मुख्य कारण है कि ठंड में लोग घर से बाहर कम निकलते हैं।
ऐसे में घरवालों से निकटता बढ़ जाती है। फिर, धूप से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरण भी नहीं मिल पाता है। यह किरण वायरस को मारती है। ऐसे में वायरस को फलने-फूलने का अवसर मिलता है। इसी तरह बरसात के दिनों में हवा में नमी बढ़ जाती है। इससे भी वायरस को फैलने का अवसर मिलता है। धूप में नहीं निकलने से शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है।
'बच्चा वार्ड में सामान्य वायरल फीवर के मरीजों की संख्या अधिक है। अधिकतर मामलों में बच्चे रिकवर भी हो रहे हैं और जो भर्ती हैं, उनके इलाज के लिए हर संभव इलाज की व्यवस्था की जा रही है।' -डा. अमर वर्मा, बच्चा वार्ड, रिम्स।
'जेई से बचने के लिए जापानी इंसेफ्लाइटिस का सामान्य रूटीन टीकाकरण किया जाता है। इसमें नौ माह के बच्चे को पहला डोज एमएमआर के साथ दिया जाता है। इसके बाद दूसरा डोज 15 माह में दिया जाता है। अस्पताल में जापानी इंसेफ्लाइटिस का टीका भरपूर मात्रा में उपलब्ध है, और जो भी इस टीका को लेने की पात्रता रखते हैं, उन्हें दिया जा रहा है।' -डा. विनोद कुमार, सिविल सर्जन, रांची।
'वायरल मरीजों की सबसे अधिक संख्या मेडिसिन विभाग में ही है। स्थिति यह है कि यहां पर सभी बेड भर चुके हैं और जो भी मरीज आ रहे हैं, उनका इलाज फर्श पर हो रहा है। इसके बावजूद मरीजों को हर दवा उपलब्ध कराई जा रही है। जिनकी हालत गंभीर होती है, उसे आइसीयू में भेजा जाता है। मरीज अधिक है, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है।' -डा. सीबी शर्मा, मेडिसिन, रिम्स।