गाढ़ी हो रही उम्मीद की किरण, यकीन मानें-जीत रहे हम

कड़ी परीक्षा की घड़ी चल रही है। परीक्षा है हमारे धैर्य की परीक्षा है व्यवस्था की।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 09:00 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 09:00 AM (IST)
गाढ़ी हो रही उम्मीद की किरण, यकीन मानें-जीत रहे हम
गाढ़ी हो रही उम्मीद की किरण, यकीन मानें-जीत रहे हम

विकास श्रीवास्तव, जमशेदपुर : कड़ी परीक्षा की घड़ी चल रही है। परीक्षा है हमारे धैर्य की, परीक्षा है हमारे अनुशासन की और व्यवस्था की भी। पिछले एक महीने से भी अधिक समय से लगातार घर में रहने, बाहर मास्क, शारीरिक दूरी का पालन करने सहित अन्य सावधानियां बरतने की आदत बन चुकी है। प्रशासनिक सख्ती बढ़ी, ध्वस्त होती दिख रही चिकित्सा सुविधा पटरी पर लौटने लगी। इन सबका परिणाम भी उम्मीद की किरण लेकर हम सबके सामने आना शुरू हो चुका है। जी हां, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का खौफ थमने की ओर बढ़ चला है। बुधवार को मिले आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। संक्रमण के मामलों में पिछले कुछ दिनों से लगातार गिरावट का ट्रेंड है तो बुधवार को राजधानी में सिर्फ 19 मरीजों की मौत हुई। संक्रमितों की संख्या में भी आश्चर्यजनक गिरावट दर्ज की गई। रांची में 658 नए मरीज मिले जबकि इसके तीन गुने से अधिक 2020 मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे। यह सुखद आंकड़े उन कारणों से मिलने शुरू हुए हैं जो पिछले करीब एक महीने से राजधानीवासी धैर्य के साथ पालन करते रहे। हालांकि अभी खुश होने से कहीं ज्यादा और अधिक सजग-सतर्क रहने की जरूरत है। पिछली लहर की गलतियों से सीख लेते हुए आगे बढ़ने की:-

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इन्हें माना जा रहा हालात सुधरने का कारण

आंशिक लॉकडाउन : दूसरी लहर की भयावहता का अंदाजा होते ही राज्य सरकार ने आंशिक लॉकडाउन की घोषणा की। कुछ समय बाद इसका सकारात्मक परिणाम आने भी लगा। प्रशासनिक सख्ती : जहां जरूरत हुई प्रशासन की ओर से सख्ती भी बरती गई। जो लोग कोरोना की दूसरी लहर को हल्के में ले रहे थे, उन्हें सख्ती से समझाया गया। मास्क, शारीरिक दूरी : दूसरी लहर की शुरुआत में बार-बार आगाह करने के बावजूद लापरवाही बरतते हुए लोग नजर आते रहे। हालांकि हालात बिगड़ने पर खुद उन्हें अंदाजा हो गया और मास्क, शारीरिक दूरी का अनुपालन शहर में नजर आने लगा। जागरूकता कार्यक्रम : सरकार व संस्थाओं की ओर से जागरूकता कार्यक्रमों की भी भूमिका रही। लोगों ने समझने की कोशिश की कि अब नहीं चेते तो कोई भी इस महामारी की चपेट में आ सकता है। चिकित्सा व्यवस्था की लगातार मानीटिरिग : अनुमान से अधिक हालात खराब होने की वजह से शुरुआत में लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि लोगों को चिकित्सा सुविधा दिलाने के लिए सरकार ने विशेष प्रतिनियुक्ति की। इसका सकारात्मक असर दिखा। कारपोरेट सेक्टर का सहयोग: हालात को बिगड़ता देख मदद के लिए तमाम कारपोरेट घराने व कंपनियां आगे आई। चिकित्सा सुविधा, ऑक्सीजन से लेकर अन्य तरह से सहयोग किया। टीकाकरण अभियान : संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के साथ ही टीकाकरण करानेवालों की संख्या बढ़ती गई। लोग खुद आगे आकर वैक्सीन लगवाने लगे। इससे वे शारीरिक व मानसिक रूप से खुद को सुरक्षित महसूस करने लगे। कोरोना जांच अभियान : संक्रमण की पहचान के लिए जांच अभियान तेज किया गया। कई विशेष अभियान चलाकर अधिक से अधिक संक्रमितों की पहचान की गई। उनके उपचार की व्यवस्था की गई। अल्प अवधि में नए कोविड वार्ड : फौरी तौर पर इसकी आवश्यकता थी। कम समय में किसी सैन्य अभियान की तरह कोविड वार्ड व अस्पताल की व्यवस्था शुरू की गई। जरूरी संसाधनों से युक्त नए बेड की संख्या त्वरित गति से बढ़ाई गई। ऑक्सीजनयुक्त बेड की संख्या में बढ़ोतरी : बीते एक महीने में सबसे अधिक जरूरत ऑक्सीजनयुक्त बेड की महसूस की गई। गंभीर अवस्था में पहुंचनेवाले मरीजों को इसकी सख्त जरूरत थी। इस जरूरत को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए काम किया गया।

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अभी धैर्य बनाए रखने की जरूरत

सजग-सतर्क रहें : याद रहे, पिछली बार की तरह एक पल के लिए भी सतर्कता कम नहीं होनी चाहिए। खुद भी समझें और दूसरों को भी समझाने की जरूरत है। मास्क, शारीरिक दूरी का मंत्र कभी न भूलें : सीमित संसाधनों के बावजूद कोरोना से लड़ाई में यह सबसे बड़ा हथियार है। संक्रमण कम होने व मौतों के आंकड़ों में गिरावट दिखने के पीछे इसे बड़ा कारण माना जा रहा है। हैंडवाश जीवन का हिस्सा : बार-बार साबुन से हाथ धोने की बात पिछले एक साल से अधिक समय से लोग जान रहे हैं। यूं कहें कि यह जीवन का हिस्सा बन चुका है। इसे हमेशा के लिए जारी रखने की जरूरत है। भीड़-भाड़ वाली जगह पर न जाएं : उस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि जहां माहौल ठीक हुआ, लगता है कि अब सबकुछ ठीक हो गया। इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। इसलिए भीड़ से बचें। दुकान व सब्जी खरीदारी में सतर्क रहें : प्रशासनिक ढिलाई होते ही दुकानों व सब्जी मंडियों में शारीरिक दूरी का अनुपालन तार-तार होता दिखता है। यह हालत अब भी देखी जा रही है। एक-एक आदमी को यह बात समझनी होगी। टीकाकरण कराएं : संक्रमण से बचाव में टीकाकरण बड़ा हथियार है। ऐसे में अधिक से अधिक संख्या में वैक्सीन लेते हुए खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित करने की जरूरत है। बुजुर्गो के साथ बच्चों पर रहे खास ध्यान : दूसरी लहर में भी देखा गया कि बुजुर्गो को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। हालांकि इस बार बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं। ऐसे में इन दोनों पर ध्यान रखा जाए। करते रहें इम्यूनिटी बढ़ाने के उपाय : अपनी जीवनशैली में खानपान का विशेष ध्यान रखें। इम्यूनिटी बढ़ाने वाले खाद्य व पेय पदार्थो का सेवन समुचित मात्रा में नियमित करते रहें। बढ़ाएं खुद व परिवार का मनोबल : मानसिक अवस्था कैसी है, इसका बहुत फर्क पड़ता है। ऐसा कहा जाता है कि मनोबल ऊंचा रखने और खुश रहने से एंटीबाडी बनती रहती है। करें योग : घर में रहते हुए नियमित रूप से योगाभ्यास करें। इससे शारीरिक के साथ-साथ मानसिक मजबूती भी बनी रहेगी। सकारात्मक सोच से हर परिस्थिति का सामना कर सकेंगे।

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