HEC Ranchi: विलंब से भुगतान किए गए ग्रेच्युटी व लीव इनकैशमेंट पर एचईसी नहीं देगा ब्याज

HEC Ranchi News कंपनी में ये आदेश वित्त निदेशक के द्वारा लिया गया है। इस आदेश की प्रति एचईसी प्रबंधन ने आवेदक लालदेव सिंह को दिया है। सेवानिवृत होने की तिथि से एक माह के अंदर ग्रेच्युटी भुगतान का प्रावधान है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Tue, 15 Dec 2020 04:35 PM (IST) Updated:Tue, 15 Dec 2020 04:39 PM (IST)
HEC Ranchi: विलंब से भुगतान किए गए ग्रेच्युटी व लीव इनकैशमेंट पर एचईसी नहीं देगा ब्याज
कंपनी ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।

रांची, जासं। हैवी इंजीनियरिंग काॅर्पोरेशन (एचईसी) प्रबंधन ने लीव इनकैशमेंट और विलंब से ग्रेच्युटी भुगतान पर ब्याज देने से इन्‍कार कर दिया है। प्रबंधन का कहना है कि कंपनी की स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में कंपनी पुराने बकाए पर ब्याज देने में असमर्थ है। गौरतलब है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद एचईसी प्रबंधन ने विलंब से ग्रेच्युटी व लीव इनकैशमेंट भुगतान पर ब्याज देने से संबंधित मामले पर आदेश जारी कर दिया है। कंपनी में यह आदेश वित्त निदेशक के द्वारा लिया गया है।

इस आदेश की प्रति एचईसी प्रबंधन ने आवेदक लालदेव सिंह को दी है। लालदेव सिंह समेत 156 सेवानिवृत कर्मचारियों ने विलंब से ग्रेच्युटी व लीव इनकैशमेंट भुगतान पर प्रबंधन से ब्याज पाने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में कहा था कि ग्रेच्युटी एक्ट 1972 की धारा सात की उप धारा तीन के अनुसार सेवानिवृत होने की तिथि से एक माह के अंदर ग्रेच्युटी भुगतान का प्रावधान है।

यदि समय सीमा के अंदर भुगतान नहीं किया गया तो उपधारा तीन ए के तहत ब्याज के साथ ग्रेच्युटी देने का प्रवधान है। इस पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने आठ जून को फैसला दिया कि याचिकाकर्ता प्रतिवादी संख्या दो निदेशक वित्त के पास आवेदन दे। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में प्रतिवादी संख्या दो से चार महीने में फैसला लेने का आदेश दिया था। कोर्ट के फैसले के आधार पर निदेशक वित्त ने यह फैसला लिया है।

एचईसी से प्राप्त पत्र पर याचिकाकर्ता लालदेव सिंह ने कहा कि हाल ही में कंपनी ने कई बड़े-बड़े प्रोजेक्ट अपने नाम किए हैं। पिछले 15 वर्षों में सबसे ज्यादा कार्यादेश वर्तमान में कंपनी के पास है। ऐसे में कंपनी के पास पैसा नहीं होने की बात पचती नहीं है। हम कंपनी से एक बार फिर से बात करेंगे और सामाधान की कोशिश करेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम फिर से न्याय के लिए कोर्ट जाएंगे।

chat bot
आपका साथी