रक्षा परियोजनाओं में मजदूरों के शोषण का मामला केंद्र के समक्ष उठाएंगे हेमंत सोरेन, मृतक श्रमिकों को शहीद का दर्जा देने की मांग

Jharkhand News झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन रक्षा परियोजनाओं में मजदूरों के शोषण का मामला राजनाथ सिंह के समक्ष उठाएंगे। सीमा पर परियोजनाओं को पूरा करने के दरम्यान मरने वाले प्रवासी श्रमिकों को शहीद का दर्जा देने की मांग।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 01:11 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 01:15 PM (IST)
रक्षा परियोजनाओं में मजदूरों के शोषण का मामला केंद्र के समक्ष उठाएंगे हेमंत सोरेन, मृतक श्रमिकों को शहीद का दर्जा देने की मांग
Jharkhand News, Hemant Soren मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन।

रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि रक्षा परियोजनाओं में काम कर रहे झारखंड के प्रवासी मजदूरों का सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) शोषण कर रही है। वे इस मामले को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के समक्ष उठाएंगे। हेमंत सोरेन ने कहा है कि बार-बार इस बारे में जानकारी दिए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री ने इन योजनाओं को पूर्ण करने के दरम्यान हताहत हुए प्रवासी श्रमिकों को शहीद का दर्जा देने की भी मांग की है।

उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करते हुए मरने वाले मजदूर दुर्गम इलाकों में कार्य करते हैं। प्रवासी मजदूर वहां से कड़वी यादें लिए लौटते हैं और फिर दोबारा काम नहीं करना चाहते। हेमंत सोरेन ने कहा कि एक बार राज्य कोविड-19 संकट पर विजय प्राप्त करता है तो वे व्यक्तिगत तौर पर विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों के साथ बैठक की भी पहल करेंगे, ताकि श्रमिकों के शोषण को रोकने के लिए तंत्र विकसित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि अप्रैल में झारखंड के 18 लोगों के शव मिले। उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन में मजदूरों ने जान गंवाई। बीआरओ से उनके परिवारों को उचित मुआवजा नहीं मिला। राज्य सरकार ने शवों को वापस लाने के लिए अपने संसाधनों का उपयोग किया। उन्होंने कहा कि ऐसा व्यवहार उन्हें पीड़ा देता है। झारखंड सरकार ने कई बार बीआरओ को पत्र लिखकर शर्तों के घोर उल्लंघन का आरोप लगाया है।

राज्य सरकार ने प्रवासी कामगार अधिनियम उन श्रमिकों की सुरक्षा के लिए बनाया है, जिनकी सेवाओं की मांग उनके राज्य के बाहर की जाती है। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां राज्य के खर्च पर प्रवासी श्रमिकों के शव वापस लाए गए। उनके परिजनों को उचित मुआवजा मिलना बाकी है। उन्होंने कहा कि वे इन तमाम बातों से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अवगत कराएंगे। विपरीत परिस्थिति में प्रवासी श्रमिक दुर्गम इलाकों में परियोजनाओं को पूरा करने में अपना अहम योगदान देते हैं।

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